आर्सेनिक एंड ओल्ड लेस (1944): डार्क ह्यूमर का मास्टरपीस जो आज भी ज़हर का मज़ा देता है!

Movie NUrture:आर्सेनिक एंड ओल्ड लेस (1944)

कल्पना कीजिए एक ऐसी दुनिया की, जहां सबसे मीठी मुस्कान वाली, चाय-बिस्कुट परोसने वाली, प्यारी बुजुर्ग चाचियाँ… एक सनसनीखे़ज़ राज़ छिपाए बैठी हों। वो राज़? उनकी नेकनीयती से भरी हत्या की लत! यही है ‘आर्सेनिक एंड ओल्ड लेस’ का अनोखा और विचित्र आकर्षण। फ्रैंक कैप्रा की 1944 की यह क्लासिक कॉमेडी एक ऐसा पागलपन भरा रोलरकोस्टर है, जिस पर चढ़ने के बाद आप खुद से पूछेंगे – “क्या मैं अभी-अभी बूढ़ी औरतों द्वारा अकेले बुजुर्गों की हत्या पर हंसा था?” और हैरानी की बात ये है कि जवाब होगा – हाँ, बिल्कुल, और बड़े मज़े से!

Movie Nurture: आर्सेनिक एंड ओल्ड लेस (1944)

प्लॉट: ब्रुकलिन का पागलपन भरा घराना

कहानी घूमती है मॉर्टिमर ब्रूस्टर (कैरी ग्रांट) के इर्द-गिर्द, एक थियेटर क्रिटिक जो शादी के ठीक पहले अपनी दो प्यारी मौसियों – मार्था (जोसफिन हल) और एबी (जीन एडेयर) – से मिलने जाता है। मॉर्टिमर को लगता है कि वो दोनों फूल जैसी मासूम औरतें हैं। लेकिन जल्द ही उसकी यह धारणा तब ध्वस्त हो जाती है जब उसे पता चलता है कि उनका एक ‘दयालु’ शौक है: अकेले, दुखी बुजुर्ग पुरुषों को अपने घर बुलाना, उन्हें अपनी ‘खास’ चाय (जिसमें आर्सेनिक, स्ट्राइकनाइन और साइनाइड का कॉकटेल होता है!) पिलाना, और फिर… उन्हें उनके ‘दुखों से मुक्ति’ दिलाना। और तो और, उनके शरीर को तहखाने में उनके भतीजे टेडी (जॉन एलेक्जेंडर) द्वारा दफन करवा दिया जाता है, जो खुद को थियोडोर रूजवेल्ट समझता है और ‘पनामा नहर खोदने’ के ‘महान काम’ में लगा रहता है!

मॉर्टिमर, जो खुद शादी से पहले ही यह सोच रहा था कि उसके परिवार में ‘पागलपन’ का इतिहास है (और शायद खुद उसे भी है!), अब पूरी तरह हतप्रभ है। उसका सारा ध्यान अपनी नई दुल्हन (प्रिसिला लेन) को इस भयानक सच्चाई से दूर रखने और मौसियों को बचाने के लिए पागलों जैसी योजनाएं बनाने में लग जाता है।

लेकिन उसी रात, और मुसीबत दस्तक देती है – उसका खतरनाक भाई जोनाथन (रेमंड मैसी) और उसका साथी डॉ. आइंस्टीन (पीटर लॉर), एक शरीर छिपाने की जगह की तलाश में वहां आ पहुंचते हैं। अब एक घर में हैं:

  1. दो बुजुर्ग हत्यारिन मौसियाँ

  2. एक आदमी जो खुद को रूजवेल्ट समझता है और तहखाने में लाशें दफनाता है

  3. एक सीरियल किलर भाई और उसका प्लास्टिक सर्जरी वाला साथी

  4. एक ऐसा नायक जो खुद को पागल समझने लगा है

  5. एक तहखाना जो लाशों से भरा पड़ा है!

और यह सब कुछ एक ही रात में घटित होता है!

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कैरी ग्रांट: पागलपन की कॉमेडी का सुल्तान

इस पूरी उथल-पुथल का केंद्र है कैरी ग्रांट का शानदार अभिनय। यह उनकी सबसे यादगार भूमिकाओं में से एक है। वे मॉर्टिमर में जिस तरह फिजिकल कॉमेडी का जादू बिखेरते हैं – चेहरे के हावभाव, आंखें फाड़कर देखना, कुर्सियों पर कूदना, हाथों को हवा में लहराना, घबराहट में अपने बाल नोचना – वह देखने लायक है। जब वह तहखाने से निकलकर चीखता है, “चाची मार्था! तहखाने में एक लाश है!” और फिर तुरंत अपनी गलती पर कहता है, “मेरा मतलब है, चाची मार्था, तहखाने में एक लाश है?” तो हंसी रोक पाना नामुमकिन है। वह पूरी फिल्म में एक जीवित टॉर्नेडो की तरह हैं, जो प्यार, परिवार, नैतिकता और शुद्ध पागलपन के बीच फंसा हुआ है।

मौसियाँ: मीठा ज़हर

जोसफिन हल और जीन एडेयर की चाचियाँ इस फिल्म की आत्मा हैं। उनकी ख़ासियत है उनकी पूर्ण विरोधाभासी प्रकृति। वे बिल्कुल मासूम, दयालु, प्यार करने वाली लगती हैं। वे चर्च जाती हैं, चैरिटी करती हैं, और मेहमानों का दिल खोलकर स्वागत करती हैं। लेकिन उनका यह विश्वास कि वे अकेले बुजुर्गों को ‘दुखों से मुक्ति’ देकर उपकार कर रही हैं, उन्हें बेहद खतरनाक बना देता है। वे हत्या के बारे में इतनी सहजता से बात करती हैं, जैसे कोई रेसिपी शेयर कर रही हों! उनकी बातचीत में जो नैतिक निश्चिंतता है – “हमने कभी किसी महिला या शराबी को नहीं मारा, केवल अकेले बुजुर्गों को” – वही इस डार्क कॉमेडी को इतना कुटिल और मजेदार बनाती है। उनका ‘काम’ उनके लिए एक पवित्र कर्तव्य है!

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खलनायक और पागल: मसाला बढ़ाने वाले

  • रेमंड मैसी (जोनाथन): मॉर्टिमर का भाई, एक सनकी और खतरनाक अपराधी। मैसी का अंदाज़ ठंडा, धमकी भरा और ईर्ष्यापूर्ण है। वह मौसियों के ‘काम’ से जलता है क्योंकि उसे लगता है कि वह ज्यादा कुशल हत्यारा है!

  • पीटर लॉर (डॉ. आइंस्टीन): लॉर अपने हमेशा घबराए हुए, थोड़े बेवकूफ़ और शराबी डॉक्टर किरदार में मस्त हैं। वह जोनाथन का साथी है जिसने बार-बार उसका चेहरा बदला है (हमेशा बदतर ही!)। उसका डरा हुआ चेहरा और बेतरतीब बोलना कॉमेडी गोल्ड है।

  • जॉन एलेक्जेंडर (टेडी): जो खुद को थियोडोर रूजवेल्ट समझता है। वह तहखाने में ‘खंदक खोदता’ (लाशें दफनाता) है और चार्ज (सीढ़ियां चढ़ना) करते हुए चिल्लाता है। उसकी भोली सी पागलपन भरी दुनिया फिल्म को और भी सर्रियल बनाती है।

क्यों यह फिल्म आज भी ज़िंदा है? डार्क ह्यूमर का सही नुस्खा!

‘आर्सेनिक एंड ओल्ड लेस’ की ताकत उसके बेमिसाल टोन में है। यह फिल्म कभी भी वास्तविक भय या त्रासदी की ओर नहीं मुड़ती। यह पूरी तरह से अतिशयोक्तिपूर्ण, पागलपन भरी दुनिया में रहती है। फ्रैंक कैप्रा, जो आमतौर पर दिल छू लेने वाली कहानियां बनाते थे (इट हैपन्ड वन नाइट, इट्स अ वंडरफुल लाइफ), यहां एकदम अलग रंग दिखाते हैं। वे जानते थे कि इस विषय को सिर्फ हास्य की नज़र से ही देखा जा सकता है

  1. विरोधाभास का जादू: मौसियों की मासूमियत और उनके भयानक काम का टकराव ही सबसे बड़ा कॉमेडी तत्व है।

  2. फिजिकल कॉमेडी का उत्कर्ष: कैरी ग्रांट की एक्टिंग फिजिकल कॉमेडी का मास्टरक्लास है। हर झटका, हर चीख, हर घबराहट भरा इशारा मजेदार है।

  3. तनाव और हंसी का मिश्रण: जैसे-जैसे तहखाने में लाशों की संख्या बढ़ती है और अनचाहे मेहमान आते जाते हैं, तनाव बढ़ता है, लेकिन उसी अनुपात में हंसी भी बढ़ती जाती है। यह बैलेंस बेहद कुशलता से किया गया है।

  4. शानदार संवाद: नाटक पर आधारित होने के कारण संवाद तेज़, चुटीले और कॉमेडिक टाइमिंग पर पूर्ण हैं। मौसियों का शांत भाव से हत्या की बातें करना ही सबसे ज्यादा हंसाता है।

  5. स्टेजी होते हुए भी सिनेमाई: यह एक नाटक का रूपांतरण है और कई जगहों पर ‘स्टेजी’ लग सकता है (एक ही सेट, घर के भीतर ही कहानी), लेकिन कैप्रा ने कैमरा एंगल्स और एक्टर्स की एनर्जी से इसे सजीव सिनेमाई अनुभव बना दिया।

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विरासत: हंसी की काली चाय का स्वाद

‘आर्सेनिक एंड ओल्ड लेस’ सिर्फ एक पुरानी कॉमेडी नहीं है। यह डार्क कॉमेडी जॉनर का एक मील का पत्थर है। यह साबित करती है कि अंधेरे विषयों पर भी हंसा जा सकता है, अगर उन्हें सही टोन, सही अतिशयोक्ति और सही हृदय (या उसकी अनुपस्थिति!) के साथ पेश किया जाए। यह फिल्म बेहद तेज गति से चलती है, लगभग 120 मिनट में खत्म हो जाती है, लेकिन हर मिनट में कुछ न कुछ हंसाने, चौंकाने या हैरान करने वाला होता है।

निष्कर्ष: एक मास्टरक्लास इन मैडनेस

अगर आप स्मार्ट, डार्क और बेतहाशा फनी कॉमेडी के शौकीन हैं, तो ‘आर्सेनिक एंड ओल्ड लेस’ आपके लिए एक अनिवार्य दावत है। यह फिल्म साबित करती है कि असली कॉमेडी कभी पुरानी नहीं होती। कैरी ग्रांट का पागलपन भरा अभिनय, मौसियों का मीठा ज़हर, तहखाने का रहस्य और उस एक रात की अराजकता – यह सब मिलकर एक ऐसा अनूठा कॉमेडी अनुभव बनाता है जो आपको लकवाग्रस्त हंसी के दौरे देगा। यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, हास्य की काली कला का एक उत्सव है। तो चाय का प्याला भरिए (बस यह सुनिश्चित कर लीजिए कि उसमें सिर्फ चायपत्ती ही डाली गई हो!), बैठिए, और ब्रुकलिन के इस पागलपन भरे घराने में होने वाली अराजकता का लुत्फ़ उठाइए। आपका दिल कहेगा – “धन्यवाद, कैप्रा! धन्यवाद, ग्रांट! धन्यवाद, पागलपन!”

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