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बचपन के अटारी में चमकती एक पुरानी मूवी: इचबॉड और मिस्टर टोड का जादू

एक डर और जादू से भरी क्लासिक जो बचपन की धूल में अब भी चमकती है – डिज़्नी की वो कहानी जिसे भुला पाना मुश्किल है।

by Sonaley Jain
July 31, 2025
in Kids Zone, 1940, Films, Hindi, Movie Review, old Films, Top Stories
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Movie Nurture: द एडवेंचर्स ऑफ़ इचबॉड एंड मिस्टर टोड
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याद है वो पुरानी, धूल भरी अटारी? जहाँ दादी का ट्रंक खुलता था तो किताबों की खुशबू और पुराने खिलौनों का रहस्य निकलता था? वॉल्ट डिज्नी की 1949 की फिल्म “द एडवेंचर्स ऑफ़ इचबॉड एंड मिस्टर टोड” कुछ वैसी ही है। यह कोई नया, चमचमाता ब्लॉकबस्टर नहीं, बल्कि एक प्यारा सा पुराना ट्रंक है, जिसमें दो क्लासिक कहानियाँ सिमटी हैं – केनेथ ग्राहम का “द विंड इन द विलोज़” और वाशिंगटन इरविंग का “द लीजेंड ऑफ स्लीपी हॉलो”। और बच्चों के लिए? यह एक ऐसा जादुई पोर्टल है, जो हंसी, डर, जिद और जीत के रंगों से भरा हुआ है।

पहला पन्ना: मिस्टर टोड की दीवानगी (The Wind in the Willows)

फिल्म की शुरुआत ही एक मास्टरस्ट्रोक है। एक पुरानी लाइब्रेरी… धूल में सनी किताबें… और एक किताब खुलती है – “द विंड इन द विलोज़”। बस, आप टोड हॉल की हरियाली और शांति में पहुँच जाते हैं। लेकिन शांति? ज़्यादा देर नहीं टिकती। क्योंकि यहाँ रहते हैं मिस्टर टोड – एक धनी, जोशीले, और बेहद… बेहद ज़िद्दी मेंढक!

Movie Nurture: द एडवेंचर्स ऑफ़ इचबॉड एंड मिस्टर टोड

अगर आपने कभी किसी बच्चे को नया खिलौना पाने की जिद करते देखा है, तो मिस्टर टोड को समझना आसान है। उसकी जिद उसकी “मैनिया” है। पहले घोड़ागाड़ी का दीवाना, फिर घोड़े की नाल का, फिर नाव का… और फिर? मोटरगाड़ी का! “द टेरिबल टोड” कहलाने वाला यह मेंढक सिर्फ एक चीज़ का दीवाना है – स्पीड और नई चीज़ों का जुनून। बेसिल बैजर और रैटी उसके अच्छे दोस्त हैं, जो हमेशा उसे संभालने की कोशिश करते हैं। मोल का चूहा? वो तो बस डरा-डरा सा रहता है।

यहाँ की खूबसूरती है इसकी एनिमेशन शैली। यह डिज्नी की पारंपरिक “स्नो व्हाइट” जैसी यथार्थवादी शैली नहीं, बल्कि एक ज़िंदादिल, थोड़ी कार्टूनिश, बहुत ही एक्सप्रेसिव शैली है। टोड का चेहरा बदलता रहता है – उत्साह से भरा, फिर मायूस, फिर षड्यंत्रकारी! उसकी आँखों में जो चमक है, वो हर नए शौक के साथ बदलती है, जैसे कोई बच्चा नया आइसक्रीम फ्लेवर देखकर चमक उठे। और मिस्टर विकी और उसके गुंडे बदमाश? वे सही मायने में डरावने और मजाकिया दोनों हैं। खासकर वो कोर्ट का दृश्य, जहाँ टोड अपनी पागलपन भरी बयानबाजी से जज को भी हैरान कर देता है – बच्चों को खूब हँसाता है!

📌 Please Read Also – एंकर्स अवे (1945) : लाइव-एक्शन और एनिमेशन का जादुई मिश्रण

क्या सीख मिलती है? जुनून अच्छा है, लेकिन बिना सोचे-समझे किया गया जुनून मुसीबत खड़ी कर सकता है। दोस्ती का महत्व। और यह कि… कभी-कभी सबसे शांत दोस्त (बेसिल) ही सबसे बहादुर साबित होते हैं। यह सेगमेंट एक पागलपन भरी, तेज़ रफ़्तार कार की सवारी जैसा है – रोमांचक और हंसी से भरपूर।

दूसरा पन्ना: इचबॉड क्रेन का डर और स्लीपी हॉलो का भूत (The Legend of Sleepy Hollow)

अगर पहला हिस्सा धूप भरा दिन था, तो दूसरा हिस्सा है शाम की लंबी छायाएँ और ठंडी हवा का झोंका। सेटिंग बदल जाती है – अमेरिका का स्लीपी हॉलो, जहाँ पेड़ों की डालियाँ भूतों जैसी लगती हैं और हवा में रहस्य के साए तैरते हैं। और यहाँ आते हैं हमारे नायक – इचबॉड क्रेन। क्या नाम है! एक लंबा, पतला, बेहद डरपोक स्कूल मास्टर, जिसकी टाँगें किसी मकड़ी की तरह लगती हैं, नाक सुई जैसी नुकीली और आँखें हमेशा डर से फैली रहती हैं। उसका सबसे बड़ा शौक? खाना! और उसका सबसे बड़ा डर? भूत-प्रेत!

Movie Nurture: द एडवेंचर्स ऑफ़ इचबॉड एंड मिस्टर टोड

इचबॉड की कहानी एक रोमांटिक कॉमेडी से शुरू होती है। वो गाँव की सबसे अमीर लड़की, खूबसूरत कैटरीना वैन टैसल के पीछे पड़ जाता है। लेकिन उसका प्रतिद्वंद्वी है मज़बूत और घमंडी ब्रॉम बोन्स, गाँव का स्थानीय हीरो। इचबॉड और ब्रॉम की होड़ बहुत मजेदार है – इचबॉड अपनी चालाकी और नाच-गाने से, ब्रॉम अपनी ताकत और धमकियों से। बच्चे इचबॉड के नाचने-कूदने और ब्रॉम के गुस्से पर खूब हँसेंगे।

लेकिन यहाँ आकर फिल्म का रंग बदलता है – हॉलोवीन की पार्टी पर। कैटरीना के पिता के घर पर सुनाई जाती है द लीजेंड ऑफ द हेडलेस हॉर्समैन की कहानी। और यहाँ बिंग क्रॉस्बी की आवाज़ का जादू चलता है। उनकी मखमली, थोड़ी शरारती, थोड़ी डरावनी आवाज़ में सुनाई गई यह कहानी फिल्म का सबसे यादगार हिस्सा है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, एनिमेशन डरावना होता जाता है। अँधेरा गहराता है, पेड़ों की शक्लें बदलती हैं, हवा सिसकारती है।

और फिर… वह दृश्य आता है। इचबॉड का अकेले अँधेरे रास्ते से घर लौटना। हर पत्ता, हर आवाज़ उसे डराती है। फिर वो आवाज़… घोड़े की टापें… पीछे से… धीरे-धीरे… फिर तेज़! और फिर वो दिखता है – द हेडलेस हॉर्समैन! अपना सिर हाथ में पकड़े, कुल्हाड़ी लिए, एक पागल घोड़े पर सवार! जो दृश्य शुरू होता है, वो सिनेमा के इतिहास के सबसे शानदार पीछा करने के दृश्यों (चेज़ सीन) में से एक है। एनिमेशन तेज़, डायनामिक और सचमुच डरावना है। इचबॉड का डर, उसकी चीखें, घोड़े की हिनहिनाहट, कुल्हाड़ी की चमक… यह सब मिलकर एक ऐसा रोमांच पैदा करते हैं जो बच्चों को कुर्सी के किनारे बैठा देता है (शायद आँखें बंद करके भी!)। अंत क्या होता है? वो तो रहस्य ही रहता है… एक रहस्य जो सालों तक बच्चों की बहस का विषय बना रहता है।

क्या सीख मिलती है? डरना स्वाभाविक है, लेकिन कभी-कभी हमारा डर हकीकत से भी बड़ा हो जाता है (जैसे इचबॉड का हर छाया से डरना)। लालच (खाने का, पैसे का) मुसीबत में डाल सकता है। और… कहानियाँ कितनी शक्तिशाली हो सकती हैं!

📌 Please Read Also – फैंटासिया: जादूई संगीत और कार्टून का अनोखा मेल

दो कहानियाँ, एक जादू: फिल्म क्यों खास है?

  • दोहरा मज़ा: एक फिल्म में दो अलग-अलग मूड की कहानियाँ – एक पूरी तरह हंसी-मजाक और एक्शन से भरी, दूसरी डरावनी और रहस्यमयी। बच्चे अपनी पसंद का स्वाद पा सकते हैं।

  • अनूठी एनिमेशन शैली: “मिस्टर टोड” का चंचल, एक्सप्रेसिव कार्टून स्टाइल और “इचबॉड” का गहरा, मूडी, डरावना विज़ुअल स्टाइल – दोनों अपने-अपने तरीके से शानदार और आज भी प्रभावशाली हैं।

  • बिंग क्रॉस्बी का जादू: इचबॉड वाले हिस्से में बिंग क्रॉस्बी की नैरेटिव आवाज़ और गाने फिल्म को एक अलग ही लेवल पर ले जाते हैं। उनकी आवाज़ में मस्ती और डर दोनों समाया है।

  • सही मात्रा में डर: “हेडलेस हॉर्समैन” का डर बच्चों के लिए बनाया गया है – रोमांचक, सस्पेंस से भरा, लेकिन ज़्यादा हिंसक या ट्रॉमाटाइजिंग नहीं। यह उन्हें “सुरक्षित डर” का अनुभव देता है, जो उन्हें पसंद आता है।

  • कालजयी पात्र: मिस्टर टोड की जिद और उसकी चमकती आँखें, इचबॉड का डरपोकपन और उसका लंबा-पतला डरपोक चेहरा, ब्रॉम बोन्स का घमंड, हेडलेस हॉर्समैन का भयानक रूप – ये सभी पात्र दशकों बाद भी याद किए जाते हैं।

Movie Nurture: द एडवेंचर्स ऑफ़ इचबॉड एंड मिस्टर टोड

बच्चों की नज़र से (और माता-पिता की नज़र से भी):

  • बच्चों के लिए: यह फिल्म मस्ती (टोड की पागलपन भरी हरकतें), एक्शन (कोर्ट रूम, मोटरगाड़ी का पीछा, हॉर्समैन का पीछा), डर (हेडलेस हॉर्समैन!) और खूबसूरत एनिमेशन का पैकेज है। कहानियाँ सरल लेकिन दिलचस्प हैं।

  • माता-पिता के लिए: यह एक क्लासिक डिज्नी फिल्म देखने का मौका है, जो आज के कंप्यूटर एनिमेशन से अलग हाथ से बनाई गई कला का नमूना है। आप बच्चों को अपने बचपन की एक झलक दिखा सकते हैं (अगर आपने इसे पहले देखा हो तो!)। यह बातचीत शुरू कर सकती है – जुनून के बारे में, डर के बारे में, दोस्ती के बारे में। और हाँ, हेडलेस हॉर्समैन वाला सीन अभी भी डरावना है – छोटे या बहुत संवेदनशील बच्चों को आपके साथ बैठकर देखना चाहिए।

आखिरी बात:

“द एडवेंचर्स ऑफ़ इचबॉड एंड मिस्टर टोड” एक जादुई टाइम कैप्सूल है। यह डिज्नी की “गोल्डन एज” की चमक को दर्शाती है, जब कहानी कहने और एनिमेशन कला पर भरोसा किया जाता था। यह पूरी तरह से परफेक्ट फिल्म नहीं हो सकती (दोनों कहानियाँ थोड़ी संक्षिप्त लग सकती हैं), लेकिन इसका चार्म, चरित्र और दिल दहला देने वाला डर इसे एक खास जगह देता है। यह वो फिल्म है जो बच्चों को पहली बार किसी “पुरानी” कार्टून से प्यार करना सिखा सकती है, उन्हें हँसा सकती है, थोड़ा डरा सकती है, और अंत में एक गर्मजोशी भरी याद के तौर पर उनके दिल में बस जाती है – ठीक वैसे ही जैसे अटारी में मिला कोई प्यारा सा पुराना खिलौना। तो अगली बार जब बच्चे कुछ अलग, कुछ क्लासिक देखना चाहें, तो इचबॉड और मिस्टर टोड के साथ स्लीपी हॉलो और टोड हॉल की सैर पर चल पड़िए। यह सफर निराश नहीं करेगा। बस… रात में देख रहे हों तो खिड़की बंद रखना!

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. यह फिल्म किस उम्र के लिए सही है?
4 साल से ऊपर के सभी बच्चों के लिए उपयुक्त—रंग-बिरंगे कारनामे छोटे बच्चों को लुभाएंगे, कहानी की गहराई बड़े बच्चों को पकड़ लेगी।

2. क्या इसमें डरावने दृश्य हैं?
Headless Horseman का सीन थोड़ा रोमांचक है, लेकिन डर कम और मज़ा ज्यादा देने के लिए बनाया गया है।

3. कहां देखी जा सकती है?
यह फिल्म Disney+ पर स्ट्रीम होती है और कभी-कभी टेलीविजन पर भी दिखती है।

4. अवधि कितनी है?
69 मिनट (1 घंटा 9 मिनट)—बच्चों की धैर्य सीमा के लिए एकदम बढ़िया।

5. क्या इसमें कोई सीख है?
दोस्ती, जिम्मेदारी, साहस और कल्पना की अहमियत—इन पर दिल छू लेने वाले संदेश हैं।

6. किस साहित्य पर आधारित है?
Kenneth Grahame की The Wind in the Willows और Washington Irving की The Legend of Sleepy Hollow।

7. क्या आज भी प्रासंगिक है?
बिल्कुल—कहानियाँ और संदेश आज भी उतने ही ताज़े और मनोरंजक हैं जितने 75 साल पहले थे।

Tags: इचबॉड और मिस्टर टोडक्लासिक कार्टून फिल्मेंडिज़्नी क्लासिक मूवीपुरानी एनिमेटेड फिल्मेंफिल्म समीक्षा हिंदी मेंफैंटेसी और एनिमेशनबचपन की यादेंहॉलीवुड एनिमेशन इतिहास
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