Movie Review: Beqasoor

बेक़सूर بیقصور : अन्याय के ख़िलाफ़ लड़ती उषा की कहानी

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बेकसूर 1950 में बनी बॉलीवुड फ़िल्म है, जिसका निर्देशन के. अमरनाथ और निर्माण एम आर नवलकर ने किया है। फिल्म में मधुबाला, अजीत और दुर्गा खोटे मुख्य भूमिकाओं में हैं, और अनिल बिस्वास द्वारा रचित मधुर संगीत ने सभी के दिलों में राज किया। बेकसूर फिल्म बॉलीवुड सिनेमा में 2 जून 1950 को रिलीज़ हुयी थी और यह उस समय की सफल फिल्मों में से एक रही। इस फिल्म के बाद मधुबाला के अभिनय की मिसाल दी जाने लगी, और उन्होंने अभिनय की एक अलग ही उचाईयों को छुआ।

अभिनेता अजित ने इस फिल्म से अपने फ़िल्मी सफर की शुरुवात की। यह एक पारवारिक ड्रामा फिल्म है, जो एक इंस्पेक्टर के जीवन के इर्द गिर्द घूमती है।

Movie Nurture: Beqasoor
Image Source: Google

Story Line

फिल्म की कहानी बृज नाम के एक युवक के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी अंधी माँ के साथ अपने दुष्ट भाई घनश्याम और भाभी के साथ रहता है। और एक दिन वह उन दोनों को घर से बाहर निकाल देते हैं। बृज अपनी माँ को बहन के पास छोड़कर बंबई काम की तलाश में जाता है। और वहां पर उसको उषा नाम की एक युवती मिलती है, जो वेश्यावृति से बचने के लिए अपने भाई का घर छोड़कर भाग जाती है। ट्रेन में उषा के सामानों की चोरी हो जाती है। बृज उसकी मदद करता है और अपने पुलिस की नौकरी और उषा के लिए भी एक नौकरी पाता है।

दोनों ख़ुशी से अपना जीवन यापन करते हैं, और जल्द ही दोनों में प्रेम हो जाता है और दोनों विवाह कर लेते हैं । विवाह के बाद बृज उषा के साथ अपने परिवार के पास आता है। जहाँ पर बृज ईर्ष्यालु बड़े भाई घनश्याम द्वारा कालाबाजारी करने के लिए फंसाया जाता है, और इस जुर्म में बृज को सजा हो जाती है। उसके बाद शुरू होती है उषा और उसकी अंधी माँ के संघर्ष की कहानी, किस तरह से वह सारी मुश्किलों का सामना करते हुए अंत में बृज की बेगुनाही साबित करके उसकी सजा से माफ़ी दिलवा लेते हैं।

Movie Nurture: Bqasoor
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फिल्म के मुख्य आकर्षण में से एक तीन प्रमुख कलाकरों का अभिनय है। मधुबाला, ने उषा एक ऐसी महिला का किरदार निभाया है, जो पहले वेश्यावृति से बचने के लिए अपने भाई से भगति है और दूसरा अपने पति के जेल जाने के बाद अपनी जिंदगी के लिए संघर्ष करती है। दुर्गा खोटे ने बृज की अंधी माँ का चरित्र बेहद खूबसूरती के साथ निभाया और अपनी बहु उषा का साथ और ख्याल हर समय रखा। बृज की भूमिका निभाने वाले अजीत अपने चरित्र में भेद्यता और संवेदनशीलता की भावना लाते हैं, जिससे वह एक सहानुभूतिपूर्ण व्यक्ति बन जाते हैं। यह फिल्म अभिनेता अजित की पहली फिल्म थी और उन्होंने मंझी अदाकारा मधुबाला का अभिनय में भरपूर साथ दिया।

फिल्म का एक और असाधारण पहलू अनिल बिस्वास द्वारा रचित संगीत है। गाने मधुर और भावपूर्ण हैं, और आज भी याद किए जाते हैं। फिल्म का सबसे प्रसिद्ध गीत “मतवाले नैनोंवाले” है, जिसे लता मंगेशकर ने गाया है, जो फिल्म के केंद्रीय चरित्र, उषा के दिल का हाल दर्शाता है।

कुल मिलाकर, बेक़ासूर एक अच्छी तरह से तैयार की गई फिल्म है जो इसके कलाकारों और क्रू की प्रतिभा को दिखाती है। यह प्यार, बलिदान और मुक्ति की एक खूबसूरत कहानी कहती है। फिल्म के विषय और पात्र आज भी याद किये जाते हैं, और यह भारतीय सिनेमा का एक कालातीत क्लासिक बना हुआ है।

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