भक्त चेथा பக்த சேத்தா 1940 में के. सुब्रह्मण्यम द्वारा निर्देशित और मद्रास युनाइटेड आर्टिस्ट्स कॉर्पोरेशन द्वारा निर्मित एक तमिल फिल्म है। यह फिल्म सिनेमाघरों में 14 जनवरी 1940 को रिलीज़ की गयी थी। फिल्म चेथा नाम के एक व्यक्ति की कहानी को बताती है जो भगवान कृष्ण का भक्त है और अपने आध्यात्मिक लक्ष्य को प्राप्त करने और सामाजिक संघर्ष की उसकी यात्रा को बताता है।
Story Line
यह फिल्म दक्षिण भारत के एक छोटे से गाँव शुरू होती है, और चेथा के इर्द-गिर्द घूमती है, जो भगवान कृष्ण का भक्त है। वह अपना अधिकांश समय भजन गाने और स्थानीय मंदिर में पूजा करने में व्यतीत करता है। मगर यह बात समाज के कुछ अमीर लोगों को पसंद नहीं होती है, उनमे से एक द्रोणा नाम का अमीर व्यक्ति है, जिसका मानना है कि चेथा जो कि एक निचली जाति का मोची है, उसका भगवान क्रष्ण की भक्ति करने का कोई हक़ नहीं है।
हालाँकि, चेथा अपने दिल की सुनने और भगवान कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति जारी रखने के लिए दृढ़ संकल्पित है। एक दिन, चेथा को पता चलता है कि उसका युवा बेटा सेवा द्रोणा, जो कि उससे बेहद नफरत करता है, उसकी बेटी शांता से प्रेम करता है। पहले तो चेथाअपनी अस्विकृति जाहिर करता है, मगर जब उसको पता चलता है कि यह भेदभाव सिर्फ इंसानों की देन है भगवान के लिए सब बराबर हैं वह ना जाति का भेद करता है और ना ही अमीरी का। उसके बाद चेथा उनके विवाह की स्वीकृति दे देता है।
मगर जब यह बात द्रोणा को पता चलती है तो वह बहुत क्रोधित होता है और इस रिश्ते के लिए साफ़ मना कर देता है। द्रोणा चेथा से बदला लेने के बारे में सोचता है और एक योजना बनाता है, जिसके तहत चेथा को भोर से पहले 1000 जोड़ी सैंडल बनाने होते हैं, अगर वह यह बना लेता है तो द्रोणा खुद सेवा का विवाह अपनी बेटी शांता से करवा देगा, मगर अगर चेथा यह काम पूरा नहीं कर पाता तय समय पर तो पूरे समाज के सामने उसका सर कलम कर दिया जायेगा।
चेथा 1000 जोड़ी सैंडल बनाने में लग जाता है। एक समय के बाद वह पूरी तरह से थक जाता है और थोड़ा आराम करने के लिए वह कुछ समय के लिए अपनी आँखे बंद कर लेता है, थकान के कारण उसको नींद आ जाती है। मगर जब वह उठता है तो पाता है कि 1000 जोड़ी सैंडल बन चुके हैं। यह सब देखकर द्रोणा को भी चेथा की भगवान कृष्ण के प्रति उसकी भक्ति की शक्ति पर विश्वास हो जाता है और अंत में वह अपनी बेटी का विवाह सेवा से कर देते हैं।
फिल्म तमिल सिनेमा की मजबूत सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जड़ों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह हिंदू परंपरा में भक्ति और विश्वास के महत्व को चित्रित करती है, और यह कैसे एक व्यक्ति के जीवन को बदल सकता है। फिल्म की कहानी सरल लेकिन शक्तिशाली है, और यह आज भी दर्शकों के साथ जुड़ जाती है।
फिल्म का निर्देशन और छायांकन उत्कृष्ट हैं, और संगीत और गीत उत्कृष्ट हैं। गाने, जो ज्यादातर भगवान की भक्ति से जुड़े हुए हैं, अभी भी तमिल दर्शकों के बीच लोकप्रिय हैं। फिल्म के मुख्य अभिनेता,पापनासम सिवन, चेथा के रूप में एक असाधारण प्रदर्शन प्रदान करते हैं, और उनके चरित्र का चित्रण आश्वस्त और प्रेरक दोनों है। वहीँ दूसरी तरफ द्रोणा के रूप में कोथमंगलम सुब्बू का भी अभिनय बेहद उम्दा है।
भक्त चेथा तमिल सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुयी है, क्योंकि यह आध्यात्मिक विषयों पर ध्यान केंद्रित करने वाली पहली फिल्मों में से एक थी। फिल्म की सफलता ने और अधिक फिल्मों का मार्ग प्रशस्त किया जिन्होंने जीवन के आध्यात्मिक और दार्शनिक पहलुओं को दर्शाया।
अंत में, भक्त चेथा एक कालातीत क्लासिक है जो आज भी दर्शकों को प्रेरित करता है और उनका उत्थान करता है। फिल्म का भक्ति, प्रेम और विश्वास का संदेश सार्वभौमिक है, और यह सभी संस्कृतियों और धर्मों के लोगों की आध्यात्मिक आकांक्षाओं को बयां करता है।
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