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Home 1970

रॉबिन हुड 1973: वो अनदेखा डिज़्नी जादू जिसने पीढ़ियों को चोरों का राजा बना दिया

by Sonaley Jain
June 2, 2025
in 1970, Films, Hindi, Kids Zone, Movie Review, old Films, Top Stories
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Movie Nurture: रॉबिन हुड
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याद है वो बचपन की दोपहर? पंखे की आवाज़, खिड़की से आती गर्म हवा, और टीवी पर चलती कोई ऐसी फिल्म जिसके रंग, संगीत और किरदार आपकी आत्मा में घर कर जाते थे? डिज़्नी का “रॉबिन हुड” (1973) मेरे लिए वैसी ही एक जादुई याद है। ये कोई साधारण एनिमेटेड फिल्म नहीं थी। ये एक ऐसा अनुभव था जिसने मिथक को मनोरंजन में बदला, इतिहास को जानवरों के खोल में पेश किया, और “चोरी” को एक पवित्र कर्तव्य की तरह महिमामंडित कर दिया। आज, जब इसे देखता हूँ, तब भी वही मासूमियत, वही गर्मजोशी और वही विद्रोह की भावना दिल को छू जाती है।

फॉक्स की फुर्ती और भालू का दिल: किरदारों का जादू

डिज़्नी की ये बड़ी चालाकी थी – इंसानी किरदारों को जानवरों के रूप में पेश करना। और क्या शानदार चुनाव थे!

  1. रॉबिन हुड (लोमड़ी): लोमड़ी तो धूर्त होती है न? पर यहाँ रॉबिन लोमड़ी की फुर्ती, चालाकी और चमकती आँखों के साथ-साथ अपार दिल भी रखता है। उसकी मुस्कान में शरारत है, तीर चलाने में निपुणता है, और गरीबों की मदद करने में एक जुनून। वो महज “हीरो” नहीं, एक दोस्त लगता है। “ओ-डी-लैली, ओ-डी-लैली, गॉली, व्हाट अ डे!” गाता हुआ रॉबिन नॉटिंघम के जंगलों में आज़ादी की मिसाल है।

  2. लिटिल जॉन (भालू): भालू जैसा विशालकाय शरीर, पर दिल बिल्कुल बच्चे जैसा नरम। वो रॉबिन का सबसे वफादार दोस्त, थोड़ा आलसी, बहुत भोला और खाने का शौकीन। उसका रॉबिन के साथ लकड़ी के लट्ठे पर लड़ाई वाला दृश्य (“फाइट? नहीं… फेस्टिवल!”) कॉमेडी का मास्टरक्लास है। वो बोझिल शरीर के नीचे छिपा कोमल दिल फिल्म की धड़कन है।MOvie Nurture: रॉबिन हुड

  3. फ्रायर टक (बिल्ली): पादरी की तरह पोशाक पहने, हमेशा गंभीर दिखने की कोशिश करने वाली, पर थोड़ी घबराई हुई ये बिल्ली कितनी प्यारी है! वो जब “द पेपर” गाना गाती है, तो उसकी आवाज़ में एक ऐसी मासूमियत है जो सीधे दिल में उतर जाती है। उसका डर और फिर भी दोस्तों के लिए खड़े होने का साहस… बेहद रिलेटेबल।

  4. प्रिंस जॉन (शेर): क्या विलेन है ये! मामा किंग रिचर्ड की अनुपस्थिति का फायदा उठाने वाला ये बदमाश शेर छोटे बच्चे जैसा है। उसकी अंगूठा चूसने की आदत, गुस्से में उछल-कूद करना (“मेरी मम्मी को मत छेड़ो!”), और सर पेंच के चापलूसी में फंसना – ये सब उसे डरावने से ज्यादा हास्यास्पद और यादगार बनाता है। पीटर यूस्टिनॉफ की आवाज़ ने तो जान ही डाल दी।

  5. सर पेंच (अजगर): ये चिकना, घात लगाकर रेंगने वाला अजगर प्रिंस जॉन का मंत्री है। उसकी फुसफुसाती आवाज़, घुमावदार चाल, और लगातार कर बढ़ाने की साजिशें असली खतरा पैदा करती हैं। वो दिखाता है कि कैसे चापलूसी सत्ता को भ्रष्ट करती है।

और कैसे भूल सकते हैं मेड मेरियन (लोमड़ी) को, जिसकी आँखों में रॉबिन के लिए प्यार और अपने लोगों के लिए चिंता दोनों झलकती है? या फिर स्कैट कैट (बिल्ली) के मासूम बच्चे को, जो गरीबी में भी मस्त रहता है? हर किरदार, अपनी पशु-छवि के साथ, इंसानी भावनाओं को इतनी खूबसूरती से दर्शाता है कि आप भूल जाते हैं कि वो जानवर हैं।

गीत जो दिल में बस जाएं: संगीत की जादूगरी

इस फिल्म की आत्मा हैं इसके गाने। रोजर मिलर और फ्लॉयड हडलस्टन द्वारा लिखे गए ये गाने सिर्फ मनोरंजन नहीं करते, वो कहानी को आगे बढ़ाते हैं, किरदारों को गहराई देते हैं, और अमेरिकन फोक और कंट्री के मेल से एक अनूठा स्वाद पैदा करते हैं।

  1. “Oo-De-Lally” (रॉबिन और लिटिल जॉन): फिल्म का पहला गाना ही आपको नॉटिंघम के जंगलों में ले जाता है। ये खुशी, आज़ादी और दोस्ती का गीत है। बैंजो और फिडिल की धुन आज भी कानों में गूंजती है।

  2. “Love” (मेरियन): मेरियन का ये गीत रॉबिन के प्रति उसके प्यार को बयां करता है। ये मीठा, भावुक और बेहद यादगार है। “लव” शब्द की जादुई पुनरावृत्ति दिल को छू लेती है।

  3. “The Phony King of England” (लिटिल जॉन और ग्रामीण): प्रिंस जॉन के दरबार में शराबखाने में गाया जाने वाला ये गीत विरोध का शानदार तरीका है! मज़ाक उड़ाता हुआ, विद्रोह की भावना जगाता हुआ, और इतना कैची कि आप भी गुनगुनाने लगेंगे। ये फिल्म का सबसे ज़िंदादिल गीत है।

  4. “Not in Nottingham” (एलन-ए-डेल): जेल में बंद रॉबिन और अन्य कैदियों पर फोकस करता ये गीत पूरी फिल्म का सबसे भावुक और गहरा पल है। ये गरीबी, निराशा और अन्याय के खिलाफ एक करुण क्रंदन है। इसकी धुन और बोल दिल को भेद देते हैं।

  5. “Whistle Stop” (स्कैट कैट): ये छोटा सा इंस्ट्रूमेंटल पीस (जिसे बाद में गाने में ढाला गया) फिल्म की थीम बन जाता है। फुर्तीला, मस्ती भरा और बिल्कुल “रॉबिन हुड” वाला अंदाज़।

ये गाने सिर्फ गीत नहीं हैं; वो फिल्म के भावनात्मक स्तंभ हैं। वो खुशी, प्यार, विरोध और दुख को एक ऐसे स्तर पर व्यक्त करते हैं जो डायलॉग अकेले नहीं कर सकते।

Movie Nurture: रॉबिन हुड

सादगी में छिपी खूबसूरती: एनीमेशन और कला शैली

1973 का डिज़्नी अपने “गोल्डन एज” (स्नो व्हाइट, सिंड्रेला) के बाद के दौर में था। बजट कम था। आप कहीं-कहीं कट-पेस्ट (एक्शन सीक्वेंस या क्राउड शॉट्स को पुरानी फिल्मों से दोबारा इस्तेमाल करना) भी देख सकते हैं। पर हैरानी की बात ये है कि ये “कमी” फिल्म के चार्म का हिस्सा बन जाती है!

  • वार्म वॉटरकलर बैकग्राउंड्स: नॉटिंघम के जंगल, शेरवुड फॉरेस्ट, राजमहल – सब कुछ मुलायम, गर्म रंगों में चित्रित है। ये कोई हाइपर-रियलिस्टिक लैंडस्केप नहीं, बल्कि एक सपनों जैसी, कहानी की किताब की दुनिया है। इससे फिल्म को एक अनोखा नॉस्टैल्जिक और कोज़ी फील मिलता है।

  • सरल लेकिन एक्सप्रेसिव कैरेक्टर डिज़ाइन: किरदारों के डिज़ाइन जटिल नहीं हैं, पर उनके चेहरे के भाव और बॉडी लैंग्वेज बेहद स्पष्ट और भावपूर्ण हैं। प्रिंस जॉन का गुस्सा, फ्रायर टक की घबराहट, सर पेंच की धूर्तता – सब कुछ बिना शब्दों के समझ आ जाता है। ये एनीमेशन की ताकत है।

  • एनिमेशन में “ह्यूमन टच”: आप महसूस कर सकते हैं कि ये कम्प्यूटर जनरेटेड परफेक्शन नहीं है। इसमें हाथ से बनाई गई ड्रॉइंग की गरमाहट और थोड़ी सी खुरदरापन है, जो इसे और भी ज़्यादा दिलचस्प और ऑथेंटिक बनाती है।

सिर्फ बच्चों की फिल्म? बिल्कुल नहीं!

“रॉबिन हुड” को अक्सर सिर्फ एक बच्चों की फिल्म समझ लिया जाता है। ये गलत है। इसकी सतही मस्ती और जानवरों के किरदारों के नीचे गहरी सामाजिक और राजनीतिक टिप्पणियाँ दबी हैं:

  1. आर्थिक असमानता और करों का बोझ: प्रिंस जॉन और सर पेंच गरीब जनता पर मनमाने कर थोपते हैं, उन्हें लूटते हैं। ये आज के वैश्विक संदर्भ में भी प्रासंगिक है। रॉबिन का “गरीबों से लेकर अमीरों को लौटाना” कर व्यवस्था के अन्याय के खिलाफ एक प्रतीकात्मक विद्रोह है।

  2. सत्ता का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार: राजा का भाई होने के नाते प्रिंस जॉन सत्ता का पूरा दुरुपयोग करता है। सर पेंच जैसे चापलूस भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं। ये सत्ता के भ्रष्ट होने के शाश्वत खतरे को दिखाता है।

  3. व्यक्तिगत स्वतंत्रता बनाम निरंकुश शासन: रॉबिन और उसके साथी शेरवुड फॉरेस्ट में आज़ादी से रहते हैं, राजा के अन्यायपूर्ण कानूनों को चुनौती देते हैं। ये व्यक्ति की स्वतंत्रता और न्याय के लिए संघर्ष की कहानी है।

  4. एकता और समुदाय की शक्ति: रॉबिन अकेला नायक नहीं है। उसकी ताकत उसके साथियों – लिटिल जॉन, फ्रायर टक, और पूरे गाँव के लोगों की एकता में है। ये संदेश कि बुराई से लड़ने के लिए एकजुट होना ज़रूरी है, बहुत मज़बूती से दिया गया है।

Movie Nurture: रॉबिन हुड

एक विरासत जो कभी पुरानी नहीं होती

आधी सदी बीत जाने के बाद भी, रॉबिन हुड (1973) अपनी चमक नहीं खोता। ये डिज़्नी की उन अनकही कृतियों में से है जो अपने समय के तकनीकी सीमाओं को पार करके अनंत आकर्षण पैदा करती हैं। ये फिल्म है:

  • दिल को छू लेने वाली मासूमियत और गर्मजोशी से भरी।

  • यादगार किरदारों और कैची गानों का खजाना।

  • सादगी में छिपी खूबसूरती की मिसाल।

  • मनोरंजन के पैकेज में छिपे सामाजिक सरोकारों वाली।

ये सिर्फ एक एनिमेटेड फिल्म नहीं है; ये बचपन की एक याद है, अच्छाई पर विश्वास का एक गीत है, और एक सदाबहार कहानी है जो हर पीढ़ी को ये याद दिलाती है कि अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाना और गरीबों की मदद करना ही असली वीरता है। जब भी “ओ-डी-लैली” की धुन सुनाई दे, मन करता है फिर से शेरवुड के जंगलों की सैर करने का, जहाँ एक फुर्तीला लोमड़ी और उसका दोस्त भालू, भले लोगों के लिए लड़ रहे होते हैं। और शायद, यही इस फिल्म की सबसे बड़ी जीत है – वो हमें अपने भीतर का न्यायप्रिय, दयालु और थोड़ा बागी बच्चा फिर से जगा देती है।

Tags: Disney Classic MoviesDisney Movie ReviewsInspirational MoviesKids MoviesOld Animated MoviesRobin Hood Story
Sonaley Jain

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