• About
  • Advertise
  • Careers
  • Contact
Friday, June 27, 2025
  • Login
No Result
View All Result
NEWSLETTER
Movie Nurture
  • Bollywood
  • Hollywood
  • Indian Cinema
    • Kannada
    • Telugu
    • Tamil
    • Malayalam
    • Bengali
    • Gujarati
  • Kids Zone
  • International Films
    • Korean
  • Super Star
  • Decade
    • 1920
    • 1930
    • 1940
    • 1950
    • 1960
    • 1970
  • Behind the Scenes
  • Genre
    • Action
    • Comedy
    • Drama
    • Epic
    • Horror
    • Inspirational
    • Romentic
  • Bollywood
  • Hollywood
  • Indian Cinema
    • Kannada
    • Telugu
    • Tamil
    • Malayalam
    • Bengali
    • Gujarati
  • Kids Zone
  • International Films
    • Korean
  • Super Star
  • Decade
    • 1920
    • 1930
    • 1940
    • 1950
    • 1960
    • 1970
  • Behind the Scenes
  • Genre
    • Action
    • Comedy
    • Drama
    • Epic
    • Horror
    • Inspirational
    • Romentic
No Result
View All Result
Movie Nurture
No Result
View All Result
Home 1930

1930s में फिल्मों की शूटिंग कैसे होती थी?

by Sonaley Jain
April 26, 2025
in 1930, Behind the Scenes, Bollywood, Hindi, old Films, Top Stories
0
Movie Nurture: 1930s में फिल्मों की शूटिंग कैसे होती थी?
0
SHARES
0
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

सुबह के चार बजे। बंबई के दादर इलाके में एक मकान के बाहर बैलगाड़ी रुकी। ड्राइवर ने ढेर सारे लकड़ी के डिब्बे उतारे—कुछ में बल्ब थे, कुछ में कांच के प्लेट, और एक में तारों का गुब्बारा। अंदर, एक युवक ने हाथ से क्रैंक किए जाने वाले कैमरे को साफ़ करते हुए कहा, “आज रात तक यह शॉट पूरा करना है, वरना स्टूडियो का बिजली बिल नहीं भर पाएँगे।” यह था 1930 का दशक—जब फिल्में बनाना सिर्फ़ कला नहीं, बल्कि एक साहसिक यात्रा थी।

साइलेंट से टॉकीज तक: कैमरे का क्रांतिकारी सफर

1930 का दशक भारतीय सिनेमा के इतिहास में वह पल था जब “साइलेंट फिल्मों” की दुनिया में आवाज़ का विस्फोट हुआ। 1931 में आलम आरा रिलीज़ हुई—भारत की पहली बोलती फिल्म। मगर इस “टॉकी” को बनाने की प्रक्रिया इतनी मुश्किल थी कि निर्देशक अर्देशिर इरानी को स्टूडियो में शूटिंग के दौरान पुलिस की सुरक्षा लेनी पड़ी। कारण? लोग हैरान थे कि पर्दे पर अभिनेता बोल कैसे रहे हैं!

Movie Nurture: 1930s में फिल्मों की शूटिंग कैसे होती थी?

उस ज़माने के कैमरे “मूक” थे। ध्वनि रिकॉर्ड करने के लिए अलग से ग्रामोफोन रिकॉर्डर लगाए जाते थे। एक गलती होती और पूरा टेक दोबारा शुरू। आलम आरा के गाने “दे दे ख़ुदा के नाम पर” को रिकॉर्ड करते वक्त संगीतकार जोसेफ़ डेविड को 12 बार रीटेक लेना पड़ा—हर बार एक एक्स्ट्रा म्यूजिशियन को बाहर बैठना पड़ता ताकि माइक सिर्फ़ गायक की आवाज़ पकड़े।

स्टूडियो: जहाँ बिजली नहीं, दीयों से चलता था काम

आज के सुपर-टेक्निकल स्टूडियोज़ की कल्पना करना छोड़ दीजिए। 1930 के दशक में स्टूडियो असल में बड़े-बड़े शेड होते थे, जिनकी छतों पर कपड़ा तान दिया जाता ताकि धूप को नियंत्रित किया जा सके। बॉम्बे टॉकीज़ (जिसकी स्थापना 1934 में हुई) जैसे स्टूडियोज़ में बिजली नहीं होती थी—दिन में शूटिंग के लिए सूरज की रोशनी और शाम को पेट्रोमैक्स लैंप का इस्तेमाल होता।

लाइटिंग के लिए “आर्क लैंप” इस्तेमाल किए जाते, जो इतने गर्म होते कि अभिनेताओं का मेकअप पसीने में बह जाता। एक किस्सा प्रचलित है कि अछूत कन्या (1936) की शूटिंग के दौरान अभिनेत्री देविका रानी का घाघरा आग पकड़ लिया—आर्क लैंप की गर्मी से!

कैमरा: हाथ से चलने वाला वह जादुई डिब्बा

उस ज़माने के कैमरे “हैंड-क्रैंक्ड” होते थे। कैमरामैन को एक हाथ से क्रैंक घुमाना पड़ता और दूसरे हाथ से लेंस फोकस करना पड़ता। फिल्म की स्पीड (फ्रेम प्रति सेकंड) भी मैन्युअल तय होती। एक गलत क्रैंक और पूरा शॉट बर्बाद! पुकार (1939) के एक दृश्य में सरदार अख्तर को घोड़े पर भागते हुए शूट करना था। कैमरामैन ने इतनी तेज़ी से क्रैंक घुमाया कि फिल्म की स्पीड कम हो गई—जब प्रोजेक्टर पर चला, तो घोड़ा “फास्ट-फॉरवर्ड” लगा। दर्शक हँस पड़े, मगर शॉट रीटेक नहीं हुआ—फिल्म स्टॉक बहुत महंगा था।

साउंड: जब माइक्रोफोन को छुपाना पड़ता था

टॉकीज के आने के बाद सबसे बड़ी चुनौती थी—ध्वनि रिकॉर्ड करना। माइक्रोफोन बहुत बड़े और संवेदनशील होते थे। उन्हें छुपाने के लिए फूलदान, लैंप या यहाँ तक कि अभिनेताओं के कपड़ों में सिल दिया जाता! जीवन नैया (1936) में एक दृश्य था जहाँ नायिका को पेड़ के नीचे बैठकर गाना था। माइक्रोफोन को पेड़ की डाली पर लटका दिया गया, मगर हवा के झोंके से वह हिलने लगा। रिकॉर्डिंग में पत्तों की खड़खड़ाहट इतनी ज़्यादा थी कि निर्देशक को गाने के बीच में “कृत्रिम बारिश” के इफेक्ट डालने पड़े!

सेट और कॉस्ट्यूम: जुगाड़ से बनता था जादू

सेट डिज़ाइनरों के पास बजट नहीं होता था। महल बनाने के लिए लकड़ी के फ्रेम पर कागज़ चिपका दिया जाता। राजा हरिश्चंद्र (1931) में स्वर्ग के दृश्य के लिए चांदी की फॉयल को कपड़े पर टांगा गया था। हवा से फॉयल हिलता, तो लगता जैसे स्वर्ग की रोशनी झिलमिला रही है!

कॉस्ट्यूम के लिए अक्सर थिएटर के पुराने कपड़े इस्तेमाल होते। मिलन (1936) में नायिका के गहने असल में चूड़ियाँ थीं जिन्हें रंगकर चमकाया गया था। एक बार तो सीन के दौरान चूड़ियों का रंग पसीने में घुलकर अभिनेत्री की कलाई पर बह गया!

Movie Nurture: 1930s में फिल्मों की शूटिंग कैसे होती थी?

एक्टिंग: जब अदाकारी नहीं, आवाज़ें डराती थीं

साइलेंट फिल्मों के अभिनेता आवाज़ के लिए नहीं, चेहरे के हावभाव के लिए जाने जाते थे। टॉकीज के आते ही कई सितारे बेरोज़गार हो गए—उनकी आवाज़ “फिल्मी” नहीं लगती थी। आलम आरा के हीरो विट्ठल की आवाज़ को लेकर निर्माता चिंतित थे। जब पहली बार उन्होंने डायलॉग बोला, तो स्टूडियो में मौजूद लोग हँस पड़े—उनकी आवाज़ बहुत पतली थी! समाधान निकाला गया: विट्ठल ने डायलॉग धीरे बोले, और उनकी आवाज़ को ग्रामोफोन रिकॉर्डर पर स्पीड कम करके चलाया गया।

रिलीज़: जब फिल्में ट्रेन से जाती थीं रंगमंच तक

फिल्में बनाने के बाद उन्हें प्रिंट करना अगली चुनौती थी। प्रिंटिंग लैब्स में हाथ से फिल्म स्ट्रिप्स को डेवलप किया जाता। कई बार तो निर्देशक खुद रात भर जागकर प्रिंट्स की निगरानी करते। रिलीज़ के दिन फिल्म की कॉपी को लोहे के डिब्बे में बंद करके ट्रेन से भेजा जाता। एक बार किसान कन्या (1937) की कॉपी वाली ट्रेन लेट हो गई। थिएटर मालिक ने दर्शकों को मनाने के लिए खुद स्टेज पर जाकर गाने गाए!

विरासत: वह दशक जिसने सिखाया ‘जुगाड़’

1930 का दशक सिनेमा के लिए प्रेरणा का नाम था। उस समय न थे VFX, न डिजिटल साउंड, न ही सोशल मीडिया पर प्रचार। मगर फिल्मकारों ने जो बनाया, वह आज भी याद किया जाता है। यह वह दौर था जब एक कैमरामैन की गलती से “क्लोज-अप शॉट” का जन्म हुआ, या जब बारिश के इफेक्ट के लिए छत से पानी के बाल्टी डाली जाती थीं।

आज के दौर में जब एक क्लिक पर AI एनीमेशन बन जाता है, 1930 की वह मेहनत हमें याद दिलाती है कि सिनेमा सिर्फ़ टेक्नोलॉजी नहीं—दिल की धड़कन है। और शायद इसीलिए, आज भी जब आलम आरा का वह पहला गाना सुनाई देता है, तो लगता है जैसे कोई दादा-दादी अपनी ज़िदगी का सबसे रोमांचक किस्सा सुना रहे हों।

Tags: 1930s moviesClassic FilmsGolden Ag eOf Cinemaपुरानी फिल्मेंफिल्म शूटिंग इतिहास
Sonaley Jain

Sonaley Jain

Lights, camera, words! We take you on a journey through the golden age of cinema with insightful reviews and witty commentary.

Next Post

The Chainsmokers Actually Make a Great Nickelback Cover Band

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recommended

Movie Nurture: ऑलेक्ज़ेंडर डोवज़ेन्को: सोवियत सिनेमा के एक अग्रणी

ऑलेक्ज़ेंडर डोवज़ेन्को: सोवियत सिनेमा के एक अग्रणी

1 year ago
Movie Nurture: 5 Silent actress

भूली-बिसरी साइलेंट एरा की 5 महिला सुपरस्टार्स

1 week ago

Popular News

    Connect with us

    Newsletter

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetuer adipiscing elit. Aenean commodo ligula eget dolor.
    SUBSCRIBE

    Category

    • 1920
    • 1930
    • 1940
    • 1950
    • 1960
    • 1970
    • Action
    • Behind the Scenes
    • Bengali
    • Bollywood
    • Comedy
    • Drama
    • Epic
    • Films
    • Genre
    • Gujarati
    • Hindi
    • Hollywood
    • Horror
    • Indian Cinema
    • Inspirational
    • International Films
    • International Star
    • Kannada
    • Kids Zone
    • Korean
    • Malayalam
    • Marathi
    • Movie Review
    • National Star
    • old Films
    • Others
    • Popular
    • Romentic
    • Science Fiction
    • South India
    • Super Star
    • Tamil
    • Telugu
    • Top 10
    • Top Stories
    • Uncategorized

    Site Links

    • Log in
    • Entries feed
    • Comments feed
    • WordPress.org

    About Us

    We bring you the best Premium WordPress Themes that perfect for news, magazine, personal blog, etc. Check our landing page for details.

    • About
    • Advertise
    • Careers
    • Contact

    © 2025 JNews - Premium WordPress news & magazine theme by Jegtheme.

    No Result
    View All Result
    • Home

    © 2025 JNews - Premium WordPress news & magazine theme by Jegtheme.

    Welcome Back!

    Login to your account below

    Forgotten Password?

    Retrieve your password

    Please enter your username or email address to reset your password.

    Log In
    Copyright @2020 | Movie Nurture.