बॉलीवुड की एक क्लासिक सुपरहिट फिल्म जिसने उस साल सबसे ज्यादा कमाई की और उस ज़माने में इस फिल्म ने 40 मिलियन रुपये कमाए और यह फिल्म सभी समय की सबसे व्यावसायिक, सफल और प्रभावशाली भारतीय फिल्मों में से एक बन गयी। मधुमती बॉलीवुड की एक सुपरहिट फिल्म जिसको बंगाली निर्देशक बिमल रॉय ने बनाया। मधुमती भारतीय सिनेमा में 12 सितम्बर 1958 को रिलीज़ हुयी थी।
Story Line –
इस क्लासिक बॉलीवुड फिल्म की कहानी शुरू होती है एक इंजीनियर देवेंदर से , जो एक तूफानी रात में बारिश से बचने के लिए अपने सहयोगी के साथ एक पुरानी हवेली में आश्रय लेता है। जैसे ही वह उस खंडर हवेली में कदम रखता है तो उसको वह पहचानी सी लगती है। जैसे – जैसे वह आगे बढ़ता है उसको पता होता है कि आगे कौन सा कमरा है और वहां क्या है।
कमरे में राखी एक तस्वीर को जब देवेंदर देखता है तो उसको अपने पुराने जन्म की अधूरी प्रेम कहानी याद आ जाती है। और फिल्म फ्लेशबैक में चली जाती है जहाँ पर एक युवा आनंद, जो श्यामनगर टिम्बर एस्टेट का नया प्रबंधक हैं। जिसको अपने खाली समय में चित्रकारी करना और पहाड़ों पर घूमना पसंद है।
आनंद को वहां पर रहने वाली एक पहाड़न मधुमती से प्रेम हो जाता है और वह भी आनंद बाबू से प्रेम करने लगती है। मगर जब यह बात राजा उग्र नारायण की पता चलती है तो वह दोनों को अलग करने की कोशिशे करता है। जिसके लिए वह आनंद की अपनी कंपनी में रेपुटेशन को ख़राब करता है और जब इससे भी बात नहीं बनती तो वह मधुमती का अपहरण ही कर लेता है।
जब यह बात आनंद को पता चलती है तो राजा उग्र नारायण और आनंद में लड़ाई भी होती है। जिसमे उग्र नारायण के गुंडे आनंद को बेहोश कर देते हैं और उसको हवेली के बाहर फेंक देते हैं। जहाँ से चरणदास आनंद को उठाकर हॉस्पटल ले जाता है। हॉस्पिटल में आनंद की तो जान बच जाती है मगर राजा उग्र नारायण मधुमती को मार देता है।
आनंद इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाटा और उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। एक दिन आनंद की मुलाकात मधुमती जैसी दिखने वाली माधवी से होती है। आनंद उसको मधुमती समझता है मगर वह बहुत समझाती है किवह उसकी मधुमती नहीं बल्कि वह तो माधवी है। माधवी को आनंद की बातों पर उस समय विश्वास होता है, जब वह मधुमती की तस्वीर को देखती है। तस्वीर वाली लड़की हु बा हु उसी की तरह दिखती है।
आनंद राजा उग्र नारायण को उसके गुनाहों की सजा दिलवाने के लिए एक योजना बनाता है। और वह माधवी से अनुरोध करता है कि वह इस नाटक में मधुमती का किरदार निभाए। माधवी आनंद की सहायता करने के लिए तैयार हो जाती है। वह सभी मिलकर राजा उग्र नारायण को महल के उसी कमरे में लेकर आते हैं। सब कुछ वैसा ही होता है जैसा कि उस दिन था। मधुमती राजा उग्र नारायण के सामने आती है और उस पर अपनी हत्या का आरोप लगाती है। यह देखकर उग्र नारायण बहुत डर जाता है। और अपना गुनाह कबूल कर लेता है। कमरे के बाहर कड़ी पुलिस उसको पकड़ कर ले जाती है। उतने में ही माधवी वहां आ जाती है और बताती है कि रास्ते में गाड़ी ख़राब होने कि वजह से उसको देर हो गयी।
आनंद को समझ आ जाता है कि अभी थोड़ी देर पहले वो सब कुछ सच में मधुमती ने ही किया था। वह छत कि तरफ भागता है तो उसको मधुमती छत पर दिखती है मुस्कुराते हुए और वह छत से एकदम से गिर जाती है और उसको पकड़ने और बचाने के लिए आनंद भी उसके पीछे छत से गिर जाता है और उसकी मौत हो जाती है।
देवेंदर यह कहानी जब अपने सहयोगी को सुनाता है तो उसको लगता है कि सच्चे प्रेम में कितनी ताकत होती है। उतने में ही उसके पास खबर आती है कि जिस ट्रेन से उसका परिवार आ रहा था उसका एक्सीडेंट हो गाया है। वह वहां से भागता है और देखता है कि उसका परिवार सही सलामत है और वह आनंद और मधुमती के प्रेम को याद करता है।
Songs & Cast –
फिल्म का सुपरहिट संगीत साहिल चौधरी का है और इन खूबसूरत गानों को शैलेन्द्र ने लिखा है। फिल्म के सभी ११ गाने बेहद सुरीले और जनता के द्वारा पसंद किये गए थे। “दिल तड़प तड़प के कह रहा”, “जंगल में मोर नाचा”,”हम हाल ऐ दिल सुनेंगे”, “आजा रे परदेसी”, “सुहाना सफर और ये मौसम हसीं “, “ज़ुल्मी संग अँख लाड़ी रे” , “चढ गयो पापी बिछुआ”, आदि अन्य और इन गीतों को अपनी सुरीली आवाज़ से गाया है मुकेश, लता मंगेशकर, मुबारक बेगम,द्विजेन मुखोपाध्याय,आशा भोसले, सबिता चौधरी, गुलाम मोहम्मद और मोहम्मद रफ़ी ने।
इस फिल्म में दिलीप कुमार ने देवेंदर और आनंद का किरदार निभाया है और वैजयंतीमाला ने मधुमती और माधवी का। और जॉनी वॉकर फिल्म में चरणदास के किरदार ने जहाँ नज़र आये वहीं राजा उग्रा नारायण के रूप में प्राण ने नेगेटिव शेड दिया।