नूतन क्लासिक भारतीय सिनेमा की एक बेहतरीन अदाकारा, जिन्होंने 4 दशकों के अपने अभिनय के सफर में कुल 70 फिल्मे की। नूतन अपने फ़िल्मी सफर में 5 बार बेस्ट अभिनेत्री का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी जीत चुकी हैं। पदम् श्री अवॉर्ड से सम्मानित नूतन की मृत्यु 21 फरवरी 1991 को ब्रेस्ट कैंसर की वजह से अपने पैतृक शहर मुंबई में हुयी थी।
Early Life
नूतन समर्थ बहल का जन्म 4 जून 1936 को मुंबई के एक मराठी हिंदू चंद्रसेनिया कायस्थ प्रभु परिवार में हुआ था। नूतन का परिवार फ़िल्मी दुनिया से तालुक्कात रखता था , उनके पिता कुमारसेन समर्थ एक फिल्ममेकर और कवि थे और उनकी माँ शोभना एक प्रसिद्ध अभिनेत्री।
नृत्य और संगीत की शौकीन नूतन ने महज़ 3 वर्ष की उम्र में ही शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू कर दिया था। नूतन अपने परिवार की सबसे बड़ी बेटी थी, उनका एक भाई जयदीप समर्थ और दो बहनें तनुजा मुखर्जी और चतुरा। तनुजा ने भी अपनी बड़ी बहन की तरह फ़िल्मी दुनिया में अपार सफलता पायी।
नूतन को नृत्य और संगीत के साथ – साथ पढ़ने का भी बहुत शौक था। उन्होंने अपनी स्कूलिंग सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल, पंचगनी, महाराष्ट्र से की और बाद में फिल्मों में अभिनय के साथ – साथ ग्रेजुएशन की ला चेटेलाइन स्कूल, स्विट्ज़रलैंड से।
Professional Life
नूतन ने अपने अभिनय की शुरुआत मात्र 14 वर्ष में अपनी माता शोभना द्वारा बनाई गयी फिल्म हमारी बेटी (1950 ) में एक बाल कलाकार के रूप में की थी। नूतन ने अभिनेत्री के रूप में 1955 में आयी फिल्म सीमा से अपना प्रोफेशनल सफर शुरू किया। इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला।
इसके बाद 1959 में उन्होंने दो सुपरहिट फिल्मे दी अनाड़ी फिल्म उन्होंने राज कपूर के साथ की और सुजाता फिल्म की सुनील दत्त के साथ , उसके बाद उनकी सफल फिल्मों का सफर युहीं चलता रहा और उन्होंने एक के बाद एक सुपरहिट फिल्मों से दर्शकों के दिलों में अपनी एक जगह बना ली।
1960 में आयी राज कपूर के साथ फिल्म छलिया उनकी भूमिका के लिए फिल्म समीक्षकों ने नूतन के अभिनय की बहुत तारीफ की है – “As the unfortunate girl disowned by her relatives for no fault of hers, Nutan puts over a superb and memorable portrayal.”
Personal Life
नूतन 11 अक्टूबर 1959 को भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट-कमांडर रजनीश बहल के साथ विवाह के बंधन में बंध गयी थी। नूतन ने प्रोफेशनल लाइफ के साथ – साथ पर्सनल लाइफ में भी बेलेन्स बना के रखा। जहाँ वह अपने अभिनय के नए – नए अयं बना रही थी वहीँ दूसरी तरफ वह शिकार करने , नॉवेल पढ़ने का समय निकल ही लेती थी। उनके पुत्र मोहनीश बहल एक प्रसिद्ध फिल्म और टीवी अभिनेता है। एक जिंदा दिल अभिनेत्री ने 21 फरवरी 1991 में ब्रेस्ट कैंसर की वजह से इस दुनिया से रुख्सत ले लिया।
Awards & Recognition
नूतन को अपने 4 दशक से भी ज्यादा के करियर में कई सारे अवॉर्ड्स मिले।
1974 में नूतन को भारत सरकार द्वारा भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री पुरुस्कार मिला ।
Filmfare Best Actress Award – यह अवॉर्ड नूतन को 5 बार मिला अपनी फिल्म सीमा (1957 ), सुजाता (1960 ), बंदिनी (1964 ), मिलन (1968 ) और मै तुलसी तेरे आँगन की (1979 ) में। दो अलग – अलग फिल्मों के लिए उन्हें नामांकित भी किया गया था।
Filmfare Best Supporting Actress Award – यह अवॉर्ड नूतन को मेरी जंग के लिए मिला था और में तुलसी तेरे आंगन की, सौदागर और अनुराग के लिए वह तीन बार नामांकित भी हुयी थी।
BFJA Award for Best Actress – यह अवॉर्ड उन्हें उनकी तीन फिल्मों में किये गए सबसे अच्छे प्रदर्शन के लिए मिले , बंदिनी , सौदागर और मिलन।
2011 में, Rediff.com ने नूतन को अब तक की तीसरी सबसे बड़ी अभिनेत्री के रूप में माना। 2013 में, “भारतीय सिनेमा के 25 महानतम अभिनय प्रदर्शन” की सूची में नूतन की बंदिनी फिल्म में किये गए उनके प्रदर्शन को शामिल किया , फोर्ब्स इंडिया ने कहा , “Nutan’s talent is a fusion of emotions without resorting to over-the-top histrionics.”
फरवरी 2011 में भारत के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री द्वारा उन्हें सम्मानित करने के लिए उनकी तस्वीर वाला एक डाक टिकट जारी किया गया था।
Films
हमारी बेटी (1950), नगीना ( 1951), हमलोग ( 1951), शीशम (1952), लैला मजनू (1953), सीमा (1955), हीर (1956), पेइंग गेस्ट (1957) ,जिंदगी या तूफान (1957 ), अनाड़ी (1959 ), सुजाता (1959 ), छलिया (1960 ), बंदिनी (1963), तेरे घर के सामने (1963 ), छोटा भाई (1966) दुल्हन एक रात की (1967), मैं तुलसी तेरे आंगन की (1978 ), साजन बिना सुहागन (1978 ), मेरी जंग (1985 ), सजना साथ निभाना (1986 ), कर्मा (1986 ), रिश्ता कागज का (1983 )नसीबवाला (1992) ,
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1 thought on “Nutan : जिंदगी की कुछ बातें इतनी खूबसूरत होती हैं, जो वक्त से पहले नहीं बताई जा सकती है”