काव्यमेला एक मलयालम फिल्म, जो 22 अक्टूबर 1965 को दक्षिण भारतीय सिनेमा में रिलीज़ हुयी थी। इसका निर्देशन एम. कृष्णन नायर ने किया था। यह फिल्म 1961 में रिलीज़ हुयी एक कन्नड़ फिल्म कंथेरेडु नोडु का रीमेक है। इस फिल्म को उस साल मलयालम में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला था।
जब आपको जीवन में हर जगह से नाकामी मिलती है तो आप इतने हताश हो जाते हैं कि एक छोटी सी सफलता की रौशनी भी आपको नहीं दिखाई देती है। अगर हम उस छोटी सी रोशनी को देख लें तो उसी के सहारे हम बहुत बड़ी सफलता भी प्राप्त कर सकते हैं।
Story Line
कहानी शुरू होती है जयदेवन नाम के एक नेत्रहीन कवि से , जिसका जूनून उसकी लिखी गयी कवितायेँ होती है और वह इन कविताओं के संग्रह को पब्लिश करवाना चाहता है जिससे उसकी यह कवितायेँ हर किसी के पास पहुँच सके। लेकिन उसकी किस्मत कभी भी उसका साथ नहीं देती। वो जहाँ जहाँ जाता है उससे पहले उसकी नाकामी पहुँच जाती है और सभी लोग उसके संग्रह को पब्लिश करने से मना कर देते हैं।
जयदेवन अपनी बड़ी बहन के साथ रहता है मगर कुछ भी कमाई ना करने की वजह से वह वह अपनी बहन द्वारा नाकारा जाता है हमेशा और एक दिन तो जयदेवन को बहन घर से ही निकाल देती है। घर से निकलते ही वह एक बदमाश विक्रमन द्वारा ठगा जाता है। जयदेवन का सभी पर से और जीवन से विश्वास ही उठ जाता है।
मगर एक दिन उसकी मुलाकात श्रीदेवी नाम की एक युवती से होती है। पहले श्रीदेवी को संदेह होता है और उसे लगता है कि जयदेवन उसको बेवकूफ बना रहा है। मगर कुछ समय बाद वह उस पर भरोसा करने लगती है। पेशे से नर्स श्रीदेवी डॉक्टर की मदद से जयदेवन की रोशनी वापस लेकर आती है।
धीरे धीरे जयदेवन और श्रीदेवी एक दूसरे से प्रेम करने लगते हैं। आँखों की रोशनी पाकर जयदेवन को एक नयी दिशा मिल जाती है एक नए सिरे से प्रयास करने की। उसी बीच विक्रमन जयदेवन के संग्रह को चुरा लेता है और अपने नाम से पब्लिश करवा लेता है। जयदेवन की कवितायेँ पब्लिश होते ही सभी को पसंद आती हैं और विक्रमन बहुत ही प्रसिद्ध हो जाता है।
जयदेवन को पता चलता है तो उसको बहुत दुःख होता है मगर श्रीदेवी के समझाने और साथ देने पर वह विक्रमन का सच सभी के सामने लाने के बारे में सोचता है। पहले तो वह विक्रमन से साफ़ बात करता है मगर विक्रमन उसकी हर बात को नकार देता है तो वह और श्रीदेवी चालाकी से सच सामने लाते हैं और जो जयदेवन का था सम्मान, आदर , प्रसिद्धि और पैसा सब कुछ वापस उसी के पास आ जाता है।
Songs & Cast
फिल्म में संगीत वी. दक्षिणमूर्ति ने दिया है और उस समय का बेहद लोकप्रिय संगीत था। इन खूबसूरत गीतों को वायलर रामवर्मा ने लिखा है जैसे – “देवी श्रीदेवी ദേവി ശ്രീദേവി “, “ईश्वरनेथेदिथेदी ഈശ്വരനെഥെതിഥെഡി “, “जननी जगजानानी ജനാനി ജഗജനാനി “, “नादम शून्यथायिंकल നാദം ശൂന്യതയ്ങ്കൽ “, “नित्यवसंथम നിത്യവസന്തം”, “स्वपनंगल स्वप्नंगल സ്വപ്നങ്കൽ സ്വപ്നങ്കൽ “, “स्वपनंगल स्वप्नांगले സ്വപ്നങ്കൽ സ്വപ്നങ്കലെ “, “स्वरागरूपिनी സ്വരരാഗരൂപിനി “, “तीर्थयात्र इथु തീർത്ഥയാത്ര ഇത്തു” और इन गानों को गाया है के जे येसुदास, पी. लीला, पी.बी. श्रीनिवास और उथमन ने।
इस सुपरहिट मलयालम फिल्म में प्रेम नज़ीर और शीला ने मुख्य भूमिकाएं जयदेवन और श्रीदेवी की निभाई है और इन दोनों के अलावा फिल्म को बांधने में मदद की है अदूर भासी ( विक्रमन ), जी. के. पिल्लई (डॉ. पणिक्कर), एस. पी. पिल्लै ( कामती ), प्रतापचंद्रन (प्रसादकण) आदि कलाकारों ने।
Review
2 घंटे 18 मिनट्स की एक सुपरहिट मलयालम फिल्म काव्यमेला, एम. कृष्णन नायर द्वारा निर्देशित यह ब्लैक एन्ड व्हाइट फिल्म 22 अक्टूबर 1965 को केरला के सभी सिनेमा घरों में रिलीज़ हुयी। सुपरहिट एक्टर प्रेम नज़ीर और शीला की जोड़ी ने कमाल ही कर दिया। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कई सारे रिकॉर्ड बनाये और उस वर्ष इसने मलयालम का राष्ट्रिय अवार्ड भी जीता।
Lights, camera, words! We take you on a journey through the golden age of cinema with insightful reviews and witty commentary.