तेलुगु सिनेमा, यानी टॉलीवुड, सिर्फ “मसाला” और बड़े-बड़े सेट्स का नाम नहीं है। यह एक ऐसी दुनिया है जहाँ दिल को छू लेने वाली कहानियाँ, कभी न भूलने वाले किरदार, और ऐसी फिल्मकारी मिलती है जो आपको सोचने पर मजबूर कर दे। ये फिल्में सिर्फ आँखों का नहीं, दिल का भी मनोरंजन करती हैं। तो चलिए, डूब जाते हैं उन 10 अनमोल टॉलीवुड फिल्मों में जिन्हें देखने के बाद आप खुद-ब-खुद कह उठेंगे – “धन्यवाद टॉलीवुड!”
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बाहुबली: द बिगिनिंग & द कन्क्लूजन (2015 & 2017): इस लिस्ट की शुरुआत इस महाकाव्य के बिना हो ही नहीं सकती। एस.एस. राजमौली की यह कृति सिर्फ एक फिल्म नहीं, एक सांस्कृतिक भूकंप थी। महिष्मती साम्राज्य की कथा, अमरेंद्र बाहुबली और भल्लालदेव की प्रतिद्वंद्विता, देवसेना का अदम्य साहस, और कट्टप्पा का वो ऐतिहासिक जवाब – “कट्टप्पा… नी बासवन्ना!” – सब कुछ इतना भव्य, इतना विस्तृत, और इतना दिलचस्प था कि पूरा देश इसके जादू में बंध गया। यह फिल्म टॉलीवुड की ताकत, महत्वाकांक्षा और दर्शकों को हैरान कर देने की क्षमता का जीता-जागता सबूत है। विजुअल स्पेक्टेकल के साथ-साथ इसमें भावनाओं का ज्वार भी था। देखना भारतीय सिनेमा का एक जरूरी अनुभव है।
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सीता रामम (2022): अगर प्यार की सुंदरता, मासूमियत और दर्द को कैनवास पर उतारा जा सकता है, तो वह है ‘सीता रामम’। हनू राघवपुड़ी ने ऐसी मास्टरपीस दी जो दिल को छीलकर रख देती है। 1960 के दशक की पृष्ठभूमि में बनी यह कहानी एक लेफ्टिनेंट राम की है जिसे कश्मीर में एक महिला, सीता को उसके पति के पास पहुँचाने का काम मिलता है। सफर के दौरान उनके बीच पनपता प्यार, उसकी कोमलता, और फिर वो नाटकीय मोड़ जो सब कुछ बदल देता है… मृणाल ठाकुर और दुलकर सलमान का अभिनय, विशाल चंद्रशेखर का दिल को छू लेने वाला संगीत, और हर फ्रेम में बिखरी कवित्वमयी खूबसूरती इस फिल्म को अमर बना देती है। यह सिर्फ फिल्म नहीं, एक भावनात्मक यात्रा है जो आपको बार-बार याद आएगी।
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अरविंद सामेथा वीएसएस रुद्रवीरम (2023): स्टाइल, सस्पेंस और सुपरस्टार चारिस्मा का जबरदस्त कॉकटेल! रिशभ शेट्टी की यह फिल्म क्राइम थ्रिलर जॉनर को ही नई परिभाषा दे देती है। एक पावरफुल गैंगस्टर रुद्रवीरम और उसका पीछा करने वाले एक दृढ़ पुलिस ऑफिसर अरविंद सामेथा के बीच की शतरंज जैसी जंग देखने लायक है। रवीना टंडन का खलनायक रोल, संजीव सतुरु की स्क्रीन उपस्थिति, गुणसेकर का धमाकेदार म्यूजिक, और ऐक्शन सीक्वेंस जो आपकी सीट पर चिपका दे – यह फिल्म बेहद एंगेजिंग है। यह साबित करती है कि मसालेदार मनोरंजन और स्मार्ट स्टोरीटेलिंग एक साथ हो सकते हैं।
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पुष्पा: द राइज (2021): अल्लू अर्जुन का ‘पुष्पा राज’! सुकुमार की यह फिल्म एक वन्य क्षेत्र के लाल चंदन तस्कर की क्रूर और महत्वाकांक्षी दुनिया में ले जाती है। पुष्पा राज का करैक्टर – उसकी चाल-ढाल, उसका ‘ठडी जदू’ डायलॉग, उसका संघर्ष और उसकी जिद – सब कुछ इतना आइकॉनिक बन गया कि यह एक सामाजिक घटना बन गई। फहद फासिल का खलनायक रोल, रश्मिका मंदाना का सपोर्ट, और डीएसपी का रोल करने वाले सनील की तीखी एक्टिंग ने इसे और यादगार बनाया। यह फिल्म रॉ, रियल और बेहद रिवेटिंग है। पुष्पा का उदय सिर्फ स्क्रीन पर नहीं, दर्शकों के दिलों में भी हुआ।
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जर्सी (2019): गौतम तिन्नौरी की यह फिल्म सपनों, संघर्ष और पारिवारिक प्रेम का मार्मिक चित्रण है। नानी एक मिड-थर्टीज के पूर्व क्रिकेटर अर्जुन का किरदार निभाते हैं, जो आर्थिक तंगी और जिम्मेदारियों से जूझ रहा है। उसका अपने बेटे के लिए एक जर्सी खरीदने का सपना और उसे पूरा करने के लिए वापस क्रिकेट में आने का संघर्ष… यह कहानी इतनी दिल के करीब उतरती है कि आप खुद को अर्जुन के साथ जुड़ा हुआ पाएंगे। नानी का शानदार अभिनय, विशाल चंद्रशेखर का दिल छू लेने वाला संगीत (खासकर ‘मां नव्वे स्टार’), और जीवन के कठोर यथार्थ को दिखाने का साहस – ‘जर्सी’ एक भावुक कर देने वाली उत्कृष्ट कृति है जो आपको सोचने पर मजबूर करती है।
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मजिली (2020): कभी-कभी प्यार की सबसे खूबसूरत कहानियाँ सबसे गहरे दर्द से निकलती हैं। शिवा निर्वाण की ‘मजिली’ एक ऐसी ही करुणामयी और खूबसूरत प्रेमकथा है। दो टूटे हुए दिल – वैश्वी (सामंथा) और मनी (नागा चैतन्य) – एक दुर्घटना के बाद एक रिसॉर्ट में मिलते हैं। बारिश के बीच बिताए गए कुछ दिनों में उनके बीच एक अनूठा रिश्ता बनता है, जो दर्द को ठीक करने का रास्ता भी दिखाता है। यह फिल्म धीमी गति से चलती है, पर आपकी भावनाओं पर छा जाती है। सामंथा और नागा चैतन्य का केमिस्ट्री, गोपी सुन्दर का मधुर संगीत, और बारिश की बूंदों में डूबी हुई सिनेमैटोग्राफी – ‘मजिली’ एक सुकून देने वाला, दिल को छू लेने वाला अनुभव है। यह साबित करती है कि सादगी में भी जबरदस्त ताकत होती है।
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मथुवादालारी (2017): क्या हो अगर आप अपनी हीरोइन से प्यार करने लगें, जो 30 साल पहले गायब हो चुकी है? श्रीराम आदित्य की यह फिल्म एक अनोखे और मार्मिक प्रेम प्रसंग की कहानी कहती है। नानी एक ऐसे युवक की भूमिका में हैं जो एक पुरानी फिल्म की अभिनेत्री साई पल्लवी (एक दमदार डेब्यू) के जादू में खो जाता है, और फिर उसके गायब होने के रहस्य को सुलझाने निकल पड़ता है। यह फिल्म रोमांस, थ्रिलर और नॉस्टैल्जिया का अनूठा मिश्रण है। साई पल्लवी की मासूमियत भरी खूबसूरती और नानी का शानदार अभिनय, मिथुन का जबरदस्त बैकग्राउंड स्कोर, और ट्विस्ट्स से भरी कहानी ‘मथुवादालारी’ को एक यादगार और दिलचस्प फिल्म बनाती है। यह साबित करती है कि टॉलीवुड में कॉन्सेप्ट फिल्में भी बेहतरीन बन सकती हैं।
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आहा..! (2020): प्यार की शुरुआत कितनी प्यारी और अजीबोगरीब हो सकती है, ‘आहा’ यही बताती है। सोइरभ पीवी की यह फिल्म एक ताज़गी भरी, मीठी और बेहद मासूम प्रेम कहानी है। दो कॉलेज स्टूडेंट्स – चैतन्य (राहुल विजय) और माही (कीर्ति शेट्टी) – के बीच पनपते प्यार को बेहद ही रिलेटेबल और हल्के-फुल्के अंदाज़ में दिखाया गया है। बिना किसी भारी-भरकम मेलोड्रामा के, यह फिल्म आपके चेहरे पर मुस्कान बिखेर देती है। राहुल विजय की कैजुअल परफॉर्मेंस, कीर्ति शेट्टी की चुलबुली उपस्थिति, और हेस्विक क्रिस्टोफर का युवाओं को ध्यान में रखकर बनाया गया जबरदस्त संगीत (जिसके गाने सुपरहिट हुए) – ‘आहा’ एक परफेक्ट फील-गुड रोमांटिक कॉमेडी है। यह साबित करती है कि छोटी कहानियाँ भी दिल जीत सकती हैं।
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एमएमएस (2021): कभी-कभी सबसे बड़ी लड़ाई अपने भीतर के डर से होती है। वेंकटेश महा की यह फिल्म एक शारीरिक चुनौती से जूझ रहे युवक की मानसिक यात्रा की कहानी है। सुदीप (सैंडीप किशन) जन्म से ही एक दुर्लभ मांसपेशीय रोग (मस्कुलर डायस्ट्रॉफी) से पीड़ित है, जो उसे धीरे-धीरे कमजोर कर रहा है। उसका सपना है एक एमएमए फाइटर बनने का। यह फिल्म उसकी अदम्य इच्छाशक्ति, उसके संघर्ष, उसकी हताशा और उसके जज्बे को बेहद संवेदनशील तरीके से दिखाती है। सैंडीप किशन ने अपने अभिनय से दर्शकों को रुला दिया और उनकी जान जीत ली। यह फिल्म प्रेरणादायक है, लेकिन बिना किसी झूठे हौसले के। यह आपको जीवन की कीमत समझाती है और हौसले की नई परिभाषा देती है।
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श्याम सिंगा रॉय (2021): एक पत्रकार की जिद और सिस्टम से टकराव की कहानी। राहुल सांकृत्यायन की यह फिल्म ज्वलंत सामाजिक मुद्दे को बेहद ही पॉवरफुल और सस्पेंसफुल अंदाज़ में पेश करती है। राणा दग्गुबाती एक ऐसे एंकर की भूमिका में हैं जो एक रहस्यमयी महिला (कृति शेट्टी) की कहानी की तह तक जाने की ठान लेता है, जिससे उसका टकराव एक शक्तिशाली राजनेता (अजय देवगन) से हो जाता है। यह फिल्म मी टू मूवमेंट के संदर्भों को गहराई से छूती है। राणा का इंटेंस परफॉर्मेंस, कृति शेट्टी की मिस्टीरियस और दमदार उपस्थिति, और अजय देवगन का खलनायकी अंदाज़ – सब कुछ शानदार है। यह एक थ्रिलिंग और थॉट-प्रोवोकिंग फिल्म है जो आपको अंत तक बांधे रखती है और देखने के बाद भी कई सवालों के साथ छोड़ जाती है।
सिर्फ 10 नहीं, एक भावना…
ये सिर्फ 10 फिल्में नहीं हैं, बल्कि टॉलीवुड की उस समृद्ध विरासत और नवाचार की झलक हैं जो उसे खास बनाती है। यहाँ भावनाओं की गहराई है (सीता रामम, जर्सी), दमदार मनोरंजन है (बाहुबली, पुष्पा, अरविंद सामेथा), सामाजिक सरोकार हैं (श्याम सिंगा रॉय, एमएमएएस), मासूम प्यार है (मजिली, आहा), और अनूठी कॉन्सेप्ट्स (मथुवादालारी) हैं।
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टॉलीवुड ने साबित किया है कि वह बड़े कैनवस पर भव्यता के साथ खेल सकता है, और साथ ही छोटी, इंटिमेट कहानियों में भी जादू बिखेर सकता है। उसने अभिनेताओं को सुपरस्टार बनाया है, लेकिन किरदारों को भी अमर कर दिया है। उसने हमें हंसाया है, रुलाया है, सोचने पर मजबूर किया है, और ऐसे संगीत दिए हैं जो हमारी धड़कन बन गए।
तो अगली बार जब आप कोई शानदार तेलुगु फिल्म देखें, और उसका कोई दृश्य, कोई संवाद, या कोई गाना आपके दिल को छू जाए, तो जरूर बोलिए – “धन्यवाद टॉलीवुड!” क्योंकि यह सिनेमा सिर्फ देखने के लिए नहीं, महसूस करने के लिए होता है। और यही तो असली जादू है!