कल्पना से परे एक दिन: 1951 की ‘द डे द अर्थ स्टूड स्टिल’ क्यों आज भी चुभती है?

साल 1951, दुनिया अभी दूसरे महायुद्ध के सदमे से उबर भी नहीं पाई थी कि एक नई दहशत ने जकड़ लिया – शीत युद्ध। पूरब और पश्चिम के बीच तनाव सिर चढ़कर बोल रहा था, परमाणु बमों का साया हर पल...

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कल्पना से परे एक दिन: 1951 की ‘द डे द अर्थ स्टूड स्टिल’ क्यों आज भी चुभती है?

साल 1951, दुनिया अभी दूसरे महायुद्ध के सदमे से उबर भी नहीं पाई थी कि एक नई दहशत ने जकड़ लिया – शीत युद्ध। पूरब और पश्चिम के बीच तनाव सिर चढ़कर बोल रहा था, परमाणु बमों का साया हर पल मंडराता था, और...

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