अनुपमा हिंदी क्लासिक बॉलीवुड फिल्म, जो भारतीय सिनेमा में 8 अप्रैल 1966 को रिलीज़ हुयी थी। इस फिल्म का निर्देशन हृषिकेश मुखर्जी ने एल बी फिल्म्स के बैनर तले किया था।
बॉक्स ऑफिस पर औसत से ऊपर कमाई करने वाली इस फिल्म को उस वर्ष 4 फिल्मफेयर अवॉर्ड्स के नामांकन में शामिल किया गया , जिसमें से बेस्ट सिनेमेटोग्राफी का अवार्ड इस फिल्म ने जीता।
Story Line –
क्लासिक फिल्म की कहानी शुरू होती है , मुंबई शहर के एक बहुत ही बड़े बिजनेसमैन मोहन शर्मा से, बिज़नेस की व्यस्तता के कारण बहुत लेट शादी करता है एक सुशील लड़की अरुणा से। दोनों का जीवन बहुत ही खुशहाली से बीत रहा था।
मगर जब अरुणा की मृत्यु उमा के जन्म के समय हो जाती है तो सब कुछ बदल जाता है। और मोहन अपनी बेटी से नफरत करने लग जाता है। शराब में डूबे रहने वाले मोहन की बेटी उमा समय के साथ – साथ अपने आप ही बड़ी हो जाती है। मगर बिना पिता के प्यार के उमा बहुत ही अंतर्मुखी होती है और उसे किसी से भी ज्यादा बात करना पसंद नहीं होता है।
अधिक काम और शराब धीरे धीरे मोहन को बीमार बना देती है। और डॉक्टर की सलाह पर वह उमा के साथ कुछ समय के लिए हिल स्टेशन महाबलेश्वर जाता है। अपनी बेटी को बड़ा देख मोहन उसका विवाह अपने दोस्त हरी प्रसाद के बेटे अरुण से तय कर देता है।
अरुण उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाता है और 5 वर्षों में उसको विदेश में रह रही एनी से प्रेम हो जाता है और वह उसी से विवाह करना चाहता है ना कि उमा से। अपनी पढ़ाई पूरी करके जब वह वापस अपने शहर महाबलेश्वर आता है और वह अपने बेस्ट फ्रेंड अशोक के साथ शिक्षण और लेखन कार्य में जुट जाता है।
अशोक एक बहुत ही सरल और समझदार लेखक और शिक्षक है। एक दिन अशोक की मुलाकात उमा से होती है। गुमसुम उमा पहली बार किसी से खुलकर बात करती है , उसको अशोक में एक दोस्त मिलता है जिसके साथ वह सब कुछ शेयर कर सकती है। बहुत जल्द दोस्ती प्यार में बदल जाती है।
मगर उमा को जीवन की मिली पहली ख़ुशी से हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं यह उससे ना छिन जाये , क्योकि वह जानती है कि उसके पिता मोहन को गरीबी और गरीबों से नफरत है। अशोक एक गरीब परिवार से है, उमा को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता मगर डर है पिता के इस रिश्ते को ठुकराने का।
फिल्म के क्लाइमेक्स में किस तरह से अंतर्मुखी उमा अपने पिता की सोच को बदलती और खुद का विवाह अशोक के साथ करती है और -साथ साथ वह अरुण और अनीता का भी विवाह सभी की मर्ज़ी से करवाती है।
Songs & Cast –
इस फिल्म का संगीत हेमंत कुमार ने दिया है और इसके सुरीले गीतों को कैफ आज़मी ने लिखा है जैसे – “भीगी -भीगी फ़िज़ा “, “क्यों मुझे इतनी ख़ुशी “, “या दिल की सुनी दुनियावालों “, “धीरे -धीरे मचार “, “कुछ दिल ने कहा ” और इन सभी गीतों को लता मंगेशकर , आशा भोंसले और हेमंत कुमार ने गाया है।
फिल्म में धर्मेंद्र और शर्मीला टैगोर ने मुख्य भूमिकाएं निभाई है, अशोक और उमा शर्मा के किरदार में। देवेन वर्मा ने अशोक के दोस्त अरुण मेहता और शशिकला ने अनीता बख्शी ‘एनी’ को निभाया। बाकी के कलाकारों में तरुण बोस (मोहन शर्मा), सुरेखा पंडित (अरुणा शर्मा) और दुर्गा खोटे (अशोक की माता)
Lights, camera, words! We take you on a journey through the golden age of cinema with insightful reviews and witty commentary.