आशीर्वाद (1968): एक पिता के वज्र की कहानी
कल्पना कीजिए एक घर जहाँ दीवारों पर पुराने चित्र लटके हैं, हवा में हल्की खुशबू है गुलाबजल की, और बैठक में बूझे हुए सिगार की राख जमी है। यह वह दुनिया है जिसमें हृषिकेश मुखर्जी की आशीर्वाद (1968) आपको ले जाती है—एक ऐसी फिल्म जो न सिर्फ़ परिवार के बंधनोंContinue Reading