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Movie Nurture: आशीर्वाद (1968

कल्पना कीजिए एक घर जहाँ दीवारों पर पुराने चित्र लटके हैं, हवा में हल्की खुशबू है गुलाबजल की, और बैठक में बूझे हुए सिगार की राख जमी है। यह वह दुनिया है जिसमें हृषिकेश मुखर्जी की आशीर्वाद (1968) आपको ले जाती है—एक ऐसी फिल्म जो न सिर्फ़ परिवार के बंधनोंContinue Reading

Movie Nurture: Comedy

हँसी का जादू कुछ ऐसा है कि यह दिल के ताले को खोल देती है, और भारतीय सिनेमा व टेलीविज़न ने इस जादू को बिखेरने वाले कलाकारों की एक लंबी फेहरिस्त गढ़ी है। ये वो चेहरे हैं जिनकी एक अदा, एक डायलॉग, या एक मासूम सी भंगिमा ने दर्शकों कोContinue Reading

Movie Nurture: राजेश खन्ना की १० सबसे बेहतरीन फ़िल्में: एक सदाबहार सफर

1970 का दशक हो या आज का समय, राजेश खन्ना का नाम सुनते ही दिल में एक अजीब सी धड़कन पैदा हो जाती है। वो अदाकार जिसने पहली बार “सुपरस्टार” शब्द को परिभाषित किया, जिसके लिए महिलाएं शादीशुदा होकर भी उसकी फिल्मों के पोस्टरों पर चूमा करती थीं, और जिसकीContinue Reading

Movie Nurture: 1950 के दशक की कोरियाई अभिनेत्रियाँ

सियोल की एक ठंडी शाम, 1954, एक खाली पड़े सिनेमा हॉल में एक युवती अपनी आँखों में आँसू छुपाते हुए पर्दे पर चल रहे दृश्य को देख रही है। पर्दे पर वह खुद है—एक गरीब गाँव की लड़की, जो शहर आकर अपने सपनों को जीने की कोशिश करती है। यहContinue Reading

1920 के दशक की एक सर्द शाम, मुंबई के चांदनी चौक में एक भीड़ जमा है। बीच सड़क पर एक विशाल सफेद कैनवास लटका हुआ है, और उस पर छाया-नट की तरह नाचते हुए काले-सफेद चित्र… यह दृश्य नहीं, ध्वनिहीन सिनेमा का जादू था। उस ज़माने में डायलॉग नहीं होतेContinue Reading

Movie Nurture: उड़िया सिनेमा का उदय: एक नई फिल्म क्रांति की शुरुआत

एक सुबह, भुवनेश्वर के एक सिनेमा हॉल के बाहर कतार लगी थी। टिकट खिड़की पर युवाओं का हुजूम “सिनेमा हॉल झुक जाएगा” के नारे लगा रहा था। यह कोई बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर नहीं था, बल्कि उड़िया फिल्म “कला शंखा” (2023) का प्रीमियर था, जिसने पहले ही हफ्ते में 5 करोड़ काContinue Reading

Movie Nurture: हिदेको ताकामाइन

गर्मी की एक सुबह, टोक्यो की सड़कों पर चलते हुए, एक युवती ने स्टूडियो के गेट पर खड़े होकर सपने देखे होंगे। उसकी आँखों में चमक थी, मगर चेहरे पर एक गहरी समझदारी—ऐसी समझदारी जो उम्र से बड़ी होती है। यह थी हिदेको ताकामाइन, जिसने सिर्फ पाँच साल की उम्रContinue Reading

Movie Nurture: मलयालमसिनेमा

1980 का दशक मलयालम सिनेमा के इतिहास में एक स्वर्णिम युग के रूप में याद किया जाता है। यह वह दौर था जब फिल्में सिर्फ मनोरंजन का जरिया नहीं, बल्कि समाज का आईना बनकर उभरीं। राजनीतिक उठापटक, सामाजिक बदलाव, और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की हलचलें—ये सभी तत्व पर्दे पर ऐसे उतरेContinue Reading

Movie Nurture: हॉलीवुड एक्ट्रेसेस

साल 1943, न्यूयॉर्क के एक थिएटर में कैसाब्लांका का प्रीमियर चल रहा है। स्क्रीन पर इंग्रिड बर्गमैन की आँखों में जो दर्द है, वह दर्शकों के दिल में उतर जाता है। फिल्म ख़त्म होते ही एक शख़्स खड़ा होकर चिल्लाता है, “मैंने आज तक इतना सच्चा प्यार नहीं देखा!” यहContinue Reading

Movie Nurture: 1930s में फिल्मों की शूटिंग कैसे होती थी?

सुबह के चार बजे। बंबई के दादर इलाके में एक मकान के बाहर बैलगाड़ी रुकी। ड्राइवर ने ढेर सारे लकड़ी के डिब्बे उतारे—कुछ में बल्ब थे, कुछ में कांच के प्लेट, और एक में तारों का गुब्बारा। अंदर, एक युवक ने हाथ से क्रैंक किए जाने वाले कैमरे को साफ़Continue Reading