नाम नाडु एक तमिल फिल्म, जो दक्षिण भारतीय सिनेमा में 7 नवम्बर 1969 को रिलीज़ हुयी थी। नाम नाडु का हिंदी में मतलब हमारा देश ( our country) से है। इस फिल्म का निर्देशन सी.पी. जम्बुलिंगम ने किया था और यह फिल्म 1969 में आयी तेलुगु फिल्म कथानायकुडु का रीमेक है। इस फिल्म में मुख्य किरदार में पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता है।
Story Line
कहानी शुरू होती है तमिलनाडु के एक छोटे से गांव से , जहाँ पर तीन धनी और कपटी ( धर्मलिंगम, आलवंदर और पुनियाकोडी) , खुद को वहां का सबसे ज्यादा ईमानदार और अच्छा व्यक्ति समझते हैं , मतलब वह खुद को वहां का भगवान समझते हैं। इन तीनों ने गांव में अपना प्रभाव इतना कर रखा है कि कोई भी इनसे बैर नहीं ले सकता।
वहीँ दूसरी तरफ एक साधारण सा युवक दुरई, जो एक सरकारी दफ्तर में एक छोटी सी क्लर्क की नौकरी करता है। स्वाभाव से ईमानदार और देश प्रेमी दुरई हमेशा अन्याय के खिलाफ खड़ा होता था। और वहीँ उसका बड़ा भाई मुथैया जो धर्मलिंगम के यहाँ पर काम करता है वह दुरई को हमेशा समझाता है कि यह तीन लोग बहुत ही अच्छे हैं , सच में यह गरीबों की भलाई के लिए हर एक काम करते हैं।
एक दिन दुरई की लड़ाई आलवंडर से हो जाती है क्योकि वह गरीबों और अमीरों को अलग – अलग लाइन में खड़ा करवाता था। मुथैया दुरई को समझाता है कि गरीबों को कभी भी कोई विशेष अधिकार नहीं मिलने चाहिए। मगर दुरई उसकी बात से सहमत नहीं होता है , उसका मानना है कि हर इंसान को समान अधिकार मिलना चाहिए।
दुरई और आलवंडर के बड़ते झगड़े को देखकर मुथैया को डर बना रहता है दुरई के लिए और खुद के लिए भी क्योकि वह धर्मलिंगम के यहाँ नौकरी करता है और धर्मलिंगम आलवंडर का बहुत अच्छा दोस्त है। एक दिन दुरई की मुलाकात अम्मू नाम की एक नारियल बेचने वाली लड़की से होती है। उसका बड़प्पन और ईमानदारी देखकर दुरई को उससे प्रेम हो जाता है।
वहीँ दूसरी तरफ आलवंडर दुरई पर रिश्वत लेने का एक झूठा इल्ज़ाम लगता है , जिससे दुरई की सरकारी नौकरी चली जाती है। दुरई के धर्मलिंगम से बढ़ते झगड़े के कारण मुथैया दुरई को घर से बाहर निकाल देता है, अभी भी उसको लगता है कि धर्मलिंगम एक ईमानदार इंसान है और दुरई उस पर सिर्फ एक झूठा इल्ज़ाम लगा रहा है।
बेघर दुरई को अम्मू अपने साथ अपनी बस्ती में जाती है उसको आसरा देने के लिए , क्योंकि वह दुरई पर भरोसा करती है और उसकी इस लड़ाई में उसका साथ देना चाहती है। धीरे – धीरे बस्ती के सभी लोग दुरई से प्रेम करने लगते हैं और वह सभी चाहते हैं कि दुरई नगरपालिका चुनाव लड़े उन सभी की तरफ से।
सभी बस्ती वालों के समर्थन में दुरई चुनाव लड़ने का फैसला करता है। और वह तीनों के खिलाफ खड़ा हो जाता है। दुरई की ईमानदारी और देश प्रेम धर्मलिंगम, आलवंदर और पुनियाकोडी को परेशानी में हमेशा डालते हैं। वह तीनों निर्णय लेते हैं कि दुरई को वह यहयह चुनाव नहीं लड़ने देंगे।
इसी के चलते एक दिन मुथैया को पता चलता है कि इन तीनों ने दस लाख रुपये की लूट की है जो धन गरीबों की भलाई के लिए उपयोग में लाया जाना था। मुथैया वह पैसा लेकर भाग जाता है। धर्मलिंगम, आलवंदर और पुनियाकोडी के आदमी उसका पीछा करते हैं मगर मुथैया उनके हाथ लगने से पहले ही एक जगह पर सारा पैसा गाड़ देता है। मुथैया पकड़ा जाता है और उसे एक बंद कोठरी में रखते हैं। तीनो हर तरीके से मुथैया से अपने पैसे के बारे में पूछते हैं मगर वह नहीं बताता।
दुरई को पता चलता है अपने भाई के बारे में , तो वह तीनों से लड़ाई करता है और इसमें उसका साथ पूरी बस्ती वाले देते हैं। तीनों को पुलिस पकड़ कर ले जाती है और मुथैया को अपनी गलती का अहसास हो जाता है और वह दस लाख रुपये दुराई को देकर माफ़ी मांगता है।
Songs & Cast
इस फिल्म में संगीत दिया है एम. एस. विश्वनाथन ने और इसके गीतों को वाली ने लिखा है। “निनाथथाई नादथिया நினாததாய் நடதியா”, “अदाई मुझुधुम ஆதாய் முஜுதும் “, “वांगया वथियारैया வாங்கய வத்யராய “, “कुडीगरन पेचु குடிகரன் பெச்சு” ,”नल्ला पेराई நல்ல பெராய்” और अपनी सुरीली आवाज़ से इन गीतों को पिरोया है टी.एम. सुंदरराजन, पी. सुशीला और एलआर ईश्वरी ने।
फिल्म में मुख्य किरदार निभाया है एम. जी. रामचंद्रन और जयललिता ने दुरई और अम्मू के रूप में। बाकि के कलाकारों में एस वी रंगा राव (धर्मलिंगम ), एस ए अशोकन (आलवंडर”, टी. के. भगवती (मुथैया ), के ए थंगावेलु ( पुनियाकोडी ) के रूप में नज़र आये।
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