पंडरी बाई एक लोकप्रिय भारतीय अभिनेत्री थीं, जो कई दक्षिण भारतीय फिल्मों में दिखाई दीं, विशेषकर कन्नड़ और तेलुगु सिनेमा में। वह 1940 से 1970 के दशक तक फिल्म उद्योग में सक्रिय थीं। उन्हें अपने समय की बेहतरीन अभिनेत्रियों में से एक माना जाता है और उन्होंने अपने समय के कई प्रमुख अभिनेताओं के साथ काम किया है।
पंडरी बाई ने कम उम्र में अपने अभिनय करियर की शुरुआत की और चार दशक के करियर में 350 से अधिक फिल्मों में काम किया। पंडरी बाई को कन्नड़ सिनेमा की पहली सफल अभिनेत्री के रूप में भी जाना जाता है।
Early Life
पंडरी बाई का जन्म 18 सितम्बर 1928 में कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के एक छोटे से शहर भटकल में हुआ था। पंडरी बाई के पिता का नाम रंगा राव और माता कावेरी थी। पंडरी बाई का बचपन का नाम गीता था और फ़िल्मी करियर ने उन्हें पंडरी बाई का नाम दिया। इनकी 2 बहनें मयनावती और लीलावती भी पेशे से अभिनेत्रियां थी।
Professional Life
पंडरी बाई ने अपने फ़िल्मी सफर की शुरुवात 1943 में आयी कन्नड़ फिल्म वाणी से की थी।
पंडरी बाई ने “बेदरा कन्नप्पा” (1954), “भक्त कुचेला” (1961), “भक्त प्रह्लाद” (1962), “भक्त तुकाराम” (1963), “भक्त ध्रुव” (1964) और “भक्त कुचेला” जैसी फिल्मों में अभिनय किया। (1961) को समीक्षकों द्वारा सराहा गया है और इसे उनके करियर के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों में से एक माना गया।
पंडरी बाई ने “कन्नियिन कधली” (1956) और “कर्णन” (1964) जैसी कुछ तमिल फिल्मों में भी काम किया है।
पंडरी बाई का अभिनय कौशल केवल मुख्य अभिनेत्री की भूमिका तक ही सीमित नहीं था, उन्होंने माँ और दादी की भूमिकाएँ भी समान सहजता और पूर्णता के साथ निभाईं। उन्होंने कई फिल्मों में राजकुमार और उदय कुमार जैसे दिग्गज अभिनेताओं की मां की भूमिका निभाई।
पंडरी बाई को मंच पर उनके काम के लिए भी जाना जाता था।वह एक प्रशिक्षित शास्त्रीय गायिका और नृत्यांगना भी थीं और उन्होंने विभिन्न स्टेज शो में प्रदर्शन किया। इसके साथ उन्होंने फिल्मों में कई गानों के लिए अपनी आवाज दी है और विभिन्न भाषाओं में फ़िल्मी गाने भी गाये और उसके साथ – साथ कई संगीत एल्बम भी निकाली।
पंडरी बाई को अपने पूरे करियर में कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें मलयालम फिल्म “कुदुम्बिनी” (1978) में उनके प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का केरल राज्य फिल्म पुरस्कार मिला। उन्हें वर्ष 2000 में साउथ इंडियन इंटरनेशनल मूवी अवार्ड्स में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। पंडरी बाई न केवल एक प्रतिभाशाली अभिनेत्री थीं, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं और उन्हें उनकी परोपकारी गतिविधियों के लिए भी जाना जाता था। वह कई धर्मार्थ संगठनों के साथ सक्रिय रूप से जुडी हुयी थीं और उन्होंने बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए एक स्कूल भी खोला।
पंडरी बाई का 30 सितंबर 2003 को निधन हो गया। उन्हें फिल्म उद्योग में अपने अभिनय कौशल और समर्पण के लिए हमेशा याद किया जाएगा ।
Personal Life
पंडरी बाई का विवाह पी.एच. रामाराव से हुआ था और उनके पति फिल्म इंडस्ट्री से ही जुड़े हुए थे। पंडरी बाई का इंडस्ट्री में और इंडस्ट्री के बाहर किसी से कोई अफेयर नहीं रहा था। और पूरी दुनिया में एक आदर्श पति – पत्नी के रूप में जाने गए।
यह अदभुद अभिनेत्री अभिनेता-कॉमेडियन अल्लू रामा लिंगैया की बहुत बड़ी प्रशंसक थी।
अंत में, पंडरी बाई एक बहुमुखी और प्रतिभाशाली अभिनेत्री थीं, जो कई दक्षिण भारतीय फिल्मों में दिखाई दीं, विशेष रूप से कन्नड़ और तेलुगु सिनेमा में। वह 1940 से 1970 के दशक तक फिल्म उद्योग में सक्रिय थीं और उन्होंने अपने समय के कई प्रमुख अभिनेताओं के साथ अभिनय किया है। पंडरी बाई की परोपकारी गतिविधियों और फिल्म उद्योग में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
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