सावित्री गणेशन एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री, पार्श्व गायिका, नर्तकी, निर्देशक और निर्माता हैं, जो मुख्य रूप से दक्षिण भारतीय सिनेमा में अपने काम के लिए जानी जाती हैं। 3 दशक तक भारतीय सिनेमा में उन्होंने सफलता पूर्ण अपना सहयोग दिया है। सावित्री को 1999 में भारत के 30 वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में “वूमन इन सिनेमा” सेक्शन में “ए मून स्टार्स” के पुरुस्कार से सम्मानित किया गया। और उनके जीवन पर आधारित बनी फिल्म महानति को मेलबर्न के 2018 भारतीय फिल्म महोत्सव में “Equality in Cinema Award” से सम्मानित भी किया गया।
सावित्री का जन्म 1936 में आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था। 12 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने फ़िल्मी जगत में अपना पहला कदम रखा और उसके बाद वह दक्षिण भारतीय सिनेमा का एक इस ऐसा सितारा बनी, जिसने अपने अपार सफलता और अभिनय से पूरे विश्व में दक्षिण सिनेमा की अलग पहचान बनायीं।
Early Life – सावित्री का जन्म 6 दिसम्बर 1936 में आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के एक छोटे से गांव चिर्रावुर के एक तेलुगु परिवार में हुआ था।सावित्री के पिता निसंकरा राव गुरुवाय की मृत्यु उस समय सावित्री महज 6 माह की थी।पिता की मृत्यु के बाद उनकी ग्रहणी माता अल्लदा सुभद्रम्मा अपनी बहन के घर आ गयी।
कुछ समय बाद सावित्री की माँ अपनी दोनों बेटियों के साथ विजयवाड़ा अपनी दूसरी बहन के पास रहने को चली गयी और फिर सावित्री और उनकी बड़ी बहन मारुती की परवरिश उनके अंकल के द्वारा की गयी। विजयवाड़ा में ही दोनों बहनो की प्रारंभिक शिक्षा हुयी।
सावित्री को बचपन से ही नृत्य करने में रूचि थी और यह देखकर उसकी माँ ने उसका दाखिला एक नृत्य एकेडमी में करवा दिया, इसमें सहयोग सावित्री के अंकल ने किया और बाद में उन्होंने ही सावित्री का करियर फ़िल्मी दुनिया में बनवाया। सावित्री को बचपन में निसंकरा सावित्री के नाम से जाना जाता था और बाद में फ़िल्मी जगत ने उन्हें महानति और नाडीगयार थिलगम का नाम भी दिया।
Professional Life – सावित्री ने अपना अभिनय सफर बचपन से ही शुरू कर दिया था। नृत्य सीखने के साथ साथ वह शहर में होने वाले नृत्य नाटकों में भाग लेती थी, जहाँ से उन्हें नृत्य और अभिनय में पारंगत हासिल हुयी। इसके बाद 12 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने अंकल के साथ मिलकर फिल्मों में प्रवेश करने का प्रयास किया, मगर उम्र कम होने की वजह से उन्हें मुख्य अभिनेत्री का किरदार नहीं मिला, लेकिन 1950 में संसारम महिला प्रमुख तेलुगु फिल्म में उन्होंने एक छोटी सी भूमिका निभाई।
इस फिल्म में उनकी भूमिका को काफी पसंद किया गया और उसके बाद उन्होंने दो और फिल्मों रूपवती और पाताल भैरवी में छोटे छोटे किरदार निभाए। इसके बाद मुख्य अभिनेत्री के रूप में सावित्री को एक बड़ा ब्रेक मिला पल्ली चेसी चूडू के रूप में, यह तेलुगु फिल्म 1952 में सिनेमा घरों में आयी और सुपरहिट साबित हुयी और उसी के साथ सावित्री एक उभरता सितारा बनी।
उसके बाद 30 वर्षों के अपने सफर में उन्होंने तकरीबन 250 फिल्मों में काम किया उसमे मलयालम , तेलुगु,तमिल, कन्नड़ और हिंदी फिल्मे थी, मलयालम में 3 फिल्मे , 138 तेलुगु फिल्मे , 100 तमिल फिल्मे और कन्नड़ में 6 फिल्मे की। उन्होंने 5 हिंदी फिल्मों में काम किया – “गंगा की लहरें”, “बलराम श्री कृष्ण “, “अमर दीप “, आदि अन्य।
Personal Life – सावित्री का विवाह 1952 में तमिल प्रसिद्ध अभिनेता जैमिनी गणेशन से हुआ था, विवाह के समय सावित्री महज 16 वर्ष की थी। सावित्री ने यह विवाह अपने परिवार के विरुद्ध जाकर किया था क्योंकि गणेशन पहले से शादीशुदा और 4 बच्चों के पिता थे।
सावित्री के दो बच्चे – एक बेटी, विजया चामुंडेश्वरी और एक बेटा, सतीश कुमार। सावित्री की मृत्यु डाइबिटीज़ और हाइ ब्लड प्रेशर के चलते 19 माह तक कोमा में रहने के बाद 26 दिसम्बर 1981 को चेन्नई में हुयी थी।
Awards – 1960 में, सावित्री को तेलुगु फिल्म चिवाराकु मिगलेदी में अपने अभिनय के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार मिला।
1968 में, सावित्री ने तेलुगु फिल्म चिन्नारी पापलु का निर्माण और निर्देशन किया, जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए नंदी पुरस्कार भी मिला।
Films – “पाताल भैरवी (तेलुगु , तमिल 1951 )”, ” पेली चेसी चूडू (तेलुगु , 1952 )”, “कल्याणम पाणिनि पार (तमिल , 1952 )”, “देवसु (तेलुगु ,1953 )”, “पेनीन पेरुमाई (तमिल ,1956 )”, “भले रामुडु (तेलुगु, 1956 )” , “अल्लादीनुम अरपुथा विलाक्कुम (तमिल , 1979 )”, “रविचंद्र (कन्नड़ ,1980 )”, “पूजा (तेलुगु ,1975 )”, “बन्धालु अनुबन्धलु (तेलुगु ,1974 )”, “पुगुनथा विदु ( तमिल ,1972 )”, “निंदू दंपथुलु (तेलुगु , 1971 )”, “कोडालु दिदिना कपूरम (तेलुगु ,1970 )”, “प्राण मिथ्रुलु (तेलुगु ,1967 )”, “कंचू कोटा (तेलुगु ,1967 )”,
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6 thoughts on “Savitri – दक्षिण भारतीय सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ अदाकारा”