Thalapathi தளபதி एक तमिल सुपर हिट क्राइम फिल्म, जो दक्षिण सिनेमा में 5 नवम्बर 1991 को रिलीज़ हुयी और इस फिल्म का निर्देशन मणि रत्नम ने किया था। इसका अर्थ अंग्रेजी में Commandor से होता है। यह एक क्राइम ड्रामा जिसके लिए मणिरत्नम को बेस्ट डायरेक्टर का फिल्म फेयर साउथ अवॉर्ड मिला था।
यह फिल्म हमारे देश के पिछड़ेपन को दर्शाती है और उस सामाजिक कमी की वजह से किस तरह एक नन्हे से बच्चे, जिसे जीवन का मतलब भी नहीं पता होता है उसको हर मोड़ पर सिर्फ परीक्षाएं ही देनी होती हैं। जीवन उसके सामने इतना कठोर हो जाता है कि उसका मोह जीवन के प्रति ही कम हो जाता है।
Story – फिल्म की कहानी शुरू होती है कल्याणी नाम की 14 वर्षीय एक महिला से , जो छुपकर एक बच्चे को जन्म देती है। सामाजिक पिछड़ेपन और अक्षमता के कारण वह अपने बच्चे को शॉल में लपेटकर एक मालगाड़ी में छोड़ देती है। जब कुछ समय बाद मालगाड़ी एक जगह रूकती है तो एक झुग्गी में रहने वाले आदमी को बच्चे के रोने की आवाज़ आती है और किसी को आस पास ना पाकर बच्चे को घर ले आता है। उसका लालन – पालन है और उसका नाम वह सूर्या रखता है।
बचपन से ही सूर्या को ईमानदारी और सभी की मदद करना सिखाया जाता है और धीरे – धीरे वह बड़ा होने लगता है। और बचपन की वह सीख ही उसके जीवन का आधार बन जाती है और वह अन्याय खिलाफ आवाज़ उठाता है मगर उसका तरीका हर बार गलत होता है।
देवराज एक बड़ा डॉन है और सूर्या का सबसे परम मित्र भी। यह दोस्ती दोनों में तब हुयी जब सूर्या ने एक बार देवराज की जान बचाने के लिए उसके दुश्मन रमण को मार दिया था। उसके बाद दोनों दूसरे को समझने लगे क्योकि दोनों ही गलत रास्तों पर चलने वाले होते हैं। देवराज सूर्या को अपना थलापति मानता है, जिसका अर्थ कमांडर होता है।
शहर में आये नए जिला कलेक्टर अर्जुन कानून में रहकर ही शहर में हो रहे सभी गलत कामों को मिटाना चाहता है। वह कल्याणी का दूसराबेटा है और वह एक डॉक्टर बनकर हॉस्पिटल में सभी की सेवा कर रही है। कल्याणी और उसके पति ने कभी भी अर्जुन को उसके बड़े सौतेले बेटे के बारे में नहीं बताया, मगर अपने बड़े बेटे की याद में वह हमेशा ही तड़पती रहती है।
सूर्या को अपनी पड़ोसन सुब्बालक्ष्मी से प्रेम होता है और वह भी सूर्या से प्रेम करती है और वह सूर्या को हर समय गलत काम करने से रोकती है। एक दिन देवराज अपने सबसे बड़े दुश्मन कालीवर्धन के शहर पर हो रहे उसके अत्याचारों और शासन के बारे में बताता है उसके बाद दोनों उसको ख़तम करने का निर्णय लेते हैं, यह बात सुब्बालक्ष्मी सुन लेती है और वह उन्हें रोकने का प्रयास करती है मगर वह नहीं मानते। देवराज दोनों के विवाह की बात सुब्बालक्ष्मी के पिता से करता है मगर रूढ़िवादिता चलते वह अपनी बेटी का विवाह सूर्या से करना अस्वीकार कर देते हैं।
सुब्बालक्ष्मी के पिता अर्जुन से मिलते हैं और उन्हें वह अपनी बेटी के लिए अच्छा लगता है और सुब्बालक्ष्मी का विवाह अर्जुन से तय कर देते हैं और कुछ समय में ही विवाह भी हो जाता है दोनों का। वहीँ दूसरी तरफ रमण की विधवा पत्नी पद्मा अपने सभी दुखों का
कारण सूर्या को मानती है और उसे हमेशा बेज़्ज़त करती है। एक दिन सूर्या एक आदमी को पद्मा को परेशां करते देख लेता है और उसकी बहुत पिटाई करता है। देवराज यह देखकर दोनों से विवाह की बात करता है। पद्मा अपनी और बेटी की सुरक्षा के लिए राज़ी होती है और सूर्या आत्मग्लानि में विवाह के लिए हां कर देता है।
एक दिन पद्मा की बेटी की तबियत ख़राब हो जाती है और वह कल्याणी से एक मेडिकल केम्प में मिलती है, जहाँ कल्याणी को बेटी उसी शॉल में मिलती है जिसमे उसने अपने पहले शिशु को लपेटा था। यह देखकर वह हैरान हो जाती है और अपने पति को सब कुछ बता देती है। उसके बाद कल्याणी का पति सूर्या से मिलता है और उसको अपनी माँ और उसकी दुविधा के बारे में सब कुछ बता देता है। सूर्या सब कुछ जानकर दुखी होता है और अपने सौतेले पिता से किसी को कुछ भी ना बताने का वादा लेता है।
मगर कल्याणी को सब कुछ पता चल जाता है और वह सूर्या से मिलकर उसे अपने साथ रहने की विनती करती है मगर वह देवराज के साथ ही रहना चाहता है और अपनी माँ को मना कर देता है, उसके बाद वह अपने छोटे भाई अर्जुन को नुकसान ना पहुंचाने का वादा भी करता है। यह बात जानकर देवराज सूर्या से अर्जुन के सामने आत्म समर्पण करने की बात करता है और दोनों अर्जुन से मिलने का फैसला करते हैं।
देवराज और सूर्या अर्जुन से तय की जगह पर मिलने आते हैं, तब तक अर्जुन यह जान चुका होता है कि सूर्या उसका सौतेला बड़ा भाई है। जैसे ही देवराज अर्जुन के सामने समर्पण की बात करता है कि अचानक कालीवर्धन के साथी गोलियां चलानी शुरू कर देते हैं और एक गोली देवराज को लग जाती है और जिससे उसकी मौत वहीँ हो जाती है। यह देखकर सूर्या गुस्से में आग बबूला हो जाता है और प्रतिशोध में वह कालीवर्धन और उसके सभी साथियों को मार देता है। उसी समय वहां पुलिस आ जाती है और सूर्या को पकड़ लेती है मगर सबूतों के अभाव में सूर्या जल्दी ही छूट जाता है।अंत में पूरा परिवार एक साथ होता है और उसी समय अर्जुन के दूसरे शहर में हुए तबादले की खबर आती है।अर्जुन को अपनी पत्नी संग वहां जाना होता है मगर कल्याणी अपने बड़े बेटे सूर्या के साथ रहना चुनती है।
Songs&Cast- फिल्म का संगीत इलयराजा ने दिया है और उन्होंने फिल्म के कुल ७ गाने दिए हैं और बाद में यह गाने हिंदी मलयालम और तेलुगु में भी आये – “यमुनाई आत्राइल யமுனை ஆட்ரில்” , “रक्खम्मा कैया थातु ரக்கம்மா கயா தட்டு” , “सुंदरी कन्नल சுந்தரி கண்ணல்” , “पुतम पुथु पू புதம் புத்து பூ” “चिन्ना थवाईवाल சின்னா தயாவல்” और इन सुरीले गीतों को गाया है मिताली बनर्जी भौमिक, एस पी बालासुब्रह्मण्यम, स्वार्नालाथा, एस जानकी और के जे येसुदास ने।
फिल्म में सुपरस्टार रजनीकांत ने सूर्या के किरदार को बड़ी ही संजीदगी के साथ निभाया है और इस में उनका साथ दिया है मम्मूटी (देवराज ), अरविन्द (अर्जुन ), जयशंकर (अर्जुन के पिता ),अमरीशपुरी (कालीवर्धन ), श्रीविद्या (कल्याणी ), भानुप्रिया (पद्म ), शोभना ( शुभलक्ष्मी ) और अन्य कलाकार।
इस फिल्म की अवधि 2 घंटे और 47 मिनट्स (167 मिनट्स ) है। और फिल्म का निर्माण जी वेंकटेश्वरन ने किया था।
Location – इस फिल्म की शूटिंग कर्नाटक के विभिन्न खूबसूरत हुयी है।
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