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शीश महल (1950) बॉलीवुड मूवी रिव्यू: ए टाइमलेस जेम ऑफ इंडियन सिनेमा

by Sonaley Jain
May 15, 2023
in 1950, Bollywood, Hindi, Movie Review, old Films, Top Stories
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Movie Nurture: Sheesh Mahal
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शीश महल, 1950 में रिलीज़ हुई, भारतीय सिनेमा की एक सच्ची कृति है। सोहराब मोदी द्वारा निर्देशित और सोहराब मोदी, नसीम बानो, मुबारक, प्राण, निगार सुल्ताना, पुष्पा हंस, जवाहर कौल और लीला मिश्रा की अभिनय वाली इस फिल्म को आज भी दर्शकों द्वारा पसंद किया जाता है। राजस्थान की शाही पृष्ठभूमि में स्थापित, शीश महल हमें प्रेम, त्रासदी और आश्चर्यजनक दृश्यों से भरी यात्रा पर ले जाता है।

सोहराब मोदी द्वारा निर्मित यह फिल्म भारतीय सिनेमाघरों में 1 जनवरी 1950 में रिलीज़ हुयी थी। इसकी कहानी स्वर्गीय खान-बहादुर हकीम अहमद शुजा ने लिखी थी, जो एक प्रसिद्ध उर्दू कवि और लेखक थे।

Movie Nurture: Sheesh mahal
Image Source: Google

स्टोरीलाइन

फिल्म की कहानी शुरू होती है एक अमीर सामंती ठाकुर जसपाल सिंह के साथ, जो अपनी दो बेटियों और एक बेटे के साथ शीश महल नामक एक भव्य हवेली में रहते हैं। उनकी शान उनको अपनी आय से ज्यादा खर्च करने पर मज़बूर कर देती है। उनके बच्चों द्वारा समझाने पर भी उनको समझ नहीं आता और उधार इतना हो जाता है कि एक दिन उनको अपनी हवेली बेचनी पड़ती है उस उधार को चुकाने के लिए।

और जल्द ही वह एक छोटे से घर में रहने को मज़बूर हो जाते हैं, फिर भी जसपाल की शान कम नहीं होती। बेटे को एक मिल में नौकरी मिलती है मगर जल्द ही वह एक्सीडेंट के कारण अपने दोनों पैर खो चुका होता है। इतना होने पर भी जसपाल अपनी सच्चाई को स्वीकार नही करता और ना तो खुद कोई काम करता है और ना ही अपनी बेटियों को करने देता है।

मगर जसपाल की बड़ी बेटी रंजना पिता को बिना बताये दुर्गाप्रसाद, जिसने उनकी हवेली शीश महल को खरीदा था, उसके यहाँ पर नौकरानी का काम करने लगती है। धीरे – धीरे रंजना और दुर्गाप्रसाद का बेटा विक्रम एक दूसरे से प्रेम करने लगते हैं। जब यह बात दुर्गाप्रसाद को पता चलती है तो वह जसपाल के पास दोनों बच्चों के विवाह का प्रताव लेकर जाता है।

जसपाल दुर्गप्रसाद को बेज्जत करके निकाल देता है, उसका यह मानना होता है कि हवेली खरीदने से गरीब दुर्गाप्रसाद उनके जैसे उच्च कुल का नहीं हो सकता और जसपाल विवाह को स्वीकार नहीं करता। उसके बाद जब जसपाल को पता चलता है कि उसकी बेटी रंजना शीश महल में नौकरानी का काम कर रही है तो वह अपनी बेटी को मारने के लिए हवेली में जाता है। दुर्गाप्रसाद द्वारा उसको समझाया जाता है और उसको उसके पूर्वजों द्वारा किये गए कार्यों के बारे में बताया जाता है तब जसपाल को समझ में आता है और वह रंजना और विक्रम के विवाह के लिए मान जाता है और अंत में दुर्गाप्रसाद से माफ़ी मांगता है।

Movie NUrture: Sheesh Mahal
Image Source: Google

शीश महल के सबसे मजबूत पहलुओं में से एक इसका असाधारण प्रदर्शन है। नसीम बानो ने रंजना का एक शानदार चित्रण किया है, जिसमें उनके चरित्र की मासूमियत और भेद्यता को गहराई के साथ दर्शाया गया है। ठाकुर जसपाल सिंह के रूप में सोहराब मोदी का प्रदर्शन समान रूप से सराहनीय है, क्योंकि वह भूमिका में एक शाही आकर्षण लाते हैं। फिल्म में जवाहर कौल ने विक्रम की भूमिका भी बेहद उम्दा तरीके से निभाई है। दोनों अभिनेताओं (नसीम बानो और जवाहर कौल ) के बीच की केमिस्ट्री स्पष्ट है और उनके ऑन-स्क्रीन रोमांस की एक खूबसूरत तस्वीर देखने को मिलती है।

फिल्म की छायांकन और सेट डिजाइन विशेष उल्लेख के पात्र हैं। शीश महल राजस्थान में शाही युग की भव्यता और ऐश्वर्य को दर्शाता है। शीश महल (दर्पण का महल) अपने आप में एक लुभावनी कहानी है, जिसमें जटिल दर्पण का काम और आश्चर्यजनक वास्तुशिल्प विवरण हैं। फिल्म का हर फ्रेम विजुअली स्टनिंग है, जो दर्शकों को पुराने जमाने में ले जाता है।

शीश महल सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं है; यह सामाजिक मुद्दों और परंपरा और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच टकराव की कहानी भी है। यह फिल्म अपनी खुशी और सामाजिक उम्मीदों के बीच फसे हुए व्यक्तियों के संघर्षों को उजागर करती है। यह प्यार, स्वतंत्रता और खुशी की खोज के महत्व के बारे में सोचा-समझा सवाल उठाता है।

अच्छी तरह से तैयार की गई पटकथा और भावपूर्ण संगीत के साथ, शीश महल एक ऐसी कहानी बुनता है जो दर्शकों को शुरू से अंत तक जोड़े रखता है। वसंत देसाई द्वारा रचित मधुर गीत कहानी कहने में गहराई और भावना जोड़ते हैं, समग्र सिनेमाई अनुभव को बढ़ाते हैं।

Tags: 1950Classic BollywoodMovie ReviewMovies
Sonaley Jain

Sonaley Jain

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