आरज़ू शहीद लतीफ़ द्वारा निर्देशित और दिलीप कुमार, कामिनी कौशल और शशिकला अभिनीत 1950 की एक बॉलीवुड रोमेंटिक फ़िल्म है। फिल्म एक युवा जोड़े, बादल और कामिनी की कहानी है, जो प्यार में पड़ जाते हैं और गलतफहमी के चलते एक दूसरे से जुदा हो जाते हैं। और फिल्म के दूसरे भाग में बादल की नाराज़गी और बदला दिखाया गया है कि वह किस तरह विभिन्न चुनौतियों और त्रासदियों का सामना करते हैं जो उनके प्यार और विश्वास को चुनौती देती है।
2 घंटे 10 मिनट्स की यह ब्लैक एन्ड व्हाइट फिल्म भारतीय सिनेमाघरों में 16 जून 1950 को रिलीज़ हुयी थी। हितेन चौधरी द्वारा निर्मित यह फिल्म एमिली ब्रोंटे के 1847 के उपन्यास वुथरिंग हाइट्स पर आधारित है।
Story Line
फिल्म की कहानी शुरू होती है एक छोटे से गांव में रहने वाले एक गरीब युवा बादल के साथ, जो अपने बचपन की दोस्त और पडोसी कामिनी से प्रेम करता है। मगर दोनों का यह प्रेम कामिनी के पिता को मंज़ूर नहीं होता, क्योंकि बादल ना तो कोई काम करता है और ना ही उसने आगे का कोई भविष्य सोचा हुआ है।
एक दिन कामिनी के समझने पर बादल शहर जाकर नौकरी करने का मन बनाता है, जिस रात वह शहर जा रहा होता है उसी रात को उसका एक रिश्तेदार बुजुर्ग घर आ जाता है जिसकी वजह से बादल दूसरे दिन सुबह जाने का सोचता है। मगर रात में ही बुजुर्ग रिश्तेदार की वजह से बादल के घर में आग लग जाती है और सभी लोग उन दोनों को मरा हुआ समझ लेते हैं।
मगर बादल जिन्दा होता है और शहर जाकर बिना किसी को बताये सेना में भर्ती हो जाता है और पैसा कमा कर कुछ महीने बाद जब अपने गांव आता है तो पाता है कि कामिनी का विवाह एक अमीर व्यक्ति ठाकुर से हो गया है। बादल इस को कामिनी का धोखा समझ लेता है और उससे बदला लेने के लिए ठाकुर से दोस्ती करता है और उसकी बहन के साथ झूठा प्रेम का नाटक भी करता है। उसको लगता है कि इससे वह कामिनी से बदला ले सकता है। मगर जब यह बात ठाकुर को पता चलती है तो वह बादल को मारने की कोशिश करता है और गोली कामिनी को लग जाती है। फिल्म के अंत में कामिनी बादल को सच बताती है और बादल के पास रह जाता है तो सिर्फ उम्र भर का पछतावा।
फिल्म को 1950 के दशक के बॉलीवुड सिनेमा के बेहतरीन फिल्मों में से एक माना जाता है, क्योंकि यह अपने अभिनेताओं, लेखकों, संगीतकारों और छायाकारों की प्रतिभा को प्रदर्शित करता है। यह फिल्म प्रेम, त्याग, मुक्ति, सामाजिक मानदंडों और पारिवारिक मूल्यों जैसे विषयों को बताती है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी दर्शकों को आकर्षित करती है।
आरजू एक ऐसी फिल्म है जो अपनी भावनात्मक कहानी, यादगार गानों और शानदार परफॉर्मेंस से दर्शकों के दिलों को छू लेती है। यह फिल्म दिलीप कुमार और कामिनी कौशल के बीच की केमिस्ट्री को दिखाती है, जो अपने समय की सबसे लोकप्रिय ऑन-स्क्रीन जोड़ियों में से एक थीं। फिल्म में शशिकला को उनकी शुरुआती भूमिकाओं में से एक के रूप में भी दिखाया गया है, जो फिल्म में एक आकर्षण जोड़ती है।
फिल्म का संगीत अनिल बिस्वास द्वारा रचित है, जो बॉलीवुड इतिहास के कुछ सबसे मधुर गीतों का निर्माण करते हैं। गाने लता मंगेशकर, तलत महमूद, मुकेश और शमशाद बेगम ने गाए हैं। “ऐ दिल मुझे ऐसी जगह ले चल”, “जाना ना दिल से दूर, “आयी बहार, जिया डोले मोरा” , “उन्हे हम जो दिल से” और “मिला गए नैन” कुछ बेहतरीन गाने हैं।
फिल्म की छायांकन एस श्रीवास्तव , जो प्रकृति की सुंदरता के साथ-साथ ग्रामीण और शहरी सेटिंग्स के बीच के अंतर को जोड़ते हैं। फिल्म का संपादन जे एस दिवाकर द्वारा किया गया है, जो दृश्यों और बदलाव का एक सहज प्रवाह बनाता है। फिल्म का निर्देशन शहीद लतीफ ने किया है, जो जटिल कथानक को कुशलता और संवेदनशीलता से संभालते हैं।
आरजू एक ऐसी फिल्म है जिसे बॉलीवुड सिनेमा का हर प्रेमी देखना चाहता है यह एक ऐसी फिल्म है जो प्यार, त्याग और मुक्ति की शक्ति का उदहारण देती है।
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