• About
  • Advertise
  • Careers
  • Contact
Wednesday, July 23, 2025
  • Login
No Result
View All Result
NEWSLETTER
Movie Nurture
  • Bollywood
  • Hollywood
  • Indian Cinema
    • Kannada
    • Telugu
    • Tamil
    • Malayalam
    • Bengali
    • Gujarati
  • Kids Zone
  • International Films
    • Korean
  • Super Star
  • Decade
    • 1920
    • 1930
    • 1940
    • 1950
    • 1960
    • 1970
  • Behind the Scenes
  • Genre
    • Action
    • Comedy
    • Drama
    • Epic
    • Horror
    • Inspirational
    • Romentic
  • Bollywood
  • Hollywood
  • Indian Cinema
    • Kannada
    • Telugu
    • Tamil
    • Malayalam
    • Bengali
    • Gujarati
  • Kids Zone
  • International Films
    • Korean
  • Super Star
  • Decade
    • 1920
    • 1930
    • 1940
    • 1950
    • 1960
    • 1970
  • Behind the Scenes
  • Genre
    • Action
    • Comedy
    • Drama
    • Epic
    • Horror
    • Inspirational
    • Romentic
No Result
View All Result
Movie Nurture
No Result
View All Result
Home Films

उड़िया सिनेमा का उदय: एक नई फिल्म क्रांति की शुरुआत

by Sonaley Jain
May 1, 2025
in Films, Hindi, old Films, South India, Top Stories
0
Movie Nurture: उड़िया सिनेमा का उदय: एक नई फिल्म क्रांति की शुरुआत
0
SHARES
0
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

एक सुबह, भुवनेश्वर के एक सिनेमा हॉल के बाहर कतार लगी थी। टिकट खिड़की पर युवाओं का हुजूम “सिनेमा हॉल झुक जाएगा” के नारे लगा रहा था। यह कोई बॉलीवुड ब्लॉकबस्टर नहीं था, बल्कि उड़िया फिल्म “कला शंखा” (2023) का प्रीमियर था, जिसने पहले ही हफ्ते में 5 करोड़ का कलेक्शन करके इतिहास रच दिया। यह दृश्य सिर्फ़ एक फिल्म की कामयाबी नहीं, बल्कि उड़िया सिनेमा के पुनर्जन्म का प्रतीक है—एक ऐसी क्रांति जो तकनीक, कल्पना और जुनून के सहारे अपने पुराने शैल को तोड़कर निकल रही है।

Movie Nurture: Odia cinema

प्रस्तावना: जब सिनेमा ने ओडिशा की आत्मा को छुआ

ओडिशा की धरती सदियों से कला और संस्कृति की धुरी रही है। जगन्नाथ की रथयात्रा हो या कोणार्क का सूर्य मंदिर, यहाँ हर चीज़ में एक लय है, एक कहानी। 1936 में जब पहली उड़िया फिल्म “सीता बिबाह” रिलीज़ हुई, तो यही लय पर्दे पर उतरी। मूक फिल्मों के दौर में बनी इस फिल्म ने रामायण की कथा को ओडिशा के लोक संगीत और नृत्य से जोड़ा। दर्शकों ने पहली बार महसूस किया कि सिनेमा सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि उनकी अपनी आवाज़ का विस्तार है।

लेकिन यह सफर आसान नहीं था। 1950-60 के दशक में “माँ” (1959) और “श्री लोकनाथ” (1960) जैसी फिल्मों ने उड़िया सिनेमा को पहचान दिलाई, लेकिन 90 के दशक आते-आते यह उद्योग बजट की कमी, बुरी स्क्रिप्ट्स और बॉलीवुड के साये में धुंधलाने लगा। फिल्में बनती थीं, पर वे या तो नकल होती थीं या फिर ऐसी कहानियाँ जिनसे आम आदमी का कोई वास्ता नहीं था।

अंधेरा दौर: जब सिनेमा हॉल्स ने दम तोड़ दिया

2000 का दशक उड़िया सिनेमा के लिए अस्तित्व का संकट लेकर आया। भुवनेश्वर का प्रसिद्ध “केदार गोपाल” सिनेमा हॉल, जहाँ कभी सुभद्रा सेंगुप्ता के नाटकों की धूम मचती थी, उसे मॉल में तब्दील कर दिया गया। लोगों का कहना था—”उड़िया फिल्मों में वह बात नहीं रही।”

इस पतन के पीछे कई कारण थे:

  1. कहानियों का अकाल: ज़्यादातर फिल्में दक्षिण की फिल्मों की रीमेक या फिर मेलोड्रामाईक प्रेम कहानियाँ होती थीं।

  2. तकनीकी पिछड़ापन: लो-बजट प्रोडक्शन, खराब साउंड डिज़ाइन, और घिसे-पिटे सेट्स।

  3. युवाओं का मोहभंग: नई पीढ़ी को उड़िया सिनेमा “गाँव-केंद्रित” और “अनरियल” लगने लगा।

लेकिन 2010 के बाद कुछ ऐसा हुआ कि यही युवा उस सिनेमा को दोबारा जीवन देने लगे, जिससे वे भाग रहे थे।

क्रांति के नायक: नए विजन वाले फिल्मकार

इस नए दौर की शुरुआत हुई सुधाकर बसंत की फिल्म “साला बुद्ध” (2014) से। यह फिल्म एक बुजुर्ग मछुआरे की कहानी थी, जो अपने पोते के साथ समुद्र के खतरों से लड़ता है। सुधाकर ने इसे बनाने के लिए क्राउडफंडिंग की, और फिल्म ने न सिर्फ़ ओडिशा, बल्कि इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में धूम मचाई। यहाँ से उड़िया सिनेमा ने “लोकल को ग्लोबल” बनाने का रास्ता पकड़ा।

इसके बाद नील माधव पाणिग्रही जैसे युवा निर्देशकों ने ज़ोर मारा। उनकी फिल्म “हेलो आर्सी” (2018) एक गाँव की लड़की की कहानी है, जो सोशल मीडिया के ज़रिए अपने प्यार को ढूँढती है। यह फिल्म टिकट खिड़की पर तो कमाल कर ही गई, साथ ही युवाओं को उड़िया सिनेमा से जोड़ने का पुल बनी।

Movie Nurture: उड़िया सिनेमा का उदय: एक नई फिल्म क्रांति की शुरुआत

टेक्नोलॉजी और टैलेंट: नई पीढ़ी का हथियार

आज के उड़िया फिल्मकारों के पास दो बड़े हथियार हैं—कहानियों की ईमानदारी और टेक्नोलॉजी की पहुँच।

  • डिजिटल सिनेमेटोग्राफी: फिल्में अब DSLR कैमरों से शूट होती हैं, जिससे प्रोडक्शन क्वालिटी बढ़ी है।

  • ओटीटी प्लेटफॉर्म्स: ZEE5 और Hoichoi जैसे प्लेटफॉर्म्स पर उड़िया कंटेंट की माँग बढ़ी है। “झिया” (2021) जैसी वेब सीरीज ने ग्लोबल ऑडियंस को ओडिशा के ट्राइबल कल्चर से रूबरू कराया।

  • यूट्यूब का जादू: युवा फिल्मकार यूट्यूब पर शॉर्ट फिल्म्स डालकर ऑडियंस बना रहे हैं। प्रसेंज पटनायक की शॉर्ट फिल्म “अलग हो कहीं” ने 10 लाख व्यूज क्रॉस किए, जिससे बड़े प्रोड्यूसर्स का ध्यान उन पर गया।

कला और वाणिज्य का तालमेल: बॉक्स ऑफिस पर धमाल

पहले उड़िया फिल्मों को “आर्ट हाउस” समझा जाता था, लेकिन अब ये बॉक्स ऑफिस पर भी छा रही हैं।

  • “दया कर” (2022): यह फिल्म एक स्कूल टीचर की जद्दोजहद पर है, जो बाल यौन शोषण के खिलाफ़ लड़ती है। 15 करोड़ का कलेक्शन करके इसने साबित किया कि सोशल इश्यूज़ पर बनी फिल्में भी हिट हो सकती हैं।

  • “टोकेन” (2023): साइंस फिक्शन जेनर में बनी यह पहली उड़िया फिल्म है, जिसने VFX के लिए नेशनल अवार्ड जीता।

इन फिल्मों की कामयाबी का राज़ है—ओडिशा की जड़ों से जुड़ी कहानियाँ, पर उन्हें यूनिवर्सल बनाकर पेश करना।

 

सांस्कृतिक पुनर्जागरण: लोक कला का पर्दे पर जादू

उड़िया सिनेमा की यह नई लहर ओडिशा की लोक कलाओं को भी पुनर्जीवित कर रही है।

  • ओडिसी डांस: फिल्म “संध्या राग” (2021) में शास्त्रीय नृत्य को मॉडर्न स्टोरीटेलिंग के साथ जोड़ा गया।

  • पाटचित्र पेंटिंग: “रंगमati” (2020) की टाइटल ट्रैक के बैकग्राउंड में पारंपरिक चित्रकारी का इस्तेमाल हुआ, जिसने इसे विश्व पटल पर पहचान दिलाई।

यह सिनेमा अब सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि ओडिशा की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षक बन गया है।

Movie Nurture: उड़िया सिनेमा का उदय: एक नई फिल्म क्रांति की शुरुआत

चुनौतियाँ: अभी लंबा है सफर

इस उभार के बावजूद, उड़िया सिनेमा को अभी कई रोड़ों से गुज़रना है:

  1. बजट की कमी: बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए निवेशक हिचकिचाते हैं।

  2. डिस्ट्रीब्यूशन: थिएटर चेन्स की कमी के कारण फिल्में छोटे शहरों तक नहीं पहुँच पातीं।

  3. स्टार सिस्टम: अभी भी नायक-नायिका के बिना फिल्में “रिस्की” मानी जाती हैं।

लेकिन इन चुनौतियों के बीच उम्मीद की किरण है—ओडिशा सरकार का “झूम ओडिशा” प्रोजेक्ट, जो फिल्म निर्माताओं को सब्सिडी और लोकेशन सपोर्ट दे रहा है।

निष्कर्ष: एक नए सूरज का उदय

उड़िया सिनेमा की यह कहानी किसी फिल्मी प्लॉट से कम नहीं—संघर्ष, हार, और फिर ज़बरदस्त कॉम्बैक। आज का उड़िया सिनेमा वही कर रहा है जो कभी मलयालम सिनेमा ने किया था: दर्शकों को सोचने पर मजबूर करना।

जैसा कि निर्देशक नील माधव पाणिग्रही कहते हैं, “हमारी फिल्में अब सवाल पूछती हैं… और दर्शक जवाब ढूँढने को तैयार हैं।” शायद यही वजह है कि भुवनेश्वर के उस सिनेमा हॉल में आज फिर भीड़ है—नई पीढ़ी, नई उम्मीदों के साथ।

Tags: Indian cinemaOdia film industryOdia film revolutionRegional cinema
Sonaley Jain

Sonaley Jain

Lights, camera, words! We take you on a journey through the golden age of cinema with insightful reviews and witty commentary.

Next Post
साइलेंट सिनेमा और लोकेशन का अनोखा रिश्ता: पर्दे के पीछे की कहानी

साइलेंट सिनेमा और लोकेशन का अनोखा रिश्ता: पर्दे के पीछे की कहानी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recommended

The Wizard Of OZ – एक अमेरिकन म्यूजिकल फैंटेसी फिल्म

The Wizard Of OZ – एक अमेरिकन म्यूजिकल फैंटेसी फिल्म

5 years ago
Movie N urture: Golden Era Glamour: Top 10 Iconic Bollywood Actors of the 1930s

Golden Era Glamour: Top 10 Iconic Bollywood Actors of the 1930s

11 months ago

Popular News

  • Movie Nurture:

    स्पेशल इफेक्ट्स के शुरुआती प्रयोग: जब जादू बनता था हाथों से, पिक्सल्स नहीं!

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • पुराने जमाने की फिल्मों से सीखें जिंदगी के 5 अनमोल पाठ

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • इन गानों को ना भूल पाये हम – ना भूल पायेगी Bollywood!

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • क्लासिक स्टार्स की आखिरी फिल्में: वो अंतिम चित्र जहाँ रुक गया समय

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • 1930s में फिल्मों की शूटिंग कैसे होती थी?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • Late Spring: ओज़ू की वो फिल्म जो दिल के किसी कोने में घर कर जाती है

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ग्रेगोरी पेक: हॉलीवुड के इस क्लासिक अभिनेता की जंग और जीत की कहानी

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Connect with us

Newsletter

दुनिया की सबसे अनमोल फ़िल्में और उनके पीछे की कहानियाँ – सीधे आपके Inbox में!

हमारे न्यूज़लेटर से जुड़िए और पाइए क्लासिक सिनेमा, अनसुने किस्से, और फ़िल्म इतिहास की खास जानकारियाँ, हर दिन।


SUBSCRIBE

Category

    About Us

    Movie Nurture एक ऐसा ब्लॉग है जहाँ आपको क्लासिक फिल्मों की अनसुनी कहानियाँ, सिनेमा इतिहास, महान कलाकारों की जीवनी और फिल्म समीक्षा हिंदी में पढ़ने को मिलती है।

    • About
    • Advertise
    • Careers
    • Contact

    © 2020 Movie Nurture

    No Result
    View All Result
    • Home

    © 2020 Movie Nurture

    Welcome Back!

    Login to your account below

    Forgotten Password?

    Retrieve your password

    Please enter your username or email address to reset your password.

    Log In
    Copyright @2020 | Movie Nurture.