मेंडी रंग लाग्यो (મેહંદી રંગ લાગ્યો) 1960 की गुजराती फिल्म है, जो मनहर रसकपुर द्वारा निर्देशित है और इसमें राजेंद्र कुमार और उषा किरण ने अभिनय किया है। यह चतुर्भुज दोशी की कहानी है और बिपिन गज्जर द्वारा निर्मित है। फिल्म मुंबई पर आधारित है, जहां तुली (राजेंद्र कुमार) नाम के एक युवक को अलका (उषा किरण) नाम की गायिका से प्यार हो जाता है। हालाँकि, उनके रोमांस को कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जैसे अलका के पिता का विरोध, तुली का अतीत और बाज़िन (सतीश व्यास) नामक खलनायक।
यह फिल्म अब तक की सबसे लोकप्रिय और सफल गुजराती फिल्मों में से एक है। इसे विशेष रूप से इसके संगीत के लिए याद किया जाता है, जिसे अविनाश व्यास ने संगीतबद्ध किया था और इसमें लता मंगेशकर, मन्ना डे, मोहम्मद रफी और महेंद्र कपूर द्वारा गाए गए गाने शामिल हैं। गाने अभी भी कई लोगों द्वारा बजाए जाते हैं और उनका आनंद लिया जाता है, खासकर शादियों और त्योहारों के दौरान। कुछ प्रसिद्ध गीत हैं:
“मेहंदी ते वावी मालवे” (મેહંદી તે વવી માળવે): एक गरबा गीत जो मेहंदी (मेंहदी) और प्यार की खुशी का जश्न मनाता है। इसे लता मंगेशकर और मन्ना डे ने दो संस्करणों में गाया है, एक पारंपरिक गीत के साथ और एक आधुनिक गीत के साथ।
“मेहंदी रंग लाग्यो” (મેહંદી રંગ લાગ્યો): एक रोमांटिक गीत जो मेहंदी से एकजुट हुए प्रेमियों की भावनाओं को व्यक्त करता है। इसे लता मंगेशकर ने गाया है और कोरस है।
“नयन चकचूर छे” (નયન ચક્ચૂર છે): एक युगल गीत जो प्रेमिका की आँखों की सुंदरता का वर्णन करता है। इसे लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी ने गाया है।
“पांडडू लीलू ने रंग रातो” (પાંડડુ લીલુ ને રંગ રાતો): एक चंचल गीत जो होली के दौरान रंगों के साथ खेलने का मज़ा दर्शाता है। इसे लता मंगेशकर और महेंद्र कपूर ने गाया है।
फिल्म की कहानी, पटकथा, निर्देशन, छायांकन और अभिनय भी दमदार है। यह फिल्म 1960 के दशक में मुंबई की संस्कृति और जीवनशैली के साथ-साथ उस समय के सामाजिक मुद्दों और संघर्षों को भी चित्रित करती है। फिल्म में कॉमेडी, ड्रामा, एक्शन और रोमांस का मिश्रण है जो दर्शकों को बांधे रखता है और उनका मनोरंजन करता है। फिल्म में कुछ यादगार दृश्य और संवाद भी हैं जो गुजराती सिनेमा के इतिहास का हिस्सा बन गए हैं।
यह फिल्म 29 मार्च 1960 को रिलीज हुई थी और बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त हिट रही थी। इसकी कलात्मक योग्यता और गुणवत्ता के लिए इसे समीक्षकों द्वारा भी सराहा गया। फिल्म ने कई पुरस्कार जीते, जैसे 8वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में गुजराती में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रपति का रजत पदक। फिल्म को अंतर्राष्ट्रीय पहचान भी मिली और इसे दुनिया भर के विभिन्न फिल्म समारोहों में प्रदर्शित किया गया।
मेंडी रंग लाग्यो एक ऐसी फिल्म है जो गुजराती सिनेमा में एक क्लासिक बन गई है। यह एक ऐसी फिल्म है जो गुजराती फिल्म निर्माताओं और कलाकारों की प्रतिभा और रचनात्मकता को प्रदर्शित करती है। यह एक ऐसी फिल्म है जो सभी पीढ़ियों और पसंदों को पसंद आती है। यह एक ऐसी फिल्म है जो प्रेम और संगीत की सुंदरता और शक्ति को दर्शाती है।
Lights, camera, words! We take you on a journey through the golden age of cinema with insightful reviews and witty commentary.