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Albela Movie Review : भोली सूरत दिल के खोटे नाम बड़े और दर्शन छोटे

by Sonaley Jain
February 17, 2021
in Bollywood, Hindi, Movie Review, old Films, Top Stories
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Movie nurture: Albela
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अलबेला फिल्म बॉलीवुड की कुछ ऐसी क्लासिक फिल्मों में से एक है जो आपको एक बार तो जरूर देखनी चाहिए। यह एक पारिवारिक ड्रामा है जो 1 जनवरी1951 में रिलीज़ हुयी थी। और यह फिल्म 1953  में तमिल भाषा में भी रिलीज़ हुयी। फिल्म के कुछ बेहद लोकप्रिय गाने जो आज भी गुनगुनाये जाते हैं शोला जो भड़के, और भोली सूरत दिल के खोटे नाम बड़े और दर्शन छोटे दर्शन छोटे।

Movienurture: Albela

Story line –

कहानी होती है शुरू प्यारेलाल से, जो होनहार युवा होने के साथ साथ एक डे ड्रीमर भी है। हमेशा बड़े बड़े सपने देखने वाला प्यारेलाल पढ़ालिखा होने के बावजूद भी बेरोज़गार की तरह जीवन जी रहा है। प्यारेलाल मुंबई में एक छोटे से घर में अपने पुरे परिवार के साथ रहता है, जिसमे उसके पिता अपनी जॉब से रिटायर्ड हो चुके है और माता ग्रहणी हैं। एक बड़ा भाई मोहन और उसकी पत्नी मालती है और इन्ही के साथ घर की सबसे लाड़ली बेटी और प्यारेलाल की प्यारी बहन विमला।

कुछ समय बाद विमला का विवाह तय हो जाता है और शादी की सभी जिम्मेदारियां पिता और दोनों भाई आपस में बाँट लेते हैं। जिसमे जिम्मेदारियों के साथ साथ पैसों का भी इंतेज़ाम करना होता है तो पिताजी 1000 रुपये , जो उन्होंने बचत की थी देते हैं, मोहन भी 600 रुपये का योगदान देता है मगर प्यारेलाल 400 रुपये की जगह सिर्फ 100 रुपये ही देता है और कहता है किसिर्फ इतने का ही इंतज़ाम हुआ क्युकी उसको नौकरी से निकल दिया है। कोई और नौकरी ना होने कि वजह से वह सिर्फ इतना ही डे सकता है। सभी उस पर बहुत नाराज़ होते हैं।

कोई जिम्मेदारी ना उठाने के चक्कर में रोज़ झगड़े होते हैं घर में और एक दिन तो पिताजी प्यारेलाल को घर से ही निकाल देते हैं और यह कहते हैं कि तभी लौटना वापस जब एक अमीर आदमी बन जाओ , वरना मत आना। दुखी मन से प्यारेलाल वहां से चला जाता है। कुछ समय इधर उधर भटकने के बाद प्यारेलाल की मुलाकात एक अभिनेत्री आशा से होती है। जब आशा को पता चलता है प्यारेलाल की बेरोज़गारी के बारे में तो वह उसको थियेटर में काम दिलवा देती है। जैसे जैसे दोनों का प्यार बढ़ने लगता है वैसे वैसे प्यारेलाल को थियेटर में अपर सफलता मिलनी शुरू हो जाती है।

Movienurture: Albela

अब प्यारेलाल के पास सब कुछ होता है एक घर, गाड़ी और एक प्यारी सी प्रेमिका,जो उसको हमेशा अपने परिवार से मिलने से रोकता है। फिर भी वह हमेशा अपने परिवार को याद करता रहता है और हर त्यौहार और सफलता पर उनके लिए उपहार और पैसे भेजता है। एक दिन प्यारेलाल की मुलाकात एक ऐसे इंसान से होती है, जो अपनी माँ के इलाज के लिए अपनी जान भी देने को तैयार हो जाता है। उसके बाद प्यारेलाल को बहुत पछतावा होता है कि वह इस सफलता में इतना खो गया कि अपने परिवार को भूल गया।

बिना देर किये वह सब कुछ छोड़कर अपने परिवार से मिलने जाता है। उसकी मुलाकात बड़े भाई मोहन और भाभी से होती है जो उसको माँ की मृत्यु के बारे में बताते हैं। उसके बाद प्यारेलाल पिताजी और विमला के बारे में पूछता है तो मोहन बताता है कि माँ की मृत्यु के बाद मोहन की असमर्थता को देखते हुए पिताजी विमला को लेकर कहीं चले गए हैं।

Movienurture: Albela

प्यारेलाल पूछता है कि मगर वह तो हर समय पैसे और उपहार भेजता रहा है घर पर। तो मोहन मालती से पूछता है कि यह तो काम के सिलसिले में अक्सर बाहर रहता है तो पैसे कहाँ गए जो प्यारे भेजता था। मालती अपना गुनाह कबूल करती है कि वह सारे पैसे अपने भाई को डे देती थी और भाई उन पैसों से जुआ खेलता है।

यह सुनते ही प्यारे अपने पिता और बहन को ढूंढने निकाल जाता है। रास्ते में जैसे ही उसे पिता और बहन दिखते हैं वैसे ही उसका एक्सीडेंट हो जाता है। हॉस्पिटल में उसे अपने पिता द्वारा सच का पता चलता है और वह आशा को माफ़ कर देता है और सभी एक साथ ख़ुशी ख़ुशी रहने लगते हैं।

Songs & Cast –

इस फिल्म में सी रामचंद्र ने संगीत दिया है और इसके गीत आज के युवा भी गुनगुनाते हैं – “शोला जो भड़के” , “धीर से आजा री अंखियां में”, “दिल धड़के नज़र शर्माये”,क़िस्मत की हवा कभी नरम”, “बलमा बड़ा नादान रे”, “भोली सूरत दिल के खोटे नाम बड़े और दर्शन छोटे ” और इन गीतों को गया है लता मंगेशकर , राजिंदर कृष्ण ने। 

Movienurture: Albela

Review –

इस फिल्म में गीता बाली और भगवान की जोड़ी को बहुत ही सराहना मिली। यह फिल्म 1951 की एक सुपरहिट फिल्मों में गिनी जाती है और यह फिल्म एक गरीब परिवार के युवा की गरीबी से अमीरी तक के सफर की कहानी है। जहाँ प्यारेलाल अमर बनाने पर भी सोच से हमेशा एक आम इंसान ही बना रहता है जो अपनी हर छोटी से व्होटी खुशियों को अपने परिवार के साथ बताने में विश्वास रखता है तो वहीँ आशा एक सम्पन परिवेश में रहने वाली प्रेमिका जो अपने प्यार को अपने से दूर नहीं जाने देना चाहती। मगर जब उसको सच पता चलता है तो वह परिवार को प्यारे से मिलवाती है।

बॉलीवुड की एक ऐसी मूवी रिव्यु जिसका हर कलाकार आपको फिल्म में बांधे रखता है। 2 घंटे और 38 मिनट की ये क्लासिक फिल्म आपको बेहद पसंद आएगी। इस फिल्म के गाने इस तरह से समां को बांधते हैं की आपको मज़ा आ जाता है जैसे – शोला जो भड़के दिल मेरा धड़के और भोली सूरत दिल के खोटे नाम बड़े और दर्शन छोटे।

Tags: Best Bollywood FilmclassicClassic Movie
Sonaley Jain

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