कल्पना कीजिए… साल 1937 है। सिनेमाघरों में लोग बैठे हैं। स्क्रीन पर रंग नहीं, सिर्फ़ काले-सफेद छायाचित्र। तभी शुरू होती है एक कहानी – एक […]
Author: Sonaley Jain
बिना आवाज़ के जादू: कैसे संगीत ने साइलेंट फिल्मों की आत्मा बचाई रखी?
सोचिए वो ज़माना… जब फिल्मों में न तो हीरो की आवाज़ गूँजती थी, न हीरोइन के डायलॉग सुनाई देते थे, न विलेन की खलनायकी भरी […]
अपूर्व संगमा (1984): राजकुमार का वो जादुई संगम जो आज भी क्यों याद किया जाता है?
क्या आपको वो पुरानी कन्नड़ फिल्में याद हैं? जहां कहानी की गहराई होती थी, संगीत दिल को छू जाता था, और अभिनय सिर्फ डायलॉग बोलना […]
क्या साइलेंट फिल्मों में औरतें थीं? सिनेमा की भूली-बिसरी ‘फर्स्ट लेडीज़’ की कहानी
ये सवाल अक्सर दिमाग में आता है: “क्या साइलेंट फिल्मों के दौर में भी महिला अभिनेत्रियां या फिल्म निर्माता थीं?” या फिर ये मान लिया […]
चार्ली चैपलिन की 2 फिल्में जिन्होंने समाज को दिया गहरा संदेश: हंसी के पीछे छिपा सच
क्या आपने कभी सोचा है कि एक चुप्पी, टूटी-फूटी टोपी पहने और बंदर जैसी चाल चलने वाला आदमी दुनिया का सबसे बड़ा कलाकार कैसे बन […]
द रोड टू सम्पो: वो बर्फीली सड़क जहाँ तीन टूटे दिल ढूँढते हैं खोया हुआ सपना
साल 1975, दक्षिण कोरिया पर सैन्य शासन की लोहे की मुट्ठी कसी हुई है। हवा में डर का सन्नाटा, आँखों में भविष्य की अनिश्चितता। ऐसे […]
रॉबिन हुड 1973: वो अनदेखा डिज़्नी जादू जिसने पीढ़ियों को चोरों का राजा बना दिया
याद है वो बचपन की दोपहर? पंखे की आवाज़, खिड़की से आती गर्म हवा, और टीवी पर चलती कोई ऐसी फिल्म जिसके रंग, संगीत और […]
दिलीप कुमार: वो पांच फ़िल्में जहाँ उनकी आँखों ने कहानियाँ लिखीं
किसी अभिनेता की महानता का पैमाना क्या है? क्या वो हिट फ़िल्में हैं, पुरस्कारों का ढेर, या फिर दर्शकों के दिलों पर छोड़ी गई वो […]
आशीर्वाद (1968): एक पिता के वज्र की कहानी
कल्पना कीजिए एक घर जहाँ दीवारों पर पुराने चित्र लटके हैं, हवा में हल्की खुशबू है गुलाबजल की, और बैठक में बूझे हुए सिगार की […]
भारत के सर्वश्रेष्ठ 5 हास्य कलाकार: एक दृष्टि हास्य की उत्कृष्टता पर
हँसी का जादू कुछ ऐसा है कि यह दिल के ताले को खोल देती है, और भारतीय सिनेमा व टेलीविज़न ने इस जादू को बिखेरने […]