जापानी सिनेमा के इस दौर में, जहाँ एनीमे की चटकीली दुनिया और जीवंत पात्रों का बोलबाला है, वहीं एक वक्त वह भी था जब पर्दे […]
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द ममीज़ कर्स (1944): हॉलीवुड के श्राप और सस्पेंस की क्लासिक कहानी
यक़ीन मानिए, अगर आपने कभी भी किसी पुरानी, धूल भरी अलमारी में रखे फिल्मी पोस्टरों को पलटा हो, तो आपकी नज़र ज़रूर उस तस्वीर पर […]
केवल प्रेम कहानी नहीं—‘अनमोल घड़ी’ में छुपा समाज और वर्ग का संदेश!
कल्पना कीजिए। साल 1946। देश आज़ादी की लड़ाई के आख़िरी दौर से गुज़र रहा है। हर तरफ उथल-पुथल, अनिश्चितता और बदलाव की हवा बह रही […]
बचपन के अटारी में चमकती एक पुरानी मूवी: इचबॉड और मिस्टर टोड का जादू
याद है वो पुरानी, धूल भरी अटारी? जहाँ दादी का ट्रंक खुलता था तो किताबों की खुशबू और पुराने खिलौनों का रहस्य निकलता था? वॉल्ट […]
द वुल्फ मैन (1941): वह रात जब चांदनी ने एक दिल को भेड़िये में बदल दिया
क्लासिक हॉरर मूवीवो रात… वो चाँद… वो दहशत! 1941 में रिलीज़ हुई ‘द वुल्फ मैन’ सिर्फ एक मॉन्स्टर मूवी नहीं थी। यह एक दिल को […]
आर्सेनिक एंड ओल्ड लेस (1944): डार्क ह्यूमर का मास्टरपीस जो आज भी ज़हर का मज़ा देता है!
कल्पना कीजिए एक ऐसी दुनिया की, जहां सबसे मीठी मुस्कान वाली, चाय-बिस्कुट परोसने वाली, प्यारी बुजुर्ग चाचियाँ… एक सनसनीखे़ज़ राज़ छिपाए बैठी हों। वो राज़? […]
Late Spring: ओज़ू की वो फिल्म जो दिल के किसी कोने में घर कर जाती है
कल्पना कीजिए एक ऐसी फिल्म जिसमें कोई भीषण एक्शन नहीं, कोई जोरदार ड्रामा नहीं, कोई भावुक भाषण नहीं। बस जीवन है। रोज़मर्रा की साधारण सी […]
ग्लैमर से परे: जब हॉलीवुड के सुनहरे सितारों की रोशनी में दिखी अकेलेपन की परछाइयाँ
सोचिए एक पल। 1950 का दशक। एक विशाल सिनेमा हॉल। पर्दे पर क्लार्क गेबल अपनी विद्युत चुम्बकीय मुस्कान बिखेर रहे हैं। ग्रेटा गार्बो की आँखों […]
सनमाओ: तीन बालों वाला अनाथ – एक ऐसी फिल्म जो दिल को छू जाती है और इतिहास को चीर देती है
कल्पना कीजिए। धुंध से ढकी सर्द शंघाई की सुबह। सड़क के किनारे, फुटपाथ की ठंडक पर, एक छोटा सा बच्चा। उसके सिर पर सिर्फ तीन […]
1940s की सबसे चर्चित हॉलीवुड एक्ट्रेसेस: ग्लैमर, टैलेंट और स्टारडम की मिसाल
साल 1943, न्यूयॉर्क के एक थिएटर में कैसाब्लांका का प्रीमियर चल रहा है। स्क्रीन पर इंग्रिड बर्गमैन की आँखों में जो दर्द है, वह दर्शकों […]