क्लासिक वर्ल्ड सिनेमा पर कई सालों से लिखते हुए हमेशा यह महसूस हुआ है कि कुछ फिल्में “स्टोरी” से ज़्यादा “अनुभव” होती हैं। जापानी निर्देशक यासुजिरो […]
Category: International Films
हॉलीवुड का स्वर्ण युग: 1920 के दशक के प्रसिद्ध कलाकार और उनकी आइकॉनिक भूमिकाएँ
1920 का दशक हॉलीवुड के लिए वह समय था जब सिनेमा ने वाकई “ड्रीम फैक्ट्री” का रूप लेना शुरू किया और सितारों ने देवताओं जैसी […]
“Crows and Sparrows Review: कैसे इस फिल्म ने चीन के बदलते दौर को दिखाया?”
“Crows and Sparrows (乌鸦与麻雀)” 1949 की एक चीनी फ़िल्म है, जिसे निर्देशक झेंग जुनली (Zheng Junli) ने बनाया और यह शंघाई की एक पुरानी इमारत […]
Aunt Tula 1964 फिल्म रिव्यू: चुप्पी, कर्तव्य और दबी इच्छाओं की गहरी कहानी
कहते हैं कि कुछ फिल्में सिर्फ़ मनोरंजन के लिए नहीं बनी होतीं, बल्कि वो समाज के सामने एक आईना रखने का काम करती हैं। स्पेनिश […]
Kurosawa के कैमरे से निकली एक करुण पुकार – Stray Dog की कहानी
जापानी सिनेमा के इस दौर में, जहाँ एनीमे की चटकीली दुनिया और जीवंत पात्रों का बोलबाला है, वहीं एक वक्त वह भी था जब पर्दे […]
नर्क का नृत्य: ‘सक्कुबस’ (1968) – स्पेन की वह अजीबो-ग़रीब हॉरर फिल्म जो आपको झकझोर देगी
सोचिए… एक अँधेरा थिएटर। स्क्रीन पर लाल रंग के पर्दे फड़फड़ाते हैं। एक ख़ूबसूरत औरत, लोर्ना, मंच पर है। उसकी आँखों में एक अजीब सी […]
क्रांति की चिंगारी, बर्फ़ की चादर: ‘ट्रैक्स इन द स्नोवी फॉरेस्ट’ (1960) की वह दमदार दास्तान
“Tracks in the Snowy Forest” (चीनी: 林海雪原, पिनयिन: Lín Hǎi Xuě Yuán), 1960 में रिलीज़ हुई एक क्लासिक चीनी फ़िल्म है, जो चीनी क्रांतिकारी सिनेमा […]
द वुल्फ मैन (1941): वह रात जब चांदनी ने एक दिल को भेड़िये में बदल दिया
क्लासिक हॉरर मूवीवो रात… वो चाँद… वो दहशत! 1941 में रिलीज़ हुई ‘द वुल्फ मैन’ सिर्फ एक मॉन्स्टर मूवी नहीं थी। यह एक दिल को […]
आर्सेनिक एंड ओल्ड लेस (1944): डार्क ह्यूमर का मास्टरपीस जो आज भी ज़हर का मज़ा देता है!
कल्पना कीजिए एक ऐसी दुनिया की, जहां सबसे मीठी मुस्कान वाली, चाय-बिस्कुट परोसने वाली, प्यारी बुजुर्ग चाचियाँ… एक सनसनीखे़ज़ राज़ छिपाए बैठी हों। वो राज़? […]
इकीरू (1952): कागजों के पहाड़ में दफन एक आदमी, और जीने की वजह ढूंढने की कोशिश
सोचिए, एक दिन डॉक्टर आपको बता दे कि आपको गैस्ट्रिक कैंसर है, और बस कुछ ही महीने बाकी हैं। अब सवाल ये: अगले छह महीने […]