अपूर्व संगमा (1984): राजकुमार का वो जादुई संगम जो आज भी क्यों याद किया जाता है?

क्या आपको वो पुरानी कन्नड़ फिल्में याद हैं? जहां कहानी की गहराई होती थी, संगीत दिल को छू जाता था, और अभिनय सिर्फ डायलॉग बोलना […]

उड़िया सिनेमा का उदय: एक नई फिल्म क्रांति की शुरुआत

एक सुबह, भुवनेश्वर के एक सिनेमा हॉल के बाहर कतार लगी थी। टिकट खिड़की पर युवाओं का हुजूम “सिनेमा हॉल झुक जाएगा” के नारे लगा […]

1980s की मलयालम फिल्मों में राजनीतिक और सामाजिक विषयों का गहरा असर

1980 का दशक मलयालम सिनेमा के इतिहास में एक स्वर्णिम युग के रूप में याद किया जाता है। यह वह दौर था जब फिल्में सिर्फ […]

“‘कन्ना टल्ली’ (1953) : हिंदी सिनेमा में तेलुगु क्लासिक की टाइमलेस अपील”

कन्ना टल्ली 1953 में रिलीज़ हुई एक तेलुगु फ़िल्म है। यह फ़िल्म अपनी भावनात्मक कहानी, दमदार अभिनय और पारिवारिक मूल्यों के बारे में मज़बूत संदेश […]

आंसू, प्यार और त्याग: चिन्ना मरुमगल का दिल छू लेने वाला सफर

1960 की तमिल फ़िल्म “चिन्ना मरुमगल” तमिल सिनेमा के इतिहास में एक टाइमलेस क्लासिक के रूप में जानी जाती है। प्रशांत कुमार द्वारा निर्देशित इस […]

पर्दे पर राज करने वाली वनिश्री: दक्षिण सिनेमा का सुनहरा दौर

तेलुगु, तमिल और कन्नड़ सिनेमा पर अपनी अमिट छाप छोड़ने वाली मशहूर भारतीय अभिनेत्री वाणीश्री ने 40 वर्षों के अपने करियर में कई बेहतरीन फिल्मों […]

करुलिना करे – कन्नड़ सिनेमा के स्वर्णिम युग की एक पुरानी याद

1970 में रिलीज़ हुई “करुलिना करे” कन्नड़ सिनेमा की एक प्रमुख फिल्म है। इस फिल्म ने दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई और […]

जे. वी. सोमयाजुलु: टॉलीवुड सिनेमा के एक दिग्गज

टॉलीवुड में एक सम्मानित व्यक्ति जे. वी. सोमयाजुलु ने अपने शक्तिशाली प्रदर्शन और बहुमुखी अभिनय से तेलुगु फिल्म उद्योग पर एक अमिट छाप छोड़ी। “संकराभरणम” […]

करपुक्करासी: योद्धा महिला के जीवन का संघर्ष

ए.एस.ए. सामी द्वारा निर्देशित “करपुक्करासी” 1957 की तमिल फिल्म है जो तमिल सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कृति के रूप में बनी हुई है। […]