बिना आवाज के कहानी कहने के 10 माहिर निर्देशक

सिनेमा के शुरुआती दौर में संवाद और आवाज़ की तकनीक का अभाव था, लेकिन इसके बावजूद फिल्म निर्माताओं ने बिना आवाज के कहानी कहने की […]

किशोर नंदलास्कर: एक मराठी अभिनेता के जीवन का सफ़र

मराठी सिनेमा में बहुमुखी प्रतिभा और दिल को छू लेने वाले अभिनय के पर्याय किशोर नंदलास्कर ने इंडस्ट्री पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। यह […]

आवाज़ खामोश, सुरों का जादू: साइलेंट फिल्मों का संगीत

साइलेंट फिल्मों का संगीत एक ऐसा अद्भुत और अविस्मरणीय पहलू है, जिसने सिनेमा को एक नई दिशा दी है। यह वो दौर था जब आवाज़ […]

पर्दे के पीछे का चेहरा: हिंदी सिनेमा की पहली महिला निर्देशिका

भारतीय सिनेमा की चकाचौंध भरी दुनिया में कई चेहरे ऐसे हैं जिन्होंने अपनी अद्वितीय प्रतिभा से हमें मोहित किया है। लेकिन, क्या आप जानते हैं […]

धरती का वोही आसमान: 1970 की ‘धरती’ का समिक्षा

भारतीय सिनेमा के सुनहरे दौर में, कई ऐसी फिल्में आईं जिन्होंने दर्शकों के दिलों में एक गहरी छाप छोड़ी। इनमें से एक महत्वपूर्ण फिल्म है […]

1956 की क्राइम फिल्म “The Man Who Knew Too Much” की समीक्षा

1956 में रिलीज़ हुई “The Man Who Knew Too Much” एक क्लासिक थ्रिलर फिल्म है, जिसका निर्देशन महान फिल्म निर्माता अल्फ्रेड हिचकॉक ने किया है। […]

1955 का कोरियाई रहस्य: “द विडो” फिल्म समीक्षा

1955 में रिलीज़ हुई कोरियाई फिल्म “The Widow” (अंग्रेजी में “Mimangin”) एक अद्वितीय और गहन कहानी है, जो अपने समय की सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों […]

ओपेरा का भूत: 1943 की हॉरर क्लासिक का रोमांचक विश्लेषण

1943 में रिलीज़ हुई हॉरर फिल्म “Phantom of the Opera” एक क्लासिक फिल्म है, जिसे आर्थर लुबिन द्वारा निर्देशित किया गया है। यह फिल्म गॉथिक […]

पर्दे पर राज करने वाली वनिश्री: दक्षिण सिनेमा का सुनहरा दौर

तेलुगु, तमिल और कन्नड़ सिनेमा पर अपनी अमिट छाप छोड़ने वाली मशहूर भारतीय अभिनेत्री वाणीश्री ने 40 वर्षों के अपने करियर में कई बेहतरीन फिल्मों […]

करुलिना करे – कन्नड़ सिनेमा के स्वर्णिम युग की एक पुरानी याद

1970 में रिलीज़ हुई “करुलिना करे” कन्नड़ सिनेमा की एक प्रमुख फिल्म है। इस फिल्म ने दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई और […]