कलाथुर कन्नम्मा 1960 की भारतीय तमिल भाषा की रोमांटिक ड्रामा फिल्म है, जो ए. भीमसिंह द्वारा निर्देशित और जावर सीतारामन द्वारा लिखित है। फिल्म में जेमिनी गणेश, सावित्री गणेश और कमल हासन मुख्य भूमिका में हैं। यह एक दंपति के इर्द-गिर्द घूमती है – एक अमीर जमींदार का बेटा और एक किसान की बेटी – जो परिस्थितियों के कारण अलग हो जाते हैं, जबकि उनके मासूम बेटे को एक अनाथालय में बड़ा होने के लिए मजबूर किया जाता है।
कलाथुर कन्नम्मा 12 अगस्त 1960 को रिलीज़ हुई और यह फिल्म समीक्षकों द्वारा बहुत सराही गयी थी। इसमें कमल हासन के काम को बेहद प्रशंसा मिली यह कमल की पहली बाल फिल्म थी। यह फिल्म व्यावसायिक रूप से भी इतनी सफल रही, कि इसने सिनेमाघरों में 100 से भी अधिक दिन पूरे किये। इसकी सफलता के बाद उसी वर्ष कमल हासन को अपने अभिनय के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला। उसके बाद इस फिल्म का रीमेक तेलुगु में मूगा नोमू के नाम से और हिंदी में मैं चुप रहूंगी के नाम से बनाया गया।
Story Line
कहानी शुरू होती है कलाथुर गांव के जमींदार रामलिंगम और उनके इकलोते पुत्र राजा से। उसी गांव में एक किसान मुरुगन अपनी बेटी कन्नम्मा के साथ रहता है और जमींदार की सलाह पर वह अपनी बेटी को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए मद्रास भेजता है। अपनी पढ़ाई पूरी करके मद्रास से लौटते समय कन्नम्मा की मुलाकात ट्रेन में राजा से होती है। जमींदार के प्रति कन्नम्मा का सम्मान और आदर देखकर राजा खुद को महल का एक बिजली मिस्त्री बताता है।
कुछ ही समय में कन्नम्मा और राजा की दोस्ती प्यार में बदल जाती है मगर कन्नम्मा को राजा की सच्चाई का पता चल जाता है। इसके बाद राजा और कन्नम्मा मंदिर में गुपचुप तरीके से शादी कर लेते हैं। और दो दिनों के बाद राजा उच्च शिक्षा के लिए विदेश चला जाता है। राजा की अनुपस्थिति में बहुत जल्द ही रामलिंगम को उन दोनों की शादी के बारे में पता चल जाता है और वह कन्नम्मा को राजा को भूलने का आदेश देता है।
जमींदार के आदर की वजह से कन्नम्मा वादा करती है कि वह कभी भी अपनी शादी का जिक्र किसी से नहीं करेगी। रामलिंगम शहर सेवलपट्टी में मुरुगन और कन्नम्मा के ठहरने की व्यवस्था करता है। मुरुगन अपनी बेटी के नवजात शिशु को एक अनाथालय में छोड़ देता है और झूठ बोलता है कि बच्चा मृत पैदा हुआ था।
जब राजा लौटता है, तो उसे पता चलता है कि कन्नम्मा ने गांव छोड़ दिया है और वह सेवलपट्टी जाकर कन्नम्मा के बारे में पता करता है और उसको सभी लोग बहुत ही गलत बताते हैं। दुखी होकर राजा कन्नम्मा को भूलने के लिए यात्रा करता है। और वह बेंगलोरे पहुँच जाता है और वहां पर एक नर्तकी के घर में कन्नम्मा को देखकर वह उससे घृणा करने लगता है बिना सच जाने और वापस गांव आ जाता है। क्योकि कन्नम्मा वहां पर नर्तकी की बेटी को पढ़ाने गयी थी।
कन्नम्मा का बेटा सेल्वम अनाथाश्रम में रहकर बड़ा होने लगता है। एक दिन सेल्वम से मिलने मुरुगन अनाथालय आता है और उससे मिलने पर मुरुगन अपनी बेटी के साथ वहीँ पर रहने का फैसला करता है। कन्नम्मा सेल्वम के स्कूल में शिक्षिका बन जाती है और वह सेल्वम के प्रति एक ही स्नेह को महसूस करती है। राजा को सेवलपट्टी का एक अमीर व्यापारी सिंगाराम आमंत्रित करता है एक स्कूल समारोह की अध्यक्षता करने के लिए।
राजा को सेल्वम का नाटक बहुत पसंद आता है और वह उसको बहुत पसंद करने लगता है। राजा की मुलाकात कन्नम्मा से होती है और वह प्रधानाध्यापक को उसे बर्खास्त करने का आदेश देता है। सेल्वम की पालन करने वाले मणि को गंभीर बीमारी हो जाती है और सेल्वम राजा की मदद लेता है। मणि की मृत्यु के बाद राजा सेल्वम को अपने साथ महल ले जाता है। और उसे एक माँ देने के लिए, मदुरम से शादी करने का फैसला करता है।
गंभीर रूप से बीमार मुरुगन कन्नम्मा को सब सच बता देता है सेल्वम के बारे में। अनाथाश्रम में सेल्वम ना मिलने की वजह से दुखी कन्नम्मा वापस अपने गांव चली जाती है। मंदिर में, कन्नम्मा सेल्वम से मिलती है और उसे बताती है कि वह उसकी माँ है। उससे यह जानने पर कि राजा उसका लालन-पालन कर रहा है।
मदुरम को सेल्वम से पता चलता है कि वह राजा का बेटा है, जिसके बाद सिंगाराम यह कोशिश करता है कि विवाह के बाद राजा की संपत्ति सिर्फ मदुरम के बच्चों को ही मिलेगी। गांव में खबर फैल जाती है कि महल में सेल्वम की मारपीट की गयी है। यह जानने पर, कन्नम्मा भागी भागी जाती है महल अपने बेटे को लेने के लिए। मगर राजा उसको सेल्वम को ले जाने नहीं देता।
राजा सेल्वम को कन्नम्मा का बेटा मानने से इंकार कर देता है और वह कन्नम्मा को बहुत ही बुरा भला कहता है मगर कन्नम्मा कुछ नहीं कहती है। यह देखकर रामलिंगम उसके अपमान को सहन नहीं कर पाता और कन्नम्मा को अपनी बहु के रूप में स्वीकार कर लेता है।
Songs & Cast
फिल्म का संगीत आर. सुदर्शनम ने दिया है और गीतों को कन्नदासन, कोथमंगलम सुब्बू, कू द्वारा लिखे गए थे।
“कंगालिन वार्थैगल கங்கலின் வர்தகல் ” ,”सिरिथालुम சிரிதலம் ” , “आदत मनमुम பழக்கம் மானுமம் ” ,”अरुगिल वंथल அருகில் வந்தல் ” ,”अम्मावुम नीये அம்மாவம் நியே “, “उनाईकंदु मयंगाधा யுனைக்கண்டு மாயங்காதா “, “मलारिल मधु एडरक्कू மலரில் மது எடாரக்கு “, “अम्मावम नीये அம்மாவம் நீயே” और इन गीतों कोएम. एस. राजेश्वरी, पी. सुशीला, ए.एम. राजा,सी. एस. जयरामन, ए.पी. कोमला और टी.एम. सुंदरराजन ने गाया है।
फिल्म में मिथुन गणेश ने राजा और सावित्री गणेश ने कन्नम्मा के किरदार को निभाया है। सेल्वम के रूप में कमल हासन दिखे और टी. एस. बलैया ने रामलिंगम को निभाया।
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