किशोर कुमार भारतीय फिल्म का सबसे लोकप्रिय गायक होने के साथ साथ एक उम्दा अभिनेता और निर्देशक थे। करीबन 4 दशकों से अभिनय और गायकी से फ़िल्मी जगत को रोशन करते रहे, उन्होंने हिंदी के अलावा बंगाली, मराठी, असमिया, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम और उर्दू सहित कई भारतीय भाषाओं में बेहद सुरीले और सुपर हिट गाने गाए। किशोर दा को यह पहचान अभिनय से ज्यादा गायकी से मिली।
किशोर कुमार का जन्म 1929 में मध्य प्रदेश के एक गांव में हुआ था। हंसमुख स्वाभाव के किशोर दा ने कभी संगीत का ज्ञान नहीं लिया मगर उनकी आवाज़ दिल के हर तार को बजा देती है, पीक ट्रैक्स से लेकर रोमांटिक मूड तक, किशोर कुमार ने हर प्रकार की शैलियों में गीत गाये।
Early Life – किशोर कुमार का असली नाम आभास कुमार गांगुली था जो फ़िल्मी जगत में आने के बाद किशोर कुमार के नाम से जाना जाने लगा। उनका जन्म 4 अगस्त 1929 को खंडवा, मध्य प्रांत (अब मध्य प्रदेश में) में एक बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता, कुंजलाल गांगुली एक वकील थे और उनकी माता, गौरी देवी एक सुगण ग्रहणी थीं। किशोर कुमार अपने 4 भाई बहनों के सबसे छोटे और प्रिय भाई थे – अशोक कुमार और अनूप कुमार फ़िल्मी उद्योग के बेहद प्रसीद नाम हैं और उनकी बहन सती देवी।
आभास को बचपन से ही पढ़ने और खेलकूद में दिलचस्पी रही और उन्होंने अपना स्नातक इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज से किया। किशोर कुमार को जब भी वक्त मिलता वह नॉवेल पढ़ने में अपना समय बिताते थे।
Professional Life – आभास के बड़े भाई अशोक कुमार के सुपरहिट एक्टर बनने के बाद में आभास ने अपना नाम बदल कर किशोर कुमार रख लिया और बॉम्बे टॉकीज़ में एक कोरस गायक के रूप में अपने सिनेमा करियर की शुरुआत की। किशोर कुमार की पहली फिल्म शिकारी (1946) थी, जिसमें उनके बड़े भाई, अशोक कुमार ने मुख्य भूमिका निभाई थी। इस फिल्म में सभी को किशोर का काम बहुत पसंद आया। उसके बाद संगीत निर्देशक खेमचंद प्रकाश ने किशोर कुमार को फिल्म जिद्दी (1948) के लिए “मरने की दुआएं क्यों मांगू” गाने का मौका दिया। इस गाने के सुपर हिट होने के बाद किशोर कुमार को और भी गानों के ऑफर मिलने लगे।
मगर वे फ़िल्मी करियर को लेकर बहुत गंभीर नहीं थे। फणी मजूमदार द्वारा निर्देशित बॉम्बे टॉकीज की फिल्म आंदोलन (1951) में किशोर कुमार ने मुख्य भूमिका निभाई थी। अपने भाई की मदद से उन्हें कई अभिनय के असाइनमेंट मिले, लेकिन उन्हें गायक बनने में ज्यादा दिलचस्पी रही मगर उनके बड़े भाई अशोक कुमार उन्हें एक अभिनेता बनाना चाहते थे।
किशोर कुमार ने अपने पूरे जीवन संगीत की कोई भी शिक्षा नहीं ली मगर उन्हें संगीत का ऐसा ज्ञान था कि उनका मुकाबला हिंदी सिनेमा में तो क्या दक्षिण सिनेमा में भी नहीं था। मगर अभिनय में रूचि ना होने की वजह से उन्होंने 1946 से 1955 के बीच, 22 फ़िल्मों में काम किया, जिनमें से 16 फ़िल्में फ्लॉप हुईं। मगर जब उनकी कुछ फिल्मे जैसे -लड़की, नौकारी, मिस मलेशिया, चार पैसे और बाप रे बाप फिल्मो ने अपार सफलता पायी तो किशोर कुमार का रुझान अभिनय की तरफ भी होने लगा। फिर तो उनका सफर हर वर्ष एक नयी उचाईयों को ही छूता रहा।
Personal Life – किशोर कुमार का निजी जीवन बेहद दिलचस्प रहा है , एक जिंदादिल और हसमुख इंसान होने के साथ साथ वह अपने परिवार के बेहद करीब रहे उनके बड़े भाई अशोक कुमार ही उन्हें इस फ़िल्मी दुनिया में लेकर आये थे और यह दुनिया ना पसंद होते हुए भी उन्होंने हर दिशा में अपना परचम लहराया, चाहे बात हो अभिनय की या फिर गायकी या फिर निर्देशन की, हर जगह उन्होंने अपना हुनर दिखाया है।
किशोर कुमार का 4 बार विवाह हुआ था, पहली पत्नी रूमा गुहा ठाकुरता उर्फ रूमा घोष एक बंगाली गायिका और अभिनेत्री थी और उनकी शादी 1950 में हुयी और किशोर कुमार से तलाक 1958 में हो गया। दूसरा विवाह उनका मशहूर अभिनेत्री मधुबाला से 1960 में हुआ था और उन दोनों ने साथ मिलकर कई साड़ी सुपरहिट फिल्मों में काम किया , 1969 में उनका विवाह मधुबाला की मृत्यु से समाप्त हो गया।
किशोर कुमार ने तीसरा विवाह योगिता बलि से किया 1976 में और यह रिश्ता भी सिर्फ 2 वर्ष तक ही रहा, 1978 में दोनों का तलाक हो गया, उसके बाद उन्होंने 1980 में लीना चंदावरकर से विवाह किया। किशोर कुमार के दो बेटे -अमित कुमार और सुमित कुमार है।
Awards –किशोर कुमार को अपनी गायकी के लिए कई सारे अवॉर्ड्स से नवाज़ा गया है। उनकी गायकी इतनी मनमोहक होती है कि जो भी सुनता है वह मोहित होकर स्वयं गाने लगता है। उन्होंने कई सदाबहार सुपर हिट गाने गाये जो आज भी गुनगुनाये जाते हैं।
Filmfare Awards – किशोर कुमार को बेस्ट मेल सिंगर के लिए फिल्म फेयर अवॉर्ड में करीबन 19 बार मनोनीत किया गया और उन्हें 8 बार यह अवॉर्ड मिला अपनी बेहतरीन गायकी के लिए – 1970 में रूप तेरा मस्ताना (फिल्म – आराधना ) के लिए , 1976 में दिल ऐसा किसी ने मेरा (फिल्म -अमानुष ) के लिए , 1979 में खाके पान बनारस वाला (फिल्म -डॉन ), 1981 में हज़ार राहें मुड़कर देखें (फिल्म -थोड़ी सी बेवफाई), 1983 में पग घुंघरू बांध (फिल्म -नमक हलाल ), 1954 में अगर तुम ना होते (फिल्म – अगर तुम ना होते ), 1985 में मंज़िलें अपनी जगह हैं (फिल्म -शराबी), 1986 में सागर किनारे (फिल्म – सागर )के लिए मिला।
Bengal film Journalists Association Awards – यह अवॉर्ड किशोर कुमार को चार बार मिला वो भी अपनी कुशल गायकी के लिए -1975 में कोरा कागज़ फिल्म में बेस्ट सिंगर के लिए , 1973 में हरे रामा हरे कृष्णा के लिए , 1972 में अंदाज़ फिल्म के लिए और 1971 में आराधना फिल्म में अपनी सुरीली आवाज़ के लिए।
Films – “शिकारी (1946)”, “शहनाई (1947)”, “सती विजय (1948)”, “मुकद्दर (1950)”, “नया अंदाज़ (1956)”, “बेगुनाह (1957)”, “चलती का नाम गाड़ी (1958)”, “कभी अँधेरा अभी उजाला (1958)”, “चलती का नाम जिंदगी (1981)”, “ममता की छांव में (1989)”, “लव इन बॉम्बे (2013 )”, “दूर वादियों में कहीं (1982)”,”प्यार अजनबी है (1980)”, “एक बाप छह बेटे (1978)”, “बॉम्बे टू गोवा (1972)”, “पड़ोसन (1968)”,”हाफ टिकिट (1962)”, “बेवकूफ (1960)”, “करोड़पति (1961)”, “रागिनी (1958)”, “आशा (1957)”, “परिवार (1956)”, “आदमी (1957)”, “गंगा की लहरें (1964)”, “दाल में काला (1964)”, “दो दूनी चार (1968)”,