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Home Hindi

Meen (മീൻ ) – गलतफहमी में लिए गए गलत फैसलों के परिणाम

by Sonaley Jain
October 26, 2020
in Hindi, Malayalam, Movie Review, old Films, South India
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Meen (മീൻ ) –  गलतफहमी में लिए गए गलत फैसलों के परिणाम
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कभी कभी जीवन में किस्मत ऐसा खेल खेलती है कि उसके मोहरे बनकर हम पूरा जीवन चलते और अंत में हमारे साथ कुछ भी सही नहीं होता है, हम यह समझ ही नहीं पाते हैं कि ऐसा क्यों हुआ था, बस एक गलतफहमी  से सब कुछ नष्ट हो जाता है।

ऐसा ही कुछ एक फिल्म मीन മീൻ में दिखाया गया है यह एक सुपरहिट मलयालम फिल्म है जो 23 अगस्त 1980 को केरला सिनेमा में रिलीज़ हुयी। यह फिल्म 100 दिनों तक सिनेमा में चली और इस फिल्म का निर्देशन आई वी ससी ने किया था और यह फिल्म दुबारा तमिल भाषा में बनी कदल मेंगल के नाम से जो 1981 में रिलीज़ हुयी थी। 

Story –  कहानी शुरू होती है समुन्द्र के पास बसे एक छोटे से गांव की , जहाँ पर अक्सर सभी मछुआरे हैं और अपनी जीविका मछलियां बेचकर करते हैं। गांव का एक युवा मछुआरा कुरियाकोसे, जो अपनी नाव के जरिये समुन्द्र से मछलियां पकड़ता है और उन्हें बेचता है। एक दिन जब वह मछलियां पकड़कर घर जा रहा होता है तो उसकी प्रेमिका वहां आकर उसको परेशां करती है।

कुरियाकोसे के घर के पास एक लड़की देवती रहती है और कुरियाकोसे उसी के घर पर हमेशा खाना खाता है।  मन ही मन देवती कुरियाकोसे को पसंद करती है मगर यह बात उससे कभी नहीं कहती। कुरियाकोसे अधिक कमाई करके एक बोट खरीद लेता है जिससे वह समुन्द्र के अंदर ज्यादा दूर तक जा सके और उसका व्यापर और ज्यादा हो सके।

एक दिन कुरियाकोसे रात में घूमने निकलता है तो वह अपनी प्रेमिका को किसी और व्यक्ति के साथ देखता है तो गलत समझकर उसको छोड़कर चला जाता है बिना उसकी कुछ भी सुने। प्रेम में धोखा खाया कुरियाकोसे अपने दोस्त के साथ मिलकर उस दिन बहुत शराब पीता है। घर आकर देवती उसे खाना खिलाती है, होश में ना होते हुए कुरियाकोसे देवती के बहुत करीब आ जाता है।

सुबह जब उसको रात की बात पता चलती है तो पछतावे में वह अपने मित्र के साथ वह गांव छोड़ देता है और  में जाकर बस जाता है। देवती उसका इंतज़ार ही करती रहती है मगर वह नहीं आता, वह पता करती है कि कुरियाकोसे किसी दूसरे शहर में जाकर बस गया है तो वह उससे मिलने जाती है मगर वहां कुरियाकोसे की शादी हो रही होती है किसी और लड़की से। यह देखकर देवती वापस गांव आ जाती है और उसको पता चलता है कि वह गर्भवती है।

दूसरी तरफ कुरियाकोसे एक व्यापर शुरू कर चुका होता है लेज़र फिशर्स के नाम से , दिन प्रतिदिन वह तरक्की कर रहा होता है और वहीँ देवती ने एक प्यारे से बच्चे को जन्म दिया जिसका नाम उसने राजन रखा, मगर कभी भी उसने राजन को उसके पिता के बारे में नहीं बताया, जब भी वह पुछता तो देवती बात को टाल देती थी।

 कुरियाकोसे की भी एक बेटी होती है, धीरे धीरे बच्चे बड़े होते हैं और कुरियाकोसे की बेटी शैली को एक लड़के से प्रेम होता है और दूसरी तरफ राजन मछलियां पकड़ने का काम करता है। एक दिन अपनी माँ से हुए झगड़े में राजन को अपने पिता के बारे में पता चलता है कि वह सबसे अमीर आदमी कुरियाकोसे है और उस दिन वह प्रण लेता है कि वह अपने पिता को बर्बाद कर देगा।

फिर शुरू होता है राजन की नफरत का सफर अपने पिता के लिए।एक दिन कुरियाकोसे अपनी बेटी शैली और उसके प्रेमी को पार्क में लेते हैं और उससे कहते हैं कि इसी समय अपने घर ले चलो तुम दोनों के विवाह की बात माता पिता से करनी है। घर आकर कुरियाकोसे को पता चलता है कि यह कुरियाकोसे की पूर्व प्रेमिका का बेटा है और गुस्से में वह इस विवाह के लिए मना कर देता है।

 अपने बेटे और शैली की खुशियों के लिए एक माँ कुरियाकोसे से मिलती है और उसको उस रात का सच बताती है कि वह  उस दिन कुरियाकोसे का इंतज़ार कर रही थी उतने में ही एक आदमी ने आकर उसके साथ जबरदस्ती की , जैसे ही वह भागने की कोशिश करती है तो कुरियाकोसे ने उसे उस अवस्था में देख लिया और छोड़ कर चला गया और वह कुरियाकोसे पर आरोप लगाती है उस विश्वास ना करने का।

कुरियाकोसे को यह जानकर बहुत दुःख होता है और दूसरी तरफ राजन उसका हर मोड़ पर नुकसान किये जा रहा था और सब कुछ बरबाद हो जाने पर वह राजन से पूछता है कि उसने किस बात का बदला लिया है। राजन अपनी माँ को बुलाता है कुरियाकोसे देवती को देखकर हैरान हो जाता है और फिर राजन उसको अपनी सच्चाई बताता है कि वह उसका ही बेटा है जिसे वह छोड़कर चला गया था। कुरियाकोसे अपने किये पर पछताता  देवती से माफ़ी मांगता है कि उसकी वजह से देवती का बरबाद हो गया। वह माफ़ कर देती है और वापस अपने गांव लौट आती है अपने बेटे के साथ।

Songs & Cast –  इस फिल्म में जी देवराजन ने संगीत दिया है और इस फिल्म में उन्होंने सिरद 2 ही खूबसूरत गाने रखे और इन दोनों को लिखा है युसुफ़ली केचरी ने  “संगीथमे निन पुंछिराकिल സംഗീത നിൻ പൂഞ്ചിരകിൽ”, “उल्लासा पपोथीरिकल  ഉള്ളാസപ്പൂതിരിക്കൽ” और इन दोनों ही गानो को गया है के एल येसुदास ने।

इस फिल्म में मधु ने कुरियाकोसे का किरदार निभाया है और उनका साथ दिया है श्रीविद्या ( देवती), जयन (राजन), सीमा (शर्ली ), अदूर भासी (वेंकेट स्वामी),  शंकरदी (मोपारण),  शुभा (सारा ),अंबिका (रोजलीन),कुंदारा जॉनी (सनी),मीना (मरयम) ने।

इस फिल्म की अवधि  2 घंटे और 25 मिनट्स हैऔर इसका निर्माण एन जी जॉन ने किया था। 

Tags: best filmBest South Indian movieClassic Movie
Sonaley Jain

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