Movie nurture:Mooga Manasulu

Mooga Manasulu (మూగా మనసులు) : पुनर्जन्म पर आधारित तेलुगु फिल्म

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Mooga Manasulu మూగా మనసులు  पुनर्जन्म पर आधारित तेलुगु फिल्म जो 31 जनवरी 1964 को दक्षिण सिनेमा घरों में रिलीज़ हुयी। मोगा मानसुलु का इंगलिश में अर्थ म्यूट हार्ट्स से होता है। अदूरथी सुब्बा राव ने इस फिल्म को लिखा भी है और इसका निर्देशन भी किया है।

यह फिल्म हिंदी में मिलन (1967) नाम से रिलीज़ हुयी ,जबकि इसे तमिल में प्रॉपथम (1971) नाम से बनाया गया। इस फिल्म को तेलुगु में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 1964 में फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी मिला और बाद में इसको करोल्वी वैरी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया।

movie nurture:Mooga Manasulu

Story Line –

पुनर्जन्म पर आधारित एक तेलुगु कहानी शुरू होती है एक युवा गोपी और राधा की शादी से। दोनों विवाह करके घूमने के लिए जाते हैं। जहाँ वह जाते हैं, वहां एक दिन राधा की जिद पर दोनों गोदावरी नदी पर एक नाव में यात्रा करते हैं। कुछ दूर जाने पर गोपी नाविक को नाव रोकने को कहता है क्योकि कुछ दूर पर ही एक बहुत बड़ा भंवर होता है। राधा को आश्चार्य होता है गोपी के पूर्वानुमान का, क्योकि गोपी कभी भी वहां नहीं आया इससे पहले।

नाव रूकती है और गोपी और राधा दोनों नदी के किनारे बनी हुयी एक पुरानी हवेली को देखते हैं। गोपी को वह बहुत ही जनि पहचानी सी लगती है और वह राधा को कहता है किमुझे ऐसा लगता है कि में पहले भी इस जगह पर आ चुका हूँ और इससे मेरा बहुत ही गहरा नाता है। पूछने पर नाविक बताहै कि यह एक जमींदार की हवेली थी। और फिर वह दो समाधियों की तरफ इशारा करता है।

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गोपी और राधा समाधियों को देखते हैं तभी एक बुजुर्ग महिला गोरी वहां आ जाती है। और समाधियों के सामने दीपक जलाती है तभी गोरी गोपी को पहचान लेती है। और वह दोनों को पिछले जन्म की कहानी सुनाने लगती है। गोपी एक अनाथ युवा गोदावरी नदी के पास रहता है और नाविक बनकर यात्रियों को अपनी नाव के द्वारा यात्रा करवाता है । और राधा गावं के जमींदार की बेटी है और रोज़ कॉलेज जाने के लिए गोपी की नाव से यात्रा करती है।

गोरी एक चरवाहे की लड़की है और गोपी से बेहद प्यार करती है। मगर गोपी और राधा एक दूसरे को पसंद करते हैं। यह बात गोरी को पसंद नहीं आती और दूसरी तरफ राधा के मामा राजेंद्र की बुरी नज़र गोरी पर होती है। वह हमेशा गोरी को परेशां करते रहते है और गोपी हमेशा उसको बचाता है।

राजेंद्र अपनी स्वार्थी योजनाओं के चलते राधा का विवाह रामाराजू से कर देते हैं। मगर कुछ दिनों के बाद रामाराजू की मृत्यु हो जाती है। और विधवा राधा वापस अपने गावं आ जाती है। गोपी को जब यह पता चलता है तो वह राधा के लिए बहुत दुखी होता है। और कोशिश करता है कि राधा अपने इस दुःख से बाहर आ सके।

movie nurture :Mooga Manasulu

दोनों का मिलना और घूमना गोरी को अच्छा नहीं लगता और वह इस सहानुभूति को गलत समझ लेती है। और गावं में सभी को उनके अवैध सम्बन्ध के बारे में बताती है। इस बात से दुखी गोपी गावं छोड़ देता है। और राधा उसको ढूंढने के लिए उसके पीछे जाती है। मगर राजेंद्र उन दोनों को मारने के उद्देश्य से उनका पीछा करता है। गोरी को जब पता चलता है राजेंद्र के उद्देश्यों का तो वह गोपी और राधा कि जान बचा लेती है। मगर तकदीर को तो कुछ और ही मंज़ूर होता है। दोनों भंवर में फस कर मर जाते हैं।

और तब से अपने पश्च्याताप में लीन गोरी हर दिन उनकी समाधियों के आगे दीपक जलाती है। यह कहानी सुनाते – सुनाते और दोनों से माफ़ी मांगते हुए गोरी गोपी की बाँहों में अपने प्राण त्याग देती है। गोपी और राधा दोनों समाधियों के पास ही गोरी की भी समाधी बना देते हैं।

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Songs & Cast –

सुपरहिट तेलुगु फिल्म में के वी महादेवन ने संगीत दिया है , और इसके कुछ सुपरहिट गाने – “ईनाती ई बन्धमनेतिदो ఈనాటి ఇ బంధమేనాటిడో” , “गोदरी गट्टुंडी గోదారి గట్టుండి”, “मुदाबंथी पुव्वुलो मोगाकल्ला ओसुलु ముద్దాబంతి పువ్వులో మూగకల్లా ఓసులు”, “गौराममा नी मोगुदेवारम्मा గోవరమ్మ నీ మొగుదేవరమ్మ”, “ना पाता नी नोटा पालकला चिलका నా పాతా నీ నోటా పాలకాల చిలకా”, “पाडुथा तेयागा चैलगा పాదుత తీయగా చల్లగా”, “मुक्कू मीदा कोपम ముక్కు మీడా కోపం”, “मानु मकुनु गानु మను మాకును గాను” और इन गानों को गया है घंटशाला , जमुना , पी सुशीला ने। 

इस तेलुगु फिल्म में अक्किनेनी नागेश्वर राव और सावित्री ने गोपी और राधा का किरदार निभाया और गोरी के रूप में जमुना नज़र आयीं। राजेंद्र को नागभूषणम और रामाराजू को पद्मनाभम ने निभाया।

Review – 

यह पुनर्जन्म पर आधारित फिल्म 1964 को सिनेमा घरों में रिलीज़ हुयी , और आते ही यह एक ब्लॉकबस्टर फिल्म बन गयी। इसको दक्षिण भारत में बेहद पसंद किया और गोपी और राधा की जोड़ी इसी के साथ बहुत प्रसिद्ध हुयी। फिल्म में अक्किनेनी नागेश्वर राव और सावित्री ने अपनी अदाकरी से क्रिटिक्स का भी मन मोह लिया था। अदूरथी सुब्बा राव ने बहुत ही बारीकी से इसका निर्देशन किया। और इसका संगीत भी पूरी फिल्म को एक नयी दिशा देता हुआ नज़र आता है। 

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