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Home Hindi

Pelli Chesi Choodu (పెల్లి చెసి చుడు ) – दहेज़ प्रथा जैसी कुरीति से बर्बाद होता जीवन

Sonaley Jain by Sonaley Jain
October 19, 2020
in Hindi, Movie Review, old Films, South India, Telugu
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Pelli Chesi Choodu  (పెల్లి చెసి చుడు ) – दहेज़ प्रथा जैसी कुरीति से बर्बाद होता जीवन
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यह फिल्म 29 फरवरी 1952 को तेलुगु सिनेमा में रिलीज़ हुयी थी और उसी समय  यह फिल्म तमिल में भी बनी थी  Kalyanam Panni Paar नाम से। इस फिल्म का निर्देशन एल वी प्रसाद ने किया था। इस फिल्म का इंग्लिश में अर्थ “Try to conduct a marriage” है।
 
Pelli Chesi Choodu फिल्म की कहानी हिंदुस्तान में हो रही दहेज़ प्रथा और उस के बुरे प्रभाव के बारे में बताती है कि किस तरह इस प्रथा ने कई लड़कियों का जीवन बर्बाद किया है। दहेज़ प्रथा जैसी कुरीति का ख़त्म होना बहुत जरुरी है देश की प्रगति के लिए।
Story –  कहानी शुरू होती है एक गांव से जहाँ एक महिला रथम्मा  अपने दो बेटों राजा और कुंडू और एक बेटी अम्माडु के साथ रहती है। राजा एक विधालय में शिक्षक है और अभिनय का शौक होने की वजह से वह विधालय के बाद  गांव के एक थियेटर में अभिनय करता है। उसका छोटा भाई कुंडू अपने दोस्तों के साथ दिनभर मस्ती करता रहता है।
 
राजा के मामा गोविंदय्या यह चाहते हैं कि राजा का विवाह उनकी बेटी चिट्टी से हो जाये , मगर राजा यह विवाह करने से मना कर देता है। वहीँ दूसरी तरफ चिट्टी को भी यह विवाह मंज़ूर नहीं होता है क्योंकि वह भीमुडु नामक एक व्यक्ति से प्रेम करती है और उसी से ही विवाह करना चाहती है। गोविंदय्या  राजा के परिवार को प्रलोभन भी देता है कि अगर राजा चिट्टी से विवाह करता है तो वह अम्माडु का विवाह भी उसी मंडप में एक बहुत अच्छे लड़के से करवाएगा, मगर सभी इस प्रस्ताव को ठुकरा देते हैं।
 
उसी समय राजा और कुंडू प्रण लेते हैं कि वह अपनी बहन का विवाह एक बहुत अच्छे लड़के से करवाएंगे वो भी जल्दी। और दोनों भाई लड़का ढूंढने के लिए निकल पड़ते हैं। एक दूसरे गांव में राजा और उसका भाई एक जमींदार और पंचायत के अध्यक्ष धूपति वियान से मिलते हैं। धूपति बहुत ही नम्र स्वाभाव और अतिथि देवो भव को मानने वाले व्यक्ति हैं।  वह राजा और कुंडू दोनों का बहुत अच्छे से स्वागत करते हैं। 
कुछ समय पश्चात् राजा को धूपति की बेटी सावित्री से प्रेम हो जाता है और वह दोनों विवाह करने की ख्वाइश धूपति  रखते हैं और वह मान जाता है, दोनों का विवाह संपन्न हो जाता है। इसके बाद धूपति राजा की बहन अम्माडु के लिए मद्रास में रहने वाला एक वकील लड़का वेंकटा रमन को ढूंढते हैं और  सभी को लड़का बहुत पसंद आता है और दोनों का विवाह तय हो जाता है।
वेंकटा रमन के पिता धूपति से बहुत ज्यादा दहेज़ की मांग करते हैं जिसे धूपति सह सम्मान मान लेता है। विवाह वाले दिन राजा के मामा गोविंदय्या द्वारा भड़काए जाने पर वेंकटा के पिता विवाह से पहले ही पूरे दहेज़ की मांग करते हैं, दहेज़ ना मिलने पर वह अपने बेटे वेंकटा को ले जाते हैं, बिना उसकी दुल्हन के। दहेज़ की रकम के लिए परिवार के सभी लोग अपना योगदान करते हैं और वह रकम लेकर राजा वेंकटा के घर जाता है, जहाँ उसको बेज़्ज़ती का सामना करना पड़ता है। वेंकटा उसी दिन मद्रास वापस जा रहा होता है तो वह राजा को रेलवे स्टेशन मिलने को बोलता है। राजा रेलवे स्टेशन पर इंतज़ार करता है।
 
वेंकटा राजा के साथ उसके घर आ जाता है, एक दिन रूककर वह अपनी पत्नी अम्माडु को साथ लेकर मद्रास चला जाता है। दोनों वहां ख़ुशी ख़ुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहे होते हैं कि अचानक एक दिन वेंकटा की तबियत ख़राब हो जाती है। डॉक्टर को दिखने पर पता चलता है कि वेंकटा को मानसिक बीमारी हो गयी है।
 
अम्माडु उसकी देखभाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ती है।  पिता को जैसे ही पता चलता है वह बेटे से मिलने मद्रास पहुँच जाते हैं। अम्माडु को जब पिता के आने की खबर मिलती है तो वह अपने भाई राजा को भी बुला लेती है और दोनों पिता के सामने डॉक्टर और नर्स बनकर रहते हैं।
 
कुछ समय बाद वेंकटा ठीक हो जाता है और उधर अम्माडु एक बेटे जन्म देती है।  दूसरी तरफ गांव में राजा के मामा गोविंदय्या अम्माडु को बदनाम करने की कोशिश करते हैं मगर विफल हो जाते हैं फिर वह वेंकटा के पिता के सामने अपनी बेटी का विवाह वेंकटा से करने की बात रखते हैं। जिसके पहले वेंकटा के पिता मानते  तब तक धूपति अपने घर में चिट्टी और भीमुडु  का विवाह करवा देते हैं।
 
गोविंदैया और उनकी पत्नी चुक्कलम्मा विवाह को स्वीकार करने से इनकार कर देते हैं। वेंकटा  के पिता उससे चिट्टी से विवाह करने की बात  मगर वेंकटा अस्वीकार करके अपनी पत्नी और बेटे का साथ चुनता है और उसको दहेज़ नहीं चाहिए।   
Songs & Cast – इस फिल्म के संगीतकार घंतसाला ने 17 गानें दिए हैं  – “पोवम्मा बाली कावम्मा పోవమ్మ బలి కవమ్మ”, “पेल्ली च्सुकोनी పెల్లి చెసుకోని”, “येवरो येवेरो  యెవారో యెవారో”, “येकदादोई प्रिया యక్కాడోయి ప్రియా”, “येवदोस्तदो चोस्तगा యెవాడోస్తాడో చోస్తగా “, “ब्रह्माय औ ब्रह्माय బ్రహ్మయ్య ఓ బ్రహ్మయ్య “, “यचती नंडी యెచతి నుండి “, “मनसा नेनेवारो नेकु थेलुसा మనసా నేనెవారో నీకు థెలుసా”, “पेल्ली च्सुकोनी పెల్లి చెసుకోని” और गानों को आवाज़ दी है वी जे वर्मा, घंटासला, पी लीला, वी रामकृष्ण, सकुंतला, ए पी कोमला, के रानी और  टी एम सरोजिनी ने।
एन टी रामाराव ने बड़ी ही संजीदगी से वेंकटा रमन का किरदार निभाया है और फिल्म में अन्य कलाकार जैसे जी वरलक्ष्मी (अम्माडु), सावित्री ( सावित्री ), यंदमुरी जोगा राव (राजा ),  एस वी रंगा राव (धूपति वियान), टी एन मीनाक्षी (रथम्मा ),डोरस्वामी (गोविंदय्या ), महानकली वेंकैया (भीमडू), पुष्पलता (चिट्टी)
इस फिल्म की अवधि 3 घंटे और 13 मिनट्स (193 मिनट्स ) है और इसके निर्माता बी नागी रेड्डी और अलूरी चक्रपाणि हैं जिन्होंने विजया वाहिनी स्टूडियो कंपनी के तहत इस फिल्म को बनाया था। 
Tags: best filmBest South Indian movieold best Film
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