Movie Review: Sairandhari

Sairandhri سائرندھری : भारतीय सिनेमा की पहली रंगीन फिल्म

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सैरंधरी سائرندھری भारतीय सिनेमा की पहली रंगीन फिल्म थी, जो सिनेमा घरों में 1 जनवरी 1933 को रिलीज़ की गयी थी। पहली बार रंगों के साथ फिल्म देखना भारतीय जनता के लिए एक अलग ही अनुभव था।

निर्देशक वी. शांताराम की यह फिल्म महाभारत के एक अध्याय पर आधारित है। यह फिल्म हिंदी और मराठी दोनों भाषाओँ में एक ही नाम से बनायीं गयी थी। प्रभात फिल्म कंपनी द्वारा निर्मित यह फिल्म, 21 “सबसे वांछित लापता भारतीय खजाने के रूप में राखी गयी। इस फिल्म को नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया के संस्थापक पी के नायर द्वारा यह ख़िताब दिया गया।

यह फिल्म महाभारत की एक घटना के इर्द-गिर्द घूमती है जो कि द्रौपदी की कहानी पर आधारित है।

Movie Nurture: Sairandhari

Story Line

फिल्म की कहानी शुरू होती है महाभारत के एक छोटी सी घटना से , पांडवों के 12 वर्षों के वनवास के बाद और 1 वर्ष के अज्ञातवास के समय जब सभी पांडव अपनी पहचान छुपाने के लिए एक महल में नौकरों की तरह रहने लगते हैं।

वचन के अनुसार पांडवों को एक वर्ष तक के लिए अपने अस्तित्व को दुनिया के सामने नहीं लाना था। जिसके लिए द्रौपदी सैरंधरी बनकर रानी सुदेशना की सेवा करती है और बाकि के पांडव भी अलग -अलग विभाग में काम करने लगते हैं।

सभी पांडव यमुना नदी के पश्चिम में स्थित मत्स्य प्रान्त के राजा विराट के महल में काम कर रहे हैं। राजा विराट की पत्नी महारानी सुदेशना का भाई किचक एक अभिमानी व्यक्ति था। वह खुद को इतना पराक्रमी और बुद्धिमानी मानता था और हमेशा यह जताने की कोशिश में लगा रहता था कि राजा विराट उसी की वजह से राजा बने हैं और शासन कर रहे हैं।

Movie NUrture: Sairandhari

एक दिन किचक अपनी बहन रानी सुदेशना से मिलने के लिए उसके महल जाता है और वहां पर वह सैरंधरी बनी द्रौपदी को देखता है, और देखते ही वह उस पर मोहित हो जाता है। मोहित होकर किचक अपनी बहन को आदेश देता है कि वह सैरंधरी को काम करने के लिए उसके महल में भेज दे।

यह बात सुनकर सुदेशना को अपने भाई के इरादों के बारे में पता चल जाता है। मगर भाई के प्रेम में मोहित बहन सुदेशना सैरंधरी को किचक के महल में भेज देती है। सैरंधरी बिना उसके इरादों को जाने महल में पहुँच जाती है। भीम , जो महल में एक रसोइये के रूप में काम कर रहा था, वह द्रौपदी को किचक के महल में जाते हुए देख लेता है। किचक के व्यव्हार को जानते हुए वह भी द्रौपदी के पीछे – पीछे महल जाता है।

द्रौपदी वहां पहुंचकर किचक के इरादों से खुद को बचाने के जैसे ही कोशिश करती है वहां पर भीम आ जाता है और द्रौपदी के साथ होता हुआ ऐसा व्यव्हार देखकर वह क्रोधित हो जाता है और किचक की हत्या कर देता है।

Movie NUrture: Sairandhari

Songs & Cast

फिल्म का संगीत गोविंदराव तेम्बे ने दिया है और इस पहली रंगीन फिल्म को उन्होंने 9 गीतों से सजाया है, “आई बाल निर्बलों के दिन के धन आई”, “गुलामी के गम को कौन क्या जनता हैं”, “कुसुम कुमकुम अमित वर्षा”, “मन हरात रंग फूलन के”, “रुचिर रची माला हूरों की सखी”,”शरण गुण शर्म से हो”, “निस्दिन सोच राहत मान मोर”, “कोई दूजो नहीं हरि बिन”, “अब ना बुलाओ जमुना के तीर पर” और इन गानों को लीला, प्रभावती ने गाया है।

फिल्म में सभी कलाकारों ने बहुत ही बेहतरीन अभिनय किया है राजा विराट के रूप में मास्टर विनायक, सैरंधरी का किरदार अभिनेत्री लीला ने निभाया है। बाकि कलाकारों में अयाल, शकुंतला, प्रभावती और निंबालकर।

 

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