MovieNurture: Tabu: A Story of the South Seas

Tabu: A Story of the South Seas : एफ.डब्ल्यू. मर्नौ की आखिरी साइलेंट फिल्म

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टेबु : ए स्टोरी ऑफ़ द साउथ सीज़, निर्देशन एफ.डब्ल्यू. मर्नौ की साइलेंट आखिरी फिल्म, जो अमेरिकन सिनेमा में 18 मार्च 1931 को रिलीज़ हुयी थी। इस साइलेंट फिल्म को निर्देशक ने दो भागों में विभाजित किया , पहला, जिसे “स्वर्ग” कहा जाता है, जिसमे दक्षिणी समुद्र के एक द्वीप पर जेववन बिता रहे दो प्रेमियों की कहानी है और वहीँ दूसरी तरफ “पैराडाइज लॉस्ट”, एक दूसरे द्वीप पर पश्चिमी सभ्यता के अनुकूल सो प्रेमियों के जीवन को दर्शाता है।

इस साइलेंट फिल्म की कहानी रॉबर्ट जे. फ्लेहर्टी और एफ. डब्ल्यू. मर्नौ दोनों ने लिखी।

Movie Nurture: Tabu: A Story of the South Seas

Story Line

फिल्म की कहानी शुरू होती है एक वृद्ध दूत हितु से , जो कि एक महत्वपूर्ण मिशन के लिए दक्षिणी प्रशांत महासागर में बेस एक छोटे से बोरा बोरा नामक द्वीप पर जाता है। वहां पर जाकर हितु द्वीप के प्रमुख से मिलता है और फनुमा के प्रमुख का सन्देश देता है कि वह यहाँ पर रेरी मानक युवती को लेने आया है।

क्योंकि कुछ समय पहले देवताओं के यहाँ पर एक युवती की किसी कारण वश मृत्यु हो गयी थी। और अब वह उसकी जगह रेरी को चाहते हैं क्योंकि रेरी के शाही खून और गुणों की वजह से उसको चुना गया है।

जब यह बात रेरी और उसके प्रेमी मताही को पता चलती है तो वह दोनों बहुत दुखी हो जाते हैं। रेरी और मताही एक दूसरे के विरह की बात से ही इतना घबरा जाते हैं कि दोनों एक रात मौका पाकर उस द्वीप से भाग जाते हैं।

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बहुत दूर आने के बाद आखिरकार, वह दोनों एक द्वीप पर पनाह लेते हैं, वह द्वीप फ्रांसीसियों का होता है और वह एक अलग ही दुनिया में प्रवेश करते हैं। जहाँ पर सब कुछ अलग होता है। कुछ ही समय में मताही समुदाय का सबसे सफल मोती गोताखोर बन जाता है। रेरी और मताही एक साथ अपने नए जीवन से खुश होते हैं।

स्थानीय पुलिसकर्मी को फ्रांसीसी सरकार से रेरी और मताही की वापसी के लिए एक इनाम की घोषणा करने का नोटिस मिलता है। लेकिन जब मताही को यह पता चलता है तो वह रिश्वत देकर दोनों को बचा लेता है। हितु उन दोनों को ढूंढते हुए उस द्वीप पर आ जाता है। और एक दिन वह रेरी को अकेला पाकर उससे मिलता है और तीन दिनों का समय देता है उसके साथ चलने के लिए।

हितु रेरी को यह भी बताता है कि अगर इस बार उन्होंने भागने की कोशिश की और उसके साथ नहीं चली तो वह मताही को मौत के घाट उतार देगा। इस बात से रेरी बहुत घबरा जाती है मगर वह यह बात मताही को नहीं बताती और एक बार फिर से भागने का फैसला लेती है।

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उस रात जब हितु भले के साथ रेरी को लेने आता है तो पहले वह सोने का नाटक करती है मगर हितु की चेतावनी और मताही के जीवन के लिए वह वापस बोरा बोरा जाने के लिए तैयार हो जाती है, मगर मताही को बिना बताये।

सुबह उठकर मताही अधिक धन कमाने के लिए समुद्र में ऐसी जगह जाने का फैसला करता है जहाँ पर शार्क होती है और उसके जीवन के लिए बहुत अधिक खतरा भी है , मगर वह सोई हुयी रेरी को छोड़कर वह जाता है। फिर रेरी विदाई पत्र लिखकर हितु के साथ चली जाती है।

मताही समुद्र से एक मोती प्राप्त करने में सफल होता है और जब वह वापस हर लौटता है तो उसको रेरी का खत मिलता है और बिना कुछ सोचे वह हितु की नाव को ढूंढकर तैरते हुए उसका पीछा करता है। वह सो रही रेरी से अनभिज्ञ, नाव की रस्सी को पकड़ने की कोशिश करता है, लेकिन हितु उसे काट देता है। निडर, मताही उनके पीछे तब तक तैरता रहता है जब तक कि वह अंततः थक कर डूब नहीं जाता।

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Songs & Cast

निर्देशक एफ.डब्ल्यू. मर्नौ की इस खूबसूरत आखिरी साइलेंट फिल्म में कोई गीत नहीं था मगर इसका सुरीला संगीत ह्यूगो रिसेनफेल्ड ने दिया था।

84 मिनट्स की इस फिल्म में पूरी कहानी मताही और रेरी के इर्द गिर्द ही घूमती रहती है। रेरी का ऐतिहासिक किरदार ऐनी शेवेलियर ने निभाया था। बिल बैम्ब्रिज, मताही, और एफ. डब्ल्यू. मुर्नौ ने निर्देशन के साथ साथ फिल्म में अभिनय भी किया था।

 

 

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