जापानी सिनेमा के इस दौर में, जहाँ एनीमे की चटकीली दुनिया और जीवंत पात्रों का बोलबाला है, वहीं एक वक्त वह भी था जब पर्दे […]
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तोशीरो मिफ्यून: जापानी सिनेमा का ज्वालामुखी जिसने दुनिया को झकझोरा
वो दृश्य याद कीजिए। बारिश में भीगता हुआ एक आदमी। चेहरे पर बेचैनी, आँखों में एक जंगली चमक, जैसे कोई पिंजरे में कैद शेर हो। […]
क्रांति की चिंगारी, बर्फ़ की चादर: ‘ट्रैक्स इन द स्नोवी फॉरेस्ट’ (1960) की वह दमदार दास्तान
“Tracks in the Snowy Forest” (चीनी: 林海雪原, पिनयिन: Lín Hǎi Xuě Yuán), 1960 में रिलीज़ हुई एक क्लासिक चीनी फ़िल्म है, जो चीनी क्रांतिकारी सिनेमा […]
1950 का दशक: वो समय जब बॉलीवुड की हर फ़्रेम ने रचा इतिहास!
साल 1952 की बात है, सिनेमाघरों में पहली बार रंगीन रोशनी दिखी । दर्शकों ने देखा मीना कुमारी सफ़ेद घोड़े पर सवार होकर “आन” की […]
बिना आवाज़ के जादू: कैसे संगीत ने साइलेंट फिल्मों की आत्मा बचाई रखी?
सोचिए वो ज़माना… जब फिल्मों में न तो हीरो की आवाज़ गूँजती थी, न हीरोइन के डायलॉग सुनाई देते थे, न विलेन की खलनायकी भरी […]
हिदेको ताकामाइन: 1950 के दशक की जापानी सिनेमा की अमर अदाकारा
गर्मी की एक सुबह, टोक्यो की सड़कों पर चलते हुए, एक युवती ने स्टूडियो के गेट पर खड़े होकर सपने देखे होंगे। उसकी आँखों में […]
1940 का दशक: बॉलीवुड सिनेमा की वह उथल-पुथल जिसने रचा इतिहास
साल 1942 की एक गर्म रात, बम्बई के मोहन स्टूडियो के सेट पर बल्बों की रोशनी में एक कैमरामैन पसीना पोंछते हुए बुदबुदाया, “फिल्म स्टॉक […]
“‘कन्ना टल्ली’ (1953) : हिंदी सिनेमा में तेलुगु क्लासिक की टाइमलेस अपील”
कन्ना टल्ली 1953 में रिलीज़ हुई एक तेलुगु फ़िल्म है। यह फ़िल्म अपनी भावनात्मक कहानी, दमदार अभिनय और पारिवारिक मूल्यों के बारे में मज़बूत संदेश […]
पुरानी फ़िल्में सभी की पसंदीदा क्यों होती हैं ?
पुरानी फ़िल्में, जिन्हें अक्सर “क्लासिक” कहा जाता है, हमारे दिलों में एक ख़ास जगह रखती हैं। भले ही वे कई साल पहले बनी हों, लेकिन […]
The Family Game: परिवार की खुशियाँ सिर्फ दिखावा
“द फैमिली गेम” 1983 में योशिमित्सु मोरीता द्वारा निर्देशित एक जापानी फिल्म है। यह फिल्म एक डार्क कॉमेडी है जो हमें जापान में एक मध्यम […]