बॉलीवुड की कुछ ऐसी 10 फिल्मे जो हमारे जीवन जीने की सोच को बदलती तो है साथ ही साथ हमारी सोच के दायरे को बढ़ाने के लिए एक नया प्लेटफार्म भी देती हैं। यह 10 फिल्मे आपने जरूर देखि होंगी मगर इन फिल्मों को कभी भी आपने जीवन से जोड़ने की कोशिश नहीं की होगी। फिल्मे मनोरंजन करने के साथ साथ हमें हमेशा एक मेसेज भी देती हैं। अब वह मेसेज या तो जीवन से जुड़ा हुआ होता है या फिर एक ऐसी दशा या परिस्थिति को दर्शाता है , जहाँ तक हमारी सोच भी नहीं पहुँच पाती है।
सभी के द्वारा देखी गयी उन 10 फिल्मों को आज फिर से जीवन के साथ जोड़कर देखते हैं और यह भी जानते हैं कि यह किस तरह से हमारे जीवन को या जीने कि सोच को बदलने के लिए प्रेरित कर सकती है।
3idiots
2009 में आमिर खान की ब्लॉकबस्टर फिल्म , जिसमें आमिर खान के साथ माधवन और शरमन जोशी ने अभिनय किया है। यह फिल्म ३ दोस्तों कि अपनी – अपनी परेशानियां और उनकी दोस्ती पर बेस्ड है। आज दुनिया बिना सोचे समझे बस एक दूसरे की होड़ में दौड़ी चली जा रही है। 90 % लोगों को तो यह भी नहीं पता कि उनको क्या चाहिए। बचपन से ही हमारी तुलना क्लास के टॉपर से की जाती है कि हम वैसे क्यों नहीं हैं। जब पढ़ाई ख़त्म होती है तो नौकरी के लिए हमारी तुलना रिश्तेदारों और दोस्तों के बच्चों के साथ होती है।
और इतना होने के बाद बस हम भागे चले जा रहे हैं, मगर पता नहीं क्यों। हम खुद से क्या चाहते हैं यह सवाल ना तो किसी ने हमने पूछा और ना ही हमने कभी खुद से। इस फिल्म में आमिर खान ने हमेशा एक बात बोली है कि बच्चा काबिल बनो काबिल …………कामयाबी तो झक मारकर तुम्हारे पीछे आएगी। यह बात हम सभी पर लागू होती है। अगर यह बात हम अपने जीवन में लागू करे तो यकीं मानिये आप जितना भी पाएंगे संतुष्ट रहेंगे ।
Tare zameen par
एक बहुत ही खूबसूरत फिल्म, 8 साल के छोटे से बच्चे की डिस्लेक्सिया बीमारी के चलते उसकी कल्पनाओं की कहानी। आमिर खान और दर्शील सफारी की तारे जमीन पर फिल्म २००७ में एक नए सब्जेक्ट को लेकर हमारे पास आयी। इस फिल्म से पहले बहुत से ऐसे परिवार , स्कूल थे जो अपने बच्चों की परेशानियों की अनदेखा कर देते थे और यह सोचते थे कि वह जानकर यह सब कुछ कर रहा है क्योकि वह यह नहीं करना चाहता।
मगर ऐसा नहीं है। इस फिल्म में भी यह दिखाया है कि किस तरह ईशान का परिवार और स्कूल उसकी इस बीमारी को अनदेखा करता है और उस मुस्कुराते बच्चे को ना समझते हुए उसको एक ऐसी अवस्था में ले जाते हैं जहाँ से आना मुश्किल होता है। मगर जब उसके एक टीचर को इस बीमारी के बारे में पता चलता है तो वह धीरे – धीरे उसकी इस बीमारी का इलाज करता है।
Zindagi na milegi dobara
जिंदगी ना मिलेगी दुबारा 2011 में रिलीज़ हुयी एक बहुत ही मज़ेदार और रोमांचक फिल्म , जिसमे ऋतिक रोशन, फरहान खान और अभय देओल की दोस्ती और उनके बिजी जीवन से निकले गए ऐसे पलों की दास्ताँ है जो हम सब आपने काम से छुट्टी पाकर जीना चाहते हैं। तीन दोस्त बहुत सालों बाद एक एडवेंचर रोड ट्रिप पर जाते हैं, जहाँ वह रास्ते में आने वाले हर शहर के कल्चर को जीते हैं और एन्जॉय करते हैं।
इस ट्रिप से वह आपने द्वारा की गयी हर छोटी से छोटी गलतियों से सीखते हैं। और बड़ी से बड़ी कामियाबी को अपनों के साथ एन्जॉय करने का तरीका भी सीखते हैं। ऐसे ट्रिप्स सभी को कुछ – कुछ साल के गैप में जरूर करने चाहिए , इससे हम कई चीज़ों की अहमियत को समझते हैं और कई गलितयों से बहुत कुछ सीखते हैं। Queen
यह फिल्म 2013 में आयी थी। और इसमें कंगना रोनत ने यह बताया कि जरुरी नहीं क़ि आपको जीवन में किसी सहारे क़ि जरुरत ही पड़े। आप खुद भी अपने जीवन को अपने तरीके से खुश होकर जी सकते हैं। जरुरी नहीं क़ि आपके जीवन क़ि खुशियां कोई राजकुमार ही लेकर आएगा। वह खुशियां आप खुद भी तो ला सकते हो अपने जीवन में। Neerja
नीरजा 2016 में रिलीज़ हुयी एक सत्य घटना पर आधारित फिल्म है। जिसने हमें यह बताया कि हर इंसान के अंदर एक हीरो होता है , बस सही समय पर उसको फील करने की जरुरत होती है। यह फिल्म एक ऐसी सिंपल सी एयर होस्टेस की कहानी है जो हाइजेक हुए प्लेन से सभी यात्रियों को सुरक्षित निकाल लेती है, बस खुद को छोड़कर।
हम सभी के अंदर एक ऐसी पावर होती है जो सही समय पर महसूस होने पर एक बहुत बड़ा काम करवा जाती है जिसके बारे में हमने कभी सोचा भी नहीं होता है। Lakshya
लक्ष्य 2004 में रिलीज़ हुयी ऋतिक रोशन स्टारर फिल्म। जिसने हमें कभी ना हार मानने का एक बेहद महत्वपूर्ण सन्देश दिया। कभी ना कभी एक बिंदु पर हम सभी लक्ष्यहीन हो जाते हैं। उस समय हमें आपने द्वारा की गयी हर मेहनत बेकार लगने लगती है। आपने लक्ष्य की तरफ चलते हुए हम हमेशा एक बिंदु पर आकर रुक जाते हैं और सभ कुछ किया हुआ बेकार लगने लगता है। इस बिंदु को जो लोग पार कर जाते हैं वही अपने लक्ष्य को पाते हैं। और जो लोग इस बिंदु पर आयी हुयी भावना में बाह जाते हैं वह अपने लक्ष्य से बहुत दूर हो जाते हैं।
इस स्थिति का सामना हम हमेशा अपने जीवन में करते हैं। अगर आप सोचेंगे तो आप को पता चलेगा कि यह स्थिति बड़े बड़े लक्ष्यों के साथ साथ हर छोटी सी बात पर भी लागु होती है। Udaan
उड़ान 2010 में आयी हुयी एक ऐसी फिल्म थी जिसने हमें यह बताया कि हर कोई सपने देखने का हक़ रखता है और उसको पूरा करने का भी। यह हिंदी फिल्मों में से एक सबसे भरोसेमंद और सबसे ज्यादा प्रेरित करने वाली फिल्म है। इस फिल्म के जरिये इसके स्टार रोहन ने हमें यह भरोसा दिलाया है कि चाहे जितनी भी परेशानियां आ जाये या फिर आपने सपने को पूरा करने कोई भी रोड़ा हो अगर सपने के प्रति आपका विश्वास पक्का है तो वह अवश्य पूरा होगा।
सपने छोटे बड़े नहीं होते वह सिर्फ सपने होते हैं और हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। यह हमारे जीवन का आधार होते हैं।
Pan Singh tomer
पान सिंह तोमर 2012 में आयी एक बायोग्राफिक क्राइम फिल्म है। जिसमे इरफ़ान खान ने अभिनय किया। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हमारे किये प्रेरणा का स्रोत बन जाते हैं। पान सिंह तोमर एक एथलीट होने के साथ साथ एक इंडियन आर्मी में सैनिक भी था। प्रतिभा से परिपूर्ण पान सिंह तोमर जब सेना से रिटायर होकर आया तो उसने आपने गांव में हो रहे हर जुल्म का बदला लिया।
यह फिल्म समाज और उसमे हो रहे क्रूर पक्ष को उजागर करती है। फिल्म में इरफ़ान खान ने एक बहुत ही प्रसिद्ध डायलॉग बोला है – “बीहड़ में बाघी होत है, डाकु मिलत है संसद में।”
A Wednesday
ए वेडनेसडे 2008 में रिलीज़ हुयी नसीरुद्दीन शाह की फिल्म है, जिसने सभी नागरिकों को एक जागरूक सन्देश दिया है कि दूसरों के हाथों कभी भी कमज़ोर नहीं होना चाहिए। जब कभी भी जीवन में जरुरत पड़े तो खुद का साथ देने के लिए खुद को खड़ा होना चाहिए , यह बहुत जरुरी है हम सभी के जीवन के लिए।
Rang de basanti
रंग दे बसंती आमिर खान की एक और ब्लॉकबस्टर फिल्म जो 2006 में रिलीज़ हुयी थी। इस फिल्म में आमिर खान और उनके दोस्तों ने यह बताया है क़ि कुछ भी बदलाव लाने के लिए सबसे पहला कदम आप को ही रखना पड़ता है। अगर आपको लगता है क़ि कुछ गलत है और इसमें बदलाव जरुरी है तो यह काम कोई और नहीं करेगा आपके लिए आपको खुद ही पहला कदम उठाना होगा।
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