Movienurture: Zabak

Zabak زبک : तेरी दुनिया से दूर चले होकर मजबूर

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ज़बक زبک एक हिंदी/उर्दू एक्शन ड्रामा फ़िल्म है, जो भारतीय सिनेमा में 1 जनवरी 1961 को रैली हुयी थी। और इस फिल्म का निर्माण और निर्देशन होमी वाडिया ने अपने वाडिया प्रोडक्शंस के बैनर तले किया था।

सी एल कैविश द्वारा लिखित कहानी के जरिये निर्देशक ने समाज की बहुत पुरानी गरीब और अमीरी की दशा को दिखाने का प्रयास किया है , कि किस तरह से एक गरीब लड़का एक अमीर राजकुमार के प्रेम में पड़कर अपने खुशहाल परिवार को खो देता है।

इस फिल्म की सफलता के बाद इसको तमिल भाषा में अरबु नट्टू अज़गी नाम से बनाया गया और दक्षिण भारतीय सिनेमा में भी इस फिल्म में सफल फिल्मों में अपना नाम दर्ज़ करवाया।

MovieNurture: Zabak

Story Line

कहानी शुरू होती है एक छोटे से नगर इस्बहान में रहने वाले हाज़ी नाम के एक लापरवाह चरवाहे से, जो राजकुमारी ज़ैनब से प्यार करने के अलावा कोई और काम नहीं करता था। हाज़ी के पिता राज्य के हमाम की निगरानी करने के साथ – साथ उसमे काम भी करते थे। मध्यवर्गीय होने के साथ उन्हें अपने बेटे की हमेशा चिंता रहती थी, क्योकि राजकुमारी और हाज़ी का प्रेम उस सामाजिक असमानता का प्रतीक होता है, जिसका कोई भविष्य नहीं है।

गरीब और अमीर का साथ में आना, किसी को भी स्वीकार नहीं होता है। जब यह बार बादशाह और उसके परिवार को पता चलती है तो, उसके आदेश पर मुख्य मंत्री कासिम हाज़ी और उसके पिता को बंदी बना लेता है। सज़ा के रूप में सभी के सामने पिता के बाल मुंडवा दिए जाते हैं और हाजी को 100 कोड़े मारे जाते हैं।

हाज़ी के पिता इस बदनामी से इतने दुखी होते है कि वह आत्महत्या कर लेते हैं। इसके बाद बादशाह हाज़ी को सैनिकों द्वारा राज्य से निकलवा देता है। जंगलों में भटकता हुआ हाज़ी एक दिन प्रसिद्ध सौदागर उस्मान शाह की बेटी का अपहरण होने से बचाता है।

MovieNurture: Zabak

सौदागर उस्मान शाह भटकते हुए हाज़ी की कहानी जानकर उसको अपने काफिले में शामिल कर लेता है। कुछ दिनों बाद हाज़ी को पता चलता है कि उस्मान को सौदागर नहीं है बल्कि सौदागर के भेष में एक डाकू है। इसके बाद हाज़ी उसके डाकुओं के काफिले में मिल जाता है एक नए नाम ज़बाक के साथ।

नए जीवन और नए नाम के साथ जबाक अब लूटपाट औरचोरी करता था अपने साथियों के साथ। एक दिन उसको पता चलता है कि उस्मान उसके नगर में हमला करने की सोच रहा है और उसको अपने दोस्तों से पता चलता है कि कासिम जबरदस्ती उसकी राजकुमारी से निकाह करने वाला है। उसके बाद वह उस्मान से उसके साथ चलने का आग्रह करता है , जिसको उस्मान मान लेता है।

उस्मान अपनी पूरी सेना के साथ इस्बहान नगर पर हमला बोल देता है। जबाक सब कुछ छोड़कर सिर्फ कासिम से बदला लेने के पीछे पड़ जाता है। जहाँ डाकुओं के हमले की खबर में कासिम अपने बादशाह की हत्या कर देता है और राजकुमारी और उसकी माँ को बताता है कि यह सब कुछ ज़बाक ने किया है।

ज़बाक और कासिम में युद्ध होता है और जल्द ही कासिम की मृत्यु हो जाती है। ज़बाक राजकुमारी के पास जाता है और उसको अपनी पूरी कहानी सुनाता है हाज़ी से ज़बाक बनने की। ज़ैनब और उसकी माँ हाजी को माफ़ कर देते हैं और ज़ैनब का विवाह हाज़ी से हो जाता है और वह अपने राज्य का राजा बनकर उसकी सेवा करने लगता है।

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Songs & Cast

इस फिल्म में संगीत चित्रगुप्त श्रीवास्तव ने दिया है और गीतों के बोल लिखे हैं प्रेम धवन ने – “तुझको मैं जान गई”, “तेरी दुनिया से दूर चले होकर मजबूर” , “शमा जले अरमानों की”, “मुझे मुबारक पुरानी यादें”, “तेरी तकदीर का सितारा”, “महलों ने छिन लिया बचपन का प्यार मेरा”, “जाने कैसा छाने लगा नशा” . इसके सभी गाने पसंद किये गए मगर “तेरी दुनिया से दूर चले होकर मजबूर” लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी द्वारा गाया गया ये गण उस समय में जनता द्वारा बेहद पसंद किया गया। बाकी के गायकों में गीता दत्त, बलबीर, महेंद्र कपूर और मुकेश।

फिल्म में क्लासिक सिनेमा के सुपरस्टार महिपाल ने मुख्य किरदार हाज़ी और ज़बाक का अभिनय किया है और उनके साथ राजकुमारी ज़ैनब के किरदार में अभिनेत्री श्यामा दिखी हैं। बाकी के कलाकारों में मनहर देसाई, बी. एम. व्यास, उमा दत्त, अचला सचदेव , साहिरा,कृष्णा कुमारी, बाबू राजे और सरदार मंसूर ने भी इस फिल्म में वो अभिनय किया है जिसकी प्रशंसा आज भी की जाती है।

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Interesting Facts

ज़बाक एक एक्शन हिंदी ड्रामा फिल्म थी जो पूरी दुनिया में 4 भाषाओँ में रिलीज़ हुयी हिंदी , उर्दू, पारसी और तुर्किश।
जहाँ यह फिल्म भारत में 1 जनवरी 1962 को रिलीज़ हुयी वही पर यह ईरान में 15 मई 1962 में रिलीज़ हुयी।

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