बालन 1938 की मलयालम भाषा की ड्रामा फिल्म है, जो एस. नोटानी द्वारा निर्देशित और मुथुकुलम राघवन पिल्लई द्वारा लिखित है, जो ए. विगाथाकुमारन और मार्तंड वर्मा के बाद यह फिल्म मलयालम सिनेमा की पहली साउंड फिल्म और तीसरी फीचर फिल्म होने के लिए प्रसिद्ध है। फिल्म में के.के. अरूर, एम.के. कमलम, मास्टर मदनगोपाल, एम.वी. शंकू और सी.ओ.एन. नांबियार मुख्य भूमिकाओं में हैं।
यह ब्लैक एन्ड व्हाइट फिल्म दक्षिण भारतीय सिनेमा में 19 जनवरी 1938 को रिलीज़ की गयी थी।

स्टोरी लाइन
यह फिल्म दो अनाथ भाई-बहनों बालन और सरसा की कहानी बताती है, जिनके साथ उनकी सौतेली माँ मीनाक्षी दुर्व्यवहार करती है, जो उन्हें मारने और उनके पिता की संपत्ति को हड़पने की साजिश रचती है। दोनों भाई – बहन इन तकलीफों से दुखी होकर एक दिन घर से भाग जाते हैं और रास्ते में उन्हें एक दयालु वकील प्रभाकर मेनन मिलते हैं, जो उन दोनों बेसहारा बच्चों को अपने घर में आसरा देते हैं और उन्हें अपने बच्चों की तरह मानते हैं। हालांकि, उन दोनों बच्चों की सौतेली माँ उन्हें खोजने का हर संभव प्रयास करती है।
फिल्म एक सामाजिक ड्रामा है जो बाल शोषण, गरीबी, अन्याय और मानवीय करुणा के विषयों से संबंधित है। यह फिल्म स्वतंत्रता संग्राम, कम्युनिस्ट आंदोलन और जाति व्यवस्था के संदर्भ में स्वतंत्रता-पूर्व युग में केरल के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को भी दर्शाती है। फिल्म एक मेलोड्रामा है जिसमें रोमांस, सस्पेंस और एक्शन के साथ त्रासदी और कॉमेडी का मिश्रण है।
फिल्म अपने समय की एक तकनीकी चमत्कार है, क्योंकि यह पहली मलयालम फिल्म थी जिसमें संवाद और गाने के साथ साउंडट्रैक भी था। फिल्म का निर्माण तमिलनाडु के सलेम में मॉडर्न थियेटर्स के टी. आर. सुंदरम द्वारा किया गया था, जिसमें जर्मन सिनेमैटोग्राफर बडो गुशवाल्कर कैमरे को संभाल रहे थे और वर्गीस और के.डी. जॉर्ज फिल्म का संपादन कर रहे थे। मुथुकुलम राघवन पिल्लई के गीतों के साथ फिल्म का संगीत केके अरूर और इब्राहिम द्वारा रचित था। फिल्म में 23 गाने हैं, जिनमें से कुछ आज भी लोकप्रिय हैं।

मलयालम सिनेमा के इतिहास में बालन एक ऐतिहासिक फिल्म है, क्योंकि इसने ध्वनि फिल्मों की शुरुआत की और मलयालम को सिनेमा में एक अलग भाषा के रूप में स्थापित किया। फिल्म ने पौराणिक या ऐतिहासिक कहानियों के बजाय यथार्थवादी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने वाली सामाजिक फिल्मों के लिए रुझान भी क्रिएट किया।
बालन एक क्लासिक फिल्म है जिसे सिनेमा के हर प्रेमी द्वारा देखा और सराहा जाना चाहिए। यह एक ऐसी फिल्म है जो इसके निर्माताओं और अभिनेताओं की प्रतिभा और दृष्टि को प्रदर्शित करती है, जिन्होंने सीमित संसाधनों और प्रौद्योगिकी के साथ एक उत्कृष्ट कृति बनाई। यह एक ऐसी फिल्म है जो अपनी दमदार कहानी और संदेश से दर्शकों के दिलो-दिमाग को छूती है।