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MOvie Nurture: समाज का आईना: 'देवी' फिल्म समीक्षा

देवी” 1960 में रिलीज़ हुई एक क्लासिक बंगाली फ़िल्म है। महान सत्यजीत रे द्वारा निर्देशित, इस फ़िल्म का बंगाली सिनेमा प्रेमियों के दिल में एक ख़ास स्थान है। यह एक मार्मिक कहानी बताती है जिसमें परंपरा, आस्था और मानवीय भावनाओं का मिश्रण है। यह प्रभात कुमार मुखोपाध्याय की एक लघुContinue Reading

Movie Nurture: परख: जीवन की कसौटी, उम्मीदों का इम्तिहान

फिल्में हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा होती हैं। वे न केवल हमारा मनोरंजन करती हैं बल्कि हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर सोचने के लिए भी प्रेरित करती हैं। आज हम एक ऐसी ही क्लासिक हिंदी फिल्म “परख: जीवन की कसौटी, उम्मीदों का इम्तिहान” की समीक्षा करेंगे। यह फिल्म अपनीContinue Reading

Movie nurture: पर्पल नून: सूरज की चमक, दिल की अँधेरी रात

फिल्में हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे हमें मनोरंजन के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर करती हैं। आज हम एक ऐसी ही फिल्म “पर्पल नून: सूरज की चमक, दिल की अँधेरी रात” की समीक्षा करेंगे। यह फिल्म दर्शकों को एक अनोखी कहानी और शानदार अभिनय के माध्यम सेContinue Reading

Movie Nurture: गाते हुए पर्दे: जब सिनेमा में आई आवाज

क्या आप जानते हैं कि एक समय था जब सिनेमा में कोई आवाज नहीं होती थी? लोग सिर्फ मूक फिल्में देखते थे, जहाँ सिर्फ चित्र चलते थे और कोई आवाज नहीं होती थी। लेकिन फिर आया एक जादुई बदलाव, जब सिनेमा में आवाज आई। इसने सिनेमा की दुनिया को पूरीContinue Reading

Movie Nurture: गुमशुदा बेटे की तलाश: "आखिरी खत" का दिल छू लेने वाला सफर

1966 में रिलीज हुई “आखिरी खत” एक महत्वपूर्ण बॉलीवुड फिल्म है जिसे चेतन आनंद ने निर्देशित किया था। यह फिल्म एक संवेदनशील कहानी है जिसमें एक मां और उसके बच्चे की भावनात्मक यात्रा को दिखाया गया है। कहानी फिल्म “आखिरी खत” की कहानी एक मां और उसके बच्चे के इर्द-गिर्दContinue Reading

Movie Nurture: सिनेमा का जन्म: लुमीएर भाईयों की क्रांति

क्या आप जानते हैं कि फिल्मों की शुरुआत कैसे हुई? फिल्मों की दुनिया में लुई और ऑगस्टे लुमिएर का बहुत बड़ा योगदान है। ये दो भाई सबसे पहले सिनेमाटोग्राफर माने जाते हैं। आइए, जानते हैं उनके बारे में और कैसे उन्होंने फिल्मों को जन्म दिया। लुई और ऑगस्टे लुमिएर काContinue Reading

Movie Nurture: एक्सप्रेशंस इन मोशन - साइलेंट फिल्मों में अभिनय की कला

साइलेंट फिल्मों का युग सिनेमा के इतिहास में एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण समय था। इस युग में अभिनेताओं को बिना संवाद के केवल शारीरिक हाव-भाव और चेहरे के भावनाओं के माध्यम से अपनी कला को प्रस्तुत करना होता था। साइलेंट फिल्मों में अभिनय की कला अद्वितीय थी, जिसने दर्शकों कोContinue Reading

Movie Nurture: फैंटासिया: जादूई संगीत और कार्टून का अनोखा मेल

1940 में रिलीज हुई डिज़्नी की एनिमेटेड फिल्म ‘फैंटासिया’ बच्चों और बड़ों दोनों के लिए एक अद्वितीय अनुभव है। यह फिल्म संगीत और एनीमेशन का अनोखा मिश्रण है, जिसने सिनेमा जगत में एक नई दिशा दी। ‘फैंटासिया’ को न केवल बच्चों की पसंदीदा फिल्मों में गिना जाता है, बल्कि यहContinue Reading

Movie Nurture: पति-पत्नी के बीच कचहरी का नाटक: एडम्स रिब का मजेदार रिव्यू

1949 में रिलीज हुई फिल्म ‘एडम्स रिब’ एक रोमांटिक कॉमेडी-ड्रामा है, जिसमें प्रमुख भूमिकाओं में कैथरीन हेपबर्न और स्पेंसर ट्रेसी नजर आते हैं। इस फिल्म का निर्देशन जॉर्ज कुकॉर ने किया है और इसे उस समय की बेहतरीन फिल्मों में गिना जाता है। ‘एडम्स रिब’ न केवल मनोरंजन का एकContinue Reading

Movie Nurture: होउ याओ: चीन के स्वर्ण युग की मूक फिल्म आइकन

होउ याओ (Hou Yao) चीनी मूक फिल्म उद्योग के एक महत्वपूर्ण अभिनेता और निर्देशक थे। उनका योगदान न केवल अभिनय में बल्कि फिल्म निर्देशन और पटकथा लेखन में भी महत्वपूर्ण रहा है। इस लेख में हम हौ याओ के जीवन और करियर पर प्रकाश डालेंगे और उनके योगदान को समझेंगे।Continue Reading