कुछ फिल्में रहस्य से भरी हुयी होती हैं। जिन्हे देखकर आपका दिमाग भी कई अलग -अलग दिशाओं में सोचने का कार्य करने लगता है। आप अपने जीवन में आयी हुयी कई परेशानियों का हल अलग -अलग दिशाओं में सोचकर निकाल ही लेते हैं।
“गुमनाम ” एक हिंदी थ्रिलर फिल्म जो 1965 में रिलीज़ हुयी और यह फिल्म 1939 में आये हुए एक नॉवेल “And then There were None” से प्रेरित है। इस फिल्म को Raja Nawathe ने इस तरह से निर्देशित किया है कि अंत तक यह फिल्म आपको बांधे रहती है।
Story –
फिल्म शुरू होती है एक अमीर व्यक्ति खंन्ना से जो सोहनलाल का कार से एक्सीडेंट करवाता है जिससे उसकी मृत्यु हो जाती है यह खबर जब खन्ना सोहनलाल की भतीजी आशा को देता है उसी समय कोई आकर खन्ना को गोली मार देता है और उसकी भी मृत्यु वहीँ हो जाती है।
कुछ दिनों के बाद आशा एक लॉटरी में विदेश की यात्रा जीती होती है 6 लोगों के साथ, बेरिस्टर राकेश , धरमदास, किशन, डॉ आचार्य, मधुसूदन और किटी केली और इन सब का गाइड आनंद। विमान में खराबी आ जाने की वजह से उसे एक छोटे से टापू पर उतरना पड़ता है। सभी के उतरते ही विमान उनको छोड़कर चला जाता है और वह उस टापू पर फंस जाते हैं।
वह लोग कुछ भी सोच पाते उससे पहले ही उन्हें हर तरफ से गाने की आवाज़ सुनाई देती है, आवाज़ का पीछा करते करते वह एक हवेली में पहुँच जाते हैं जहाँ पर सिर्फ एक बावर्ची ही रहता है। यह बात जानकर सबको हैरानी होती है कि इस सुनसान जगह पर सिर्फ एक ही इंसान कैसे रह सकता है। धर्मदास पूरी हवेली की छानबीन करता है और उसको पता चलता है कि यह 6 लोग अपराधी हैं और इसकी मौत यही पर होगी।
आनंद को पता चलता है कि डॉ आचार्य और धरमदास अपने साथ जहर की बोतल और खंज़र लेकर आये हैं और सभी को बावर्ची के साथ एक और अदृश्य व्यक्ति के होने का अहसास होता है। सभी एक दूसरे पर शक करने लगते हैं। कुछ समय बाद आनंद और आशा को किशन की लाश मिलती है और उसके साथ एक पत्र भी, जिसमे लिखा है कि किशन ने सोहनलाल की हत्या की है।
सभी का शक धरमदास पर जाता है पर धरमदास की भी मृत्यु हो जाती है। आनंद को लगता है कि कातिल हम बचे हुए लोगो में से ही कोई एक है। और उसको यह भी पता चलता है कि यह 6 लोग वही हैं जो किसी न किसी तरह से सोहन लाल से जुड़े हैं, किटी सोहनलाल की सचिव है और राकेश उसके वकील और भी अन्य सदस्य किसी न किसी तरह से सोहनलाल से जुड़े हुए हैं।
आनंद राकेश को कुल्हाड़ी छिपाते हुए देख लेता है, उसी समय डॉ आचार्य चिल्लाते हुए होते हैं कि शर्मा को किसी ने कुल्हाड़ी से मार दिया है। आनंद का शक राकेश पर जाता है पर आचार्य बावर्ची पर शक करता है और उसके बाद दोनों में झगड़ा हो जाता है। किटी गायब हो जाती है, राकेश और आशा उसको ढूंढने जाते हैं। पानी में डूबने की वजह से किटी की मौत हो जाती है और उसके पास आनंद की टोपी मिलती है।
राकेश आनंद का पीछा करता है और रास्ता भटक जाता है।आशा हवेली में वापिस आ जाती है और उधर राकेश की भी मौत हो चुकी है। हत्यारे को सामने देखकर आशा बेहोश हो जाती है और हत्यारा कोई और नहीं शर्मा होता है फिर वह आशा को बताता है कि किस तरह उसने आचार्य के साथ मिलकर मौत का नाटक किया था। यह बात आनंद सुन लेता है और शर्मा दोनों को रस्सी से बांध देता है और पिस्टल से आशा को मरने की कोशिश करता है।
बावर्ची आनंद की रस्सी खोल देता है और वह शर्मा से आशा को बचा लेता है और खुलासा करता है कि वह एक पुलिस इंस्पेक्टर है। इसके बाद शर्मा अपनी असलियत बताता है कि उसका नाम मदनलाल है और वह खन्ना और सोहनलाल का पार्टनर है उनके तस्करी के व्यापर का। खन्ना और सोहनलाल ने दोखा देकर उसको जेल भिजवा दिया था और जब वह लौटकर आया तो सोहनलाल की हत्या हो चुकी थी और खन्ना की हत्या उसी ने गोली मारकर की थी।
मदनलाल को पुलिस पकड़ कर ले जाती है और आनंद, आशा, बावर्ची और उसकी मानसिक रूप से बीमार बहन, जो रात में गीत जाती है, सभी विमान से शहर को लौट जाते हैं।
Songs & Cast – इस फिल्म को 8 गानों के साथ बनाया गया है और हर गाने की अपने एक अहमियत है फिल्म को पूरा करने में, ” गुमनाम है कोई “, ” एक लड़की है जिसने जीना मुश्किल कर दिया “, “आएगा कौन यहाँ “, “हम काले हैं तो क्या हुआ दिल वाले हैं “, “जान पहचान हो ” आदि और इन गानों को लता मंगेशकर ,आशा भोंसले , मेहमूद और मोहम्मद रफ़ी ने गाया है।
फिल्म में मनोज कुमार, नंदा , प्राण , हेलेन ,मेहमूद और कई अन्य कलाकारों ने अपनी अदाकारी से इस फिल्म में रहस्य, डर और एक्साइटमेंट भरा है।
Location – यह फिल्म हिंदुस्तान के एक बेहद खूबसूरत शहर गोवा के कई हिस्सों में फिल्मायी गयी है।
Lights, camera, words! We take you on a journey through the golden age of cinema with insightful reviews and witty commentary.