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Home Hindi

Maya Bazar (మాయాబజార్) – अविश्वसनीय और अकाल्पनिक एपिक फिल्म

Sonaley Jain by Sonaley Jain
November 8, 2020
in Hindi, Movie Review, old Films, South India, Telugu
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Maya Bazar (మాయాబజార్) –  अविश्वसनीय और अकाल्पनिक एपिक फिल्म
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 तेलुगु सिनेमा की एक नायाब फिल्म जिसने कई रिकार्ड्स कायम किये हैं और यह फिल्म सदियों से सभी की पसंदीदा रही है। यह फिल्म कई भाषाओँ में भी बनी है और हर भाषा में उतनी ही प्रसिद्धि प्राप्त की है जितना कि तेलुगु में।

     माया बाजार 1957 में रिलीज़ हुयी थी।  यह तेलुगु और तमिल में एक ही नाम से बनी हुयी फिल्म है। फिल्म में महाभारत के कुछ अध्यायों को भली भांति प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। इसको निर्देशित Kadiri Venkata Reddy ने किया था।

Story –  फिल्म की शुरुवात होती है, सुभद्रा से जो कि बलराम और कृष्ण की बहन होने के साथ पांडु पुत्र अर्जुन की पत्नी भी है, वह अपने बेटे अभिमन्यु  का विवाह बलराम की बेटी से करवाना चाहती है क्योकि वह और सरिलेखा  एक दूसरे से प्रेम करते हैं।

पांडवों को दुर्योधन के द्वारा आमंत्रित किया जाता है शतरंज के खेल के लिए, जिसमे पांडव अपना सभी कुछ हार जाते हैं , अपनी संपत्ति , स्वतंत्रता और पत्नी भी। दुर्योधन के भाई दुशासन द्वारा द्रोपदी का चीर हरण किया जाता है और भगवान कृष्ण द्वारा उनको बचाया जाना। फिल्म में सभी ने ऐसा अभिनय किया है कि यह सब जीवित सा   लगता है।

मामा शकुनि और दुर्योधन बलराम के पास जाते हैं विवाह का प्रस्ताव लेकर ससिरेखा और दुर्योधन के पुत्र कुमारा का।  जिसके पीछे उन दोनों की मंशा यह होती है कि अगर पांडवों ने उन पर हमला किया तो बलराम रिश्ते के नाते दुर्योधन की तरफ से ही युद्ध में हिस्सा लेंगे।  बलराम बिना दोनों की मंशा जाने इस रिश्ते के लिए हामी भर देते हैं।

  और उधर बलराम की पत्नी रेवती भी इस रिश्ते से खुश होती है क्योकि वह नहीं चाहती कि उसकी पुत्री ससिरेखा का विवाह अभिमन्यु से हो।  कृष्ण को शकुनि मामा और दुर्योधन के नापाक इरादों का पता होता है और वह अपने सारथि को आदेश देते हैं कि सुभद्रा और अभिमन्यु को जंगल के आश्रम में ले आये। घटोत्कच घुसपैठिया  समझकर हमला कर देता है मगर सच जानकर माफ़ी मांगता है।

  घटोत्कच को जब अभिमन्यु के विवाह की सच्चाई पता चलती है तो वह  बलराम और दुर्योधन से युद्ध करने जाते हैं लेकिन सुभद्रा और घटोत्कच की माँ उसको रोक लेती हैं।  फिर घटोत्कच ससिरेखा की शादी को रोकने के लिए चिन्मनाया, लम्बू और जम्बू की मदद से एक जादुई नगरी का निर्माण करते हैं जिसे वह माया बाजार का नाम देते हैं।

 घटोत्कच कुमारा और ससिरेखा का विवाह इस माया नगरी में आयोजित करते हैं जिसमे वह कौरवों को इस माया नगरी में रहने के लिए आमंत्रित करते हैं।  सभी वहां आकर बहुत खुश होते हैं।  घटोत्कच कृष्ण से मदद मंगाते हैं दोनों की शादी रुकवाने के लिए और कृष्ण अपनी दिव्या शक्तियों से उनकी मदद करने का आश्वासन देते हैं।

     शादी वाले दिन घटोत्कच कुमारा को रोकते हैं अपने तांत्रिक रूप से और दूसरी तरफ अभिमन्यु और ससिरेखा का विवाह हो जाता है। जब शकुनि मामा को सच्चाई पता चलती है तो वो सारा दोष कृष्ण को देते हैं। सत्यकी शकुनि को जादुई बॉक्स पर खड़े होने को कहती है और उस पर खड़े होते ही शकुनि कौरवों के षड्यंत्र के बारे में बता देते हैं। घटोत्कच सभी के सामने अपनी असलियत बताते हैं और उसके बाद सभी परिवार वाले अभिमन्यु और ससिरेखा के विवाह को स्वीकार कर लेते हैं।

 फिल्म के कलाकारों ने इस फिल्म को एक अलग आयाम दिया है अपनी अदाकारी से , N. T. Rama Rao , S. V. Ranga Rao, Savitri , C. S. R. Anjaneyulu आदि अन्य कलाकारों ने जैसे अपने चरित्रों में जान ही डाल  दी हो।  

Tags: Best South Indian movieClassic Movietelugu
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