रेहाना एक फिल्म अभिनेत्री थीं, जिन्होंने मुख्य रूप से 1940 और 1950 के दशक में भारतीय और पाकिस्तानी सिनेमा में काम किया था। वह अपनी सुंदरता के लिए द क्वीन ऑफ चार्म और द डांसिंग डेमसेल ऑफ बॉम्बे दोनों के रूप में जानी जाती थीं। उन्होंने सगाई, तदबीर, हम एक हैं, शहनाई, साजन, सम्राट और सरगम जैसी फिल्मों में प्रमुख भूमिकाओं में काम किया।
रेहाना का जन्म 10 मार्च 1931 को बॉम्बे, ब्रिटिश भारत में मुसर्रत जहां बेगम के रूप में हुआ था। उन्होंने एक नर्तकी और गायिका के रूप में अपना करियर शुरू किया और उन्हें केएल सहगल और सुरैया अभिनीत फिल्म तदबीर (1945) में पहला ब्रेक मिला। इसके बाद उन्हें बड़ा ब्रेक हम एक हैं (1946) में मिला, जो संयोग से देव आनंद की पहली फिल्म थी। उन्होंने एक मुस्लिम लड़की सलमा की भूमिका निभाई, जिसे देव आनंद द्वारा निभाए गए हिंदू लड़के से प्यार हो जाता है। यह फिल्म एक सामाजिक नाटक थी जो सांप्रदायिक सद्भाव के मुद्दे से संबंधित थी।
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रेहाना को फिल्म साजन (1947) से प्रसिद्धि मिली, जिसमें उन्होंने अशोक कुमार के साथ मुख्य भूमिका निभाई। यह फिल्म एक संगीतमय रोमांस थी जिसमें “जब दिल ही टूट गया” और “हम आज कहीं दिल खो बैठे” जैसे हिट गाने थे। फिल्म बहुत सफल रही और रेहाना रातों-रात स्टार बन गईं, इसके बाद उन्होंने एक और हिट फिल्म शहनाई (1947) बनाई, जिसमें उन्होंने एक नर्तकी की भूमिका निभाई, जिसे रहमान द्वारा निभाए गए संगीतकार से प्यार हो जाता है। यह फिल्म एक म्यूजिकल कॉमेडी थी जिसमें “दिल का खिलोना है टूट गया” और “चुप चुप खड़े हो” जैसे गाने थे। यह फिल्म भी सफल रही और रेहाना को एक प्रमुख अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया।
रेहाना का करियर 1948 से 1951 तक अपने चरम पर पहुंच गया, जब उन्होंने उस समय के अधिकांश शीर्ष नायकों के साथ कई तरह की फिल्में कीं। उन्होंने प्रेम अदीब के साथ एक्ट्रेस (1948), राज कपूर के साथ सुनहरे दिन (1949) और सरगम (1950), देव आनंद के साथ दिलरुबा (1950), श्याम के साथ निर्दोश (1950) और सूरजमुखी (1950), शेखर के साथ काम किया। इनमें से उनकी दो सबसे बड़ी हिट फ़िल्में सरगम (1950) और सगाई (1951) थीं। सरगम एक संगीतमय नाटक था जिसमें “अब क्या मिसाल दूं” और “कुछ ऐसी प्यारी शक्ल मेरे दिलरुबा की है” जैसे गाने थे। यह फिल्म ब्लॉकबस्टर रही और रेहाना को उस समय की सबसे ज्यादा फीस लेने वाली अभिनेत्री बना दिया। सगाई एक रोमांटिक कॉमेडी थी जिसमें “तुम चली जाओगी परदेस” और “मुझे किसी से प्यार हो गया” जैसे गाने थे। यह फिल्म भी हिट रही और रेहाना को घर-घर में मशहूर कर दिया।
1952 के बाद रेहाना के करियर में गिरावट आई, क्योंकि रंगीली (1952), छम छमा छम (1952), हजार रातें (1953) और सम्राट (1954) जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गईं। उन्हें मधुबाला, नरगिस, मीना कुमारी और नूतन जैसी नई अभिनेत्रियों से भी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। भारत में अपने करियर के ढलान पर होने के कारण, रेहाना 1955 में अपना करियर जारी रखने की उम्मीद के साथ पाकिस्तान चली गईं।
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पाकिस्तान में उन्होंने रात के राही, वहशी, अपना पराया, शालीमार, औलाद और दिल ने तुझे मन लिया जैसी उर्दू फिल्मों में काम किया। उन्होंने जट्टी और झूमर जैसी पंजाबी फिल्मों में भी काम किया। हालाँकि, वह अपनी सफलता को पाकिस्तान में दोहरा नहीं सकीं और धीरे-धीरे सुर्खियों से दूर हो गईं। उन्होंने निर्माता इकबाल शहजाद से शादी की, जिन्होंने उन्हें रात के राही में निर्देशित किया था, लेकिन बाद में उन्होंने तलाक ले लिया। इसके बाद उन्होंने कराची के एक बिजनेसमैन साबिर अहमद से शादी की और उनसे उनके तीन बच्चे हुए।
23 अप्रैल 2013 को 82 वर्ष की आयु में कराची में उनका निधन हो गया। उन्हें अपने युग की सबसे आकर्षक और खूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक के रूप में याद किया जाता था, जिन्होंने अपनी फिल्मों और गीतों से दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ी। उन्हें हिंदी सिनेमा की पहली “झटका क्वीन” भी माना जाता था, क्योंकि वह अपने बोल्ड डांस मूव्स के लिए जानी जाती थीं। वह एक विवाद में भी फंसी थीं, जब उनकी फिल्म शिन शिनाकी बूबला बू (1952) को सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कम नैतिक स्वर के कारण प्रतिबंधित कर दिया था, लेकिन बाद में सार्वजनिक समर्थन के बाद इसे रिलीज़ कर दिया गया था।
रेहाना एक फिल्म अभिनेत्री थीं जिन्होंने अपनी प्रतिभा और करिश्मा से भारतीय और पाकिस्तानी दोनों सिनेमा में अपनी छाप छोड़ी। वह अपने समय की अग्रणी थीं, जिन्होंने अपने उद्योग की रूढ़ियों और परंपराओं को तोड़ा। वह आकर्षण की रानी और बंबई की नृत्यांगना थीं, जिन्होंने अपनी फिल्मों और गीतों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वह थीं रेहाना, एक ऐसा नाम जिसे सिनेमा के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा।
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