Movie Nurture: Jaganmohini

द ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ लव: ए टेल ऑफ कर्स एंड रिडेम्पशन इन जगनमोहिनी

Films Hindi Kannada Movie Review South India Top Stories

जगनमोहिनी ಜಗನ್ಮೋಹಿನಿ डी. शंकर सिंह द्वारा निर्देशित एक कन्नड़ फिल्म, जो 9 जुलाई 1951 को भारतीय दक्षिण सिनेमा में रिलीज़ हुयी। यह फिल्म एक पीरियड ड्रामा है, जो जगनमोहिनी नाम की एक खूबसूरत लड़की की कहानी है, जो एक राजकुमार के प्रेम में पड़ जाती है।

इस फिल्म से अभिनेत्री हरिनी ने मात्र 14 वर्ष की उम्र में अपने फ़िल्मी सफर की शुरुवात की और वह उस समय में ऑन-स्क्रीन स्विमसूट पहनने वाली पहली कन्नड़ अभिनेत्री थीं।

Movie Nurture: Jaganmohini
Image Source: Google

Story Line

फिल्म की कहानी शुरू होती है एक छोटे से राज्य के राजा से, जो हमेशा शिकार करने के लिए अपने राज्य के पास के जंगल में जाया करता था। मगर एक बार जंगल में उसकी मुलाकात मोहिनी नमक एक खूबसूरत अनाथ लड़की से होती है। और राजा उसकी खूबसूरती से इतना मोहित हो जाता है कि कुछ समय के लिए वहीँ जंगल में उसके पास रुक जाता है।

मोहिनी से प्रेम और रानी बनाने के झूठे वादों के साथ राजा वहां से चला जाता है कभी ना वापस आने के लिए। बहुत समय तक इंतज़ार करने के बाद मोहिनी को पता चलता है कि राजा ने उसके साथ धोखा किया था और वह इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाती और वहीँ जंगल में आत्महत्या कर लेती है राजा से बदला लेने के प्रण के साथ।

उसके कुछ समय बाद राजा की भी मृत्यु हो जाती है और अगले जन्म में वह एक आम नागरिक बनता है। एक दिन वह पानी की तलश में उसी जंगल में जाता है, जहाँ पर उसे मोहिनी एक भूत मिलती है एक खूबसूरत महिला के रूप में। इसके बाद वह राजा को लुभाने की कोशिश करती है, मगर इस जन्म में राजा पहले से ही शादीशुदा होता है और वह मोहिनी की चालों में नहीं आता।

Movie Nurture: Jaganmohini
Image Source: Google

 

वहीँ दूसरी तरफ राजा की पत्नी देवी माँ की परम भक्त होती है और अपनी भक्ति और पवित्रता से वह मोहिनी का सामना करती है और अंत में मोहिनी उससे हार जाती है और उसकी आत्मा को मोक्ष मिल जाता है।

यह फिल्म अपने प्रभावशाली स्पेशल इफेक्ट्स के लिए प्रसिद्ध है, जो 1950 के दशक के भारतीय फिल्म उद्योग के लिए अपने समय से आगे की बात थी। जगनमोहिनी के कुछ दृश्य विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं, जिसमें प्रोस्थेटिक्स और मेकअप के उपयोग से भूत का एक भयावह चित्रण किया गया है।

फिल्म में कई यादगार गाने भी हैं, जिनमें पी . लीला द्वारा गाए गए लोकप्रिय “प्रेमादिंदाली नवु कुड़ी” और “त्रिभुवन जननी” शामिल हैं। इसमें संगीत पी. श्यामन्ना ने दिया है।

फिल्म में अभिनय दमदार है, जिसमें श्रीनिवास राव ने राजा की भूमिका में एक असाधारण प्रदर्शन दिया है।

कुल मिलाकर, “जगनमोहिनी” एक प्रभावशाली फिल्म है जो इसके कलाकारों की प्रतिभा को प्रदर्शित करती है। फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स और श्रृंगार का उपयोग अपने समय के लिए अभूतपूर्व था और आज भी कायम है। जगनमोहिनी की कहानी प्यार और अच्छाई और बुराई के बीच संघर्ष की एक कहानी है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *